रतन टाटा के बाद TATA परिवार को एक और सदमा, नहीं रहीं सिमोन, बनाया Lakme और Westside जैसे ब्रांड
रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा ने 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. वे पिछले कुछ महीनों से बीमार थीं. उन्हें अगस्त में दुबई के किंग्स हॉस्पिटल में शुरुआती इलाज के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल लाया गया था. सिमोन टाटा के परिवार में उनके पुत्र नोएल टाटा, बहू अलू मिस्त्री और पोते-पोती नेविल, माया और लिया हैं
टाटा परिवार पर एक बार फिर दुख का साया छा गया है. रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा ने 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उन्हें भारत की ब्यूटी और रिटेल इंडस्ट्री को नई दिश देने के लिए याद किया जाता है. Lakmé जैसी आइकॉनिक कॉस्मेटिक कंपनी और Westside जैसे सफल रिटेल ब्रांड को खड़ा करने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही. अपने शांत स्वभाव, विजनरी सोच और दशकों की मेहनत से सिमोन टाटा ने भारत के बिजनेस इतिहास में गहरी छाप छोड़ी थी.
वे पिछले कुछ महीनों से बीमार थीं. उन्हें अगस्त में दुबई के किंग्स हॉस्पिटल में शुरुआती इलाज के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल लाया गया था. सिमोन टाटा के परिवार में उनके पुत्र नोएल टाटा, बहू अलू मिस्त्री और पोते-पोती नेविल, माया और लिया हैं.
ऐसे बस गई भारत में
स्विट्जरलैंड के जिनेवा में जन्मी सिमोन ने पहली बार 1953 में 23 साल की उम्र में भारत का दौरा किया था. इसी दौरान उनकी मुलाकात नेवल टाटा से हुई, जो तलाकशुदा थे और उनसे 26 वर्ष बड़े थे. दोनों ने 1955 में शादी की और सिमोन फिर स्थायी रूप से मुंबई में बस गईं.
Lakmé को नई पहचान देने वाली महिला
सिमोन टाटा की वजह से Lakmé एक भारतीय घर-घर का नाम बना. टाटा ग्रुप ने Lakmé को 1952 में शुरू किया था, उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर, ताकि भारतीय महिलाएं विदेशी मेकअप ब्रांड पर निर्भर न रहें. 1980 के दशक में सिमोन Lakmé की चेयरपर्सन बनीं और ब्रांड को नई ऊंचाई दी. साल 1996 में टाटा ग्रुप ने एक बिजनेस रीस्ट्रक्चरिंग के तहत Lakmé को हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया.
Westside और Trent की सफलता
Lakmé की बिक्री से इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल कर सिमोन टाटा ने Trent Ltd और उसके तहत Westside रिटेल स्टोर्स की शुरुआत की. Westside आज भारत की सबसे सफल फैशन और लाइफस्टाइल चेन में गिनी जाती है. सिमोन ने 2006 तक Trent का नेतृत्व किया और रिटेल सेक्टर में टाटा ग्रुप की मजबूत पहचान बनाई. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली थी. उनकी आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति अक्टूबर 2024 में हुई, जब वे अपने सौतेले बेटे रतन टाटा के अंतिम संस्कार में नजर आईं.
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