नौकरी देने में रेलवे, सेना हुईं पीछे! अब TCS Infosys जैसी टॉप-5 IT कंपनियां आगे, प्राइवेट बैंक भी कम नहीं
आजादी के बाद से सरकारी नौकरियों में काम करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा थी लेकिन अब इसमें बड़ी गिरावट जारी है, जबकि प्राइवेट सेक्टर, खासतौर से आईटी और बैंकिंग में नौकरियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ये अब सरकार से भी ज्यादा नौकरियां दे रहे हैं.

लाखों लोग तरह-तरह की सरकारी नौकरियों के लिए बरसों तैयारी करते हैं. सामाजिक सुरक्षा इसकी एक वजह है . राज्य सरकारों की नौकरियां, केंद्र की और सरकारी कंपनियों को मिला दें तो आमतौर पर यही समझा जाएगा कि सबसे ज्यादा नौकरियां सरकार के पास ही है. लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है. जहां एक तरफ सरकारी नौकरियों में कमी आ रही है तो दूसरी तरफ प्राइवेट नौकरियां बढ़ रही हैं. टीसीएस, इंफोसिस जैसी देश की टॉप 5 आईटी कंपनियों ने नौकरी देने के मामले में रेलवे और सशस्त्र बलों को पीछे छोड़ दिया है. बैंकिंग सेक्टर में भी ऐसा ही ट्रेंड है, अब सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंक ज्यादा नौकरी दे रहे हैं.
IT सेक्टर में रेलवे से भी ज्यादा नौकरियां
IT कंपनियां | 2004-05 | 2019-20 | दिसंबर 2024 |
TCS | 45,714 | 4,48,464 | 6,07,354 |
इंफोसिस | 36,750 | 2,42,371 | 3,23,379 |
विप्रो | – | 1,82,886 | 2,32,732 |
HCL | – | 1,50,423 | 2,20,755 |
टेक महिंद्रा | – | 1,25,236 | 1,50,488 |
कुल कर्मचारी | – | 11,49,380 | 15,34,708 |
- 2004-05: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पास 45,714 कर्मचारी थे और इंफोसिस में 36,750 कर्मचारी थे.
- 2019-20: TCS में 4,48,464 और इंफोसिस में 2,42,371, Wipro 1,82,886, HCL 1,50,423, Tech Mahindra 1,25,236
महामारी के बाद जब डिजिटल सेवाओं में तेजी आई तो आईटी कंपनियों की ग्रोथ और तेज हुई. 2020 में जहां टॉप-5 आईटी कंपनियों में (TCS, इंफोसिस, विप्रो, HCL टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा) में कुल 11.5 लाख कर्मचारी थे, सितंबर 2022 तक यह संख्या 16 लाख पार कर गई. 2024 में ये घट कर 15.34 लाख पर आ गई.
रेलवे | सशस्त्र बल | टॉप 5 IT कंपनियां |
12.52 लाख कर्मचारी | 14.2 लाख कर्मचारी | 15.34 लाख कर्मचारी |
टॉप पांच कंपनियों का ये कुल नंबर फिर भी रेलवे के 12.52 लाख और भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में काम करने वाले 14.2 लाख कर्मियों से ज्यादा है.
रेलवे और PSU की नौकरियों में गिरावट
- रिपोर्ट के मुताबिक, 1990-91 में रेलवे में 16.5 लाख नियमित कर्मचारी थे, जो 2022-23 तक घटकर 11.9 लाख रह गए.
- हालांकि 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 12.5 लाख हो गई, लेकिन 1990-91 के मुकाबले अब भी 4 लाख कम है.
- सरकारी कंपनियों (PSUs) में 1990-91 में जहां 22.2 लाख लोग काम करते थे, 2023-24 तक यह आंकड़ा सिर्फ 8.1 लाख रह गया है.
बैंकिंग सेक्टर: सरकारी बैंक बनाम प्राइवेट बैंक
साल | सरकारी बैंक | प्राइवेट बैंक | कुल कर्मचारी |
1991-92 | 8,47,412 | 63,398 | 9,76,931 |
2015-16 | 8,27,283 | 3,87,926 | 13,00,934 |
2022-23 | 7,56,644 | 7,72,473 | 17,65,017 |
2023-24 | 7,46,679 | 8,74,049 | 18,72,217 |
- 1991-92 में कमर्शियल बैंकों में काम करने वालों की संख्या 9.8 लाख थी, जिनमें से 87% या 8.5 लाख सरकारी बैंकों में थे.
- 2020-21 तक सरकारी बैंकों में काम करने वालों की संख्या घटकर 7.7 लाख रह गई, जबकि प्राइवेट बैंकों में 6 लाख से ज्यादा थी. यानी प्राइवेट बैंकों में रोजगार बढ़ा.
- 2022-23 में पहली बार प्राइवेट बैंकों में सरकारी बैंकों से ज्यादा लोग काम कर रहे थे.
- 2023-24 में प्राइवेट बैंकों में कुल 8.74 लाख कर्मचारी थे, जबकि सरकारी बैंकों में यह संख्या 7.5 लाख से भी कम हो गई.
आज बैंकिंग सेक्टर में काम करने वालों की कुल संख्या 1991-92 के मुकाबले लगभग दोगुनी हो चुकी है.
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अब केवल टॉप प्राइवेट बैंकों की बात करें, तो 2023-24 में:
- HDFC बैंक में 2,13,527 कर्मचारी थे, जो कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के 2,32,296 से थोड़ा ही कम है.
- ICICI बैंक 1,41,009 और एक्सिस बैंक 1,04,332 में कर्मचारियों की संख्या पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 1,02,349 से ज्यादा थी.
- कोटक महिंद्रा बैंक 77,923 और बंधन बैंक 75,748 में भी उतने ही लोग काम कर रहे थे, जितने सरकारी बैंकों जैसे केनरा बैंक 82,643, यूनियन बैंक 75,880 और बैंक ऑफ बड़ौदा 74,886 में हैं.
एक और दिलचस्प आंकड़ा बताते हैं फ्रीलांस और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों की संख्या अब तेजी से बढ़ी है:
- इंडिया इकोनॉमिक इंपैक्ट रिपोर्ट 2024 के अनुसार, Uber से 10 लाख से ज्यादा ड्राइवर जुड़े हैं
- Zomato के साथ अक्टूबर-दिसंबर 2024 में हर महीने औसतन 4,80,000 फूड डिलीवरी पार्टनर और 1,45,000 क्विक-कॉमर्स राइडर जुड़े थे.
- इसी दौरान Swiggy में 5,43,562 एक्टिव डिलीवरी पार्टनर थे.
ग्लोबलाइजेशन के बाद बदला ट्रेंड
देश आजाद हुआ तब से ही सबसे ज्यादा नौकरियां सरकार देते आ रही है. 31 मार्च 1995 तक सरकारी नौकरियों में कुल 194.7 लाख लोग थे, जबकि संगठित निजी क्षेत्र में केवल 80.6 लाख लोग थे. लेकिन 1991 में जब भारत की अर्थव्यवस्था खुली, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन बढ़ा तो धीरे-धीरे सरकारी नौकरियों की संख्या घटने लगी और 31 मार्च 2012 तक यह 176.1 लाख रह गई, जबकि निजी क्षेत्र में रोजगार बढ़कर 119.7 लाख हो गया.
बता दें कि सरकार ने 2011-12 के बाद से रोजगार के आंकड़े जारी करने ही बंद कर दिए हैं. यहां तक कि बजट से पहले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह आंकड़े 2011-12 तक के ही हैं.
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