इन फेमस इंडियन का सीधा ईरान से नाता, लिस्ट में टाटा, मिस्त्री से लेकर बोमेन तक
इजरायल और ईरान के बीच जंग छिड़ी हुई है. दोनों देश हाईटेक मिसाइलों से हमले कर रहे हैं. लेकिन आज हम बात करेंगे उन 5 शानदार हस्तियों की, जो ईरान से भारत आए और यहां अपनी मेहनत और टैलेंट से छा गए. इन्होंने न सिर्फ भारत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि दुनिया में भी अपना नाम रोशन किया.

Iranian in India: इजरायल और ईरान के बीच जंग छिड़ी हुई है. दोनों देश हाईटेक मिसाइलों से हमले कर रहे हैं. अब तो अमेरिका भी इस जंग में कूद पड़ा है. 21 जून को राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इस खबर से लोगों में डर का माहौल है. एक समय था जब 1979 की ईरानी क्रांति के बाद कई पारसी लोग ईरान छोड़कर चले गए. उस क्रांति में शाह का तख्ता पलट हुआ और नया इस्लामिक शासन आया. जो लोग इस शासन से सहमत नहीं थे या जिन्हें सताया गया, उन्होंने बेहतर जिंदगी की तलाश में दूसरे देशों का रुख किया. आज फिर ईरान के लोग डर रहे हैं कि कहीं उन्हें अपना देश न छोड़ना पड़े. लेकिन आज हम बात करेंगे उन 5 शानदार हस्तियों की, जो ईरान से भारत आए और यहां अपनी मेहनत और टैलेंट से छा गए. इन्होंने न सिर्फ भारत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि दुनिया में भी अपना नाम रोशन किया.
पालोनजी शापूरजी मिस्त्री
पालोनजी शापूरजी मिस्त्री के पूर्वज ईरान से भारत आए. वे पारसी समुदाय से थे. धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए वे भारत आ गए. शापूरजी का जन्म साल 1929 में मुंबई में हुआ. उनके दादाजी ने साल 1865 में शापूरजी पलोन्जी ग्रुप की नींव रखी थी. शापूरजी ने इस कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उन्होंने मुंबई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, ताजमहल पैलेस होटल और ओबेरॉय होटल जैसे आइकॉनिक इमारतें बनाईं. उन्होंने कंपनी को विदेशों तक फैलाया और साल 1971 में ओमान के सुल्तान के महल का निर्माण किया. शापूरजी टाटा ग्रुप के सबसे बड़े शेयरहोल्डर भी थे. उनकी मेहनत ने उन्हें भारत और यूरोप के सबसे अमीर लोगों में शामिल किया.
टाटा फैमिली
टाटा परिवार के पूर्वज 8वीं सदी में ईरान से भारत आए. उन्होंने गुजरात के नवसारी में 25 पीढ़ियों तक जीवन बिताया, फिर कारोबार के लिए मुंबई चले गए. साल 1868 में जमशेदजी टाटा ने एक ट्रेडिंग कंपनी शुरू की. यह आज टाटा ग्रुप है. टाटा परिवार हमेशा देश और समाज की भलाई में विश्वास रखता था. जमशेदजी और उनके बेटों, दोराबजी और रतन टाटा ने अपनी संपत्ति चैरिटी ट्रस्ट्स को दी. आज टाटा ट्रस्ट्स के तहत 14 ट्रस्ट्स अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं. रतन टाटा टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन थे. उनके निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा नए चेयरमैन बने. नोएल ने ट्रेंट और टाटा इंटरनेशनल को बड़ा किया.
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फारुख शोकरी
फारुख शोकरी मुंबई के मशहूर क्यानी एंड कंपनी कैफे के मालिक हैं, जो 1904 में ईरान से आए खोदराम मरेजबान ने शुरू किया था. यह मुंबई का सबसे पुराना इरानी कैफे है. फारुख के पिता अफलातून शोकरी ईरान से मुंबई आए और 1960 में यह कैफे खरीदा. फारुख 1995 से कैफे चला रहे हैं. उन्होंने पारसी खाना जैसे सल्ली बोटी और धनसाक मेन्यू में जोड़ा. यहां चाय 24 रुपये और खीमा 200 रुपये से कम में मिलता है. बॉलीवुड स्टार्स से लेकर आम लोग यहां आते हैं. पुराने पोलिश कुर्सियां और पुराना माहौल आज भी वैसा ही है. फारुख कहते हैं, पहले यहां रिहायशी इलाका था, अब कमर्शियल है. कई इरानी कैफे बंद हो गए पर क्यानी चल रहा है. फारुख की बेटी ने बेकरी में नए केक जोड़े.
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अर्देशिर ईरानी
अर्देशिर ईरानी ने भारत में बोलती फिल्मों की नींव रखी. साल 1886 में पुणे में जन्मे अर्देशिर एक पारसी परिवार से थे, इनके पूर्वज भी ईरान से भारत आए. साल 1931 में उन्होंने भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनाई. इसने सिनेमा की दुनिया बदल दी. इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता, बल्कि हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी. अर्देशिर ने अपने स्टूडियो ‘इम्पीरियल फिल्म कंपनी’ के जरिए कई फिल्में बनाईं और भारतीय सिनेमा को नया मुकाम दिया.
बोमन ईरानी
बोमन ईरानी आज बॉलीवुड का जाना-माना नाम हैं. साल 1959 में मुंबई में जन्मे बोमन के पूर्वज भी ईरान से भारत आए थे. उनका बचपन मुश्किलों से भरा था. पिता का निधन उनके जन्म से पहले हो गया था. बोमन ने फोटोग्राफी से करियर शुरू किया, फिर थिएटर जॉइन किया और आखिरकार फिल्मों में आए. ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में डॉ. अस्थाना का किरदार हो या ‘3 इडियट्स’ में वायरस, बोमन ने हर रोल में जान डाल दी. उनकी एक्टिंग का जादू आज भी दर्शकों को बांधे रखता है.
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