भारत के लिए वरदान बन सकता है अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर! टेक्सटाइल से इलेक्ट्रॉनिक्स तक में बढ़ेंगे एक्सपोर्ट के मौके

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड टेंशन ने भारत के लिए नए मौके खोल दिए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीनी प्रोडक्ट्स पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले के बाद अब अमेरिकी खरीदार अल्टरनेटिव सप्लायर की तलाश में हैं, और भारत एक मजबूत दावेदार बनकर उभर रहा है. जानें पूरा मामला.

भारत को होगा फायदा? Image Credit: @Canva/Money9live

US China Trade Tariff War India: अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर बढ़ते व्यापारिक तनाव से भारत को अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है. अमेरिकी सरकार की ओर से चीनी प्रोडक्ट पर नए टैरिफ लगाए जाने के बाद अब अमेरिकी खरीदार वैकल्पिक सप्लायर्स की तलाश में हैं और भारत इसके लिए एक मजबूत दावेदार बनकर उभर रहा है. दरअसल हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने की वकालत करते हुए 100 फीसदी टैरिफ लागू करने का फैसला कर दिया है. अब इसी फैसले को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका के इस फैसले से भारत का फायदा हो सकता है. आइए विस्तार से इसकी जानकारी देते हैं.

भारत को मिल सकता है एक्सपोर्ट बूस्ट

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को लगभग 86 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया था. अब टेक्सटाइल, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों में भारतीय कंपनियों के लिए एक्सपोर्ट के नए अवसर तेजी से बढ़ सकते हैं. पीटीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन को कोट करते हुए कहा कि अमेरिका-चीन के बीच यह तनाव भारतीय एक्सपोर्टर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. उन्होंने कहा, “इस टकराव से हमें निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ेगी.”

चीनी सामान महंगे, भारतीयों को बढ़त

अमेरिकी सरकार की ओर से चीनी वस्तुओं पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद अब चीनी प्रोडक्ट अमेरिका में पहले से कहीं ज्यादा महंगे हो जाएंगे. इससे भारतीय प्रोडक्ट्स को ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ यानी समान प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर थिंक टैंक GTRI (Global Trade Research Initiative) ने कहा कि इस टैरिफ वॉर का असर सिर्फ चीन और अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), विंड टर्बाइनों और सेमीकंडक्टर पार्ट्स की ग्लोबल कीमतें भी बढ़ेंगी.

भारत के पास रणनीतिक अवसर

वर्तमान में अमेरिका भारतीय प्रोडक्ट्स पर लगभग 50 फीसदी टैरिफ लगाता है, जो कि चीन के 30 फीसदी शुल्क से भी अधिक है. इसके बावजूद, अब भारत को लागत और क्वालिटी के स्तर पर बढ़त हासिल करने का मौका मिल सकता है, खासकर उन सेक्टरों में जहां कीमत और मात्रा दोनों मायने रखते हैं. ईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि भारत इस मौके का फायदा तभी लंबे समय तक उठा पाएगा जब वह अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाएगा, क्वालिटी मानकों को बनाए रखेगा और अमेरिकी नियमों के अनुरूप निर्यात करेगा.

भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध और बढ़े

अमेरिका 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, जिसके साथ 131.84 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ. इसमें भारत का निर्यात हिस्सा 86.5 अरब डॉलर रहा. कुल मिलाकर, भारत के 18 फीसदी निर्यात और 10.73 फीसदी मर्चेंडाइज ट्रेड का हिस्सा अमेरिका के साथ है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, जो भारत की स्थिति को और मजबूत बना सकता है.

कहां से शुरू हुई टकराव?

मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को चीन के खिलाफ 100 फीसदी टैरिफ की घोषणा की, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जारी युद्ध फिर से भड़क गया है. यह नया शुल्क 1 नवंबर 2025 से लागू होगा. ठीक उस समय जब मौजूदा टैरिफ राहत की अवधि खत्म होने वाली थी. यह कदम तब आया जब चीन ने 9 अक्टूबर 2025 को Rare Earth Elements के निर्यात पर व्यापक नियंत्रण लगाए जो अमेरिकी रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहनों और क्लीन एनर्जी इंडस्ट्रीज के लिए बेहद जरूरी हैं.

ट्रंप ने इसे “hostile order” यानी “शत्रुतापूर्ण कदम” बताया और कहा, “हर एलिमेंट जिसमें चीन ने एकाधिकार कर रखा है, हमारे पास उसका विकल्प मौजूद है.” उन्होंने यह भी कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से तय बैठक पर अब “कोई खास वजह नहीं दिखती,” हालांकि बाद में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “अभी बैठक रद्द नहीं की गई है, संभव है कि वह हो.”

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