अमेरिका में फेल हुई कंपनी अब भारत में ला रही IPO, रिवाइवल की है गजब कहानी, जानें पूरी कुंडली
WeWork India IPO लाने की तैयारी में है. कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन सुधर रहा है, लेकिन कंपनी को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कंपनी ने अपने बिजनेस मॉडल को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जानें इसके बारे में हर बात...

WeWork India IPO: Embassy Group की कंपनी WeWork India ने SEBI के पास IPO के लिए दस्तावेज जमा कर दिए हैं. यह IPO सिर्फ ऑफर-फॉर-सेल (OFS) होगा, जिसका मतलब है कि इसमें कोई नया शेयर जारी नहीं किया जाएगा. सिर्फ मौजूदा निवेशक 4.37 करोड़ शेयर बेचेंगे. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर 2023 में WeWork Inc. दिवालिया हो गई था, तो कोई WeWork India में क्यों निवेश करना चाहेगा? चलिए आईपीओ आने से पहले इस कंपनी से जुड़ी हर बात को समझ लेते हैं.
WeWork Inc. और WeWork India में फर्क है. वीवर्क इंडिया यह एक अलग बिजनेस और ब्रांड है, जो सिर्फ WeWork ब्रांड को लाइसेंस पर इस्तेमाल करता है. इसे भारत की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी Embassy Group ऑपरेट करती है, जिसकी इसमें 73% हिस्सेदारी है. बाकी हिस्सा WeWork Inc. का है.
जब WeWork Inc. तेजी से विस्तार करने के प्लान में लगा हुआ था तब WeWork India ने टिकाऊ और प्रॉफिटेबल बिजनेस मॉडल पर ध्यान दिया.
WeWork Inc. की गलतियों से सीखा WeWork India
WeWork Inc. का बिजनेस मॉडल गड़बड़ था. उसकी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उसने लॉन्ग-टर्म लीज पर ऑफिस लिए, लेकिन उसके कस्टमर शॉर्ट-टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर थे. इसका नतीजा यह हुआ कि जब बाजार में मांग घटी, तो कंपनी को लंबे समय तक किराया चुकाना पड़ा, जिससे वह घाटे में चली गई.
WeWork India ने इस गलती से सीखा और दो चीजों पर फोकस किया:
- रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल अपनाया: कंपनी ने फिक्स किराया देने की बजाय प्रॉपर्टी मालिकों के साथ मुनाफा बांटने का मॉडल अपनाया. इससे अगर बिजनेस अच्छा चलता है, तो दोनों को फायदा होता है, और अगर नहीं चलता, तो नुकसान भी बंट जाता है.
- बड़े एंटरप्राइज क्लाइंट्स को टारगेट किया: स्टार्टअप्स अक्सर बंद हो सकते हैं, लेकिन बड़ी कंपनियां लंबे समय के लिए ऑफिस किराए पर लेती हैं, जिससे बिजनेस स्थिर रहता है.
बिजनेस मॉडल को कैसे मजबूत किया गया?
- लॉन्ग-टर्म लीज पर निर्भरता नहीं: कंपनी ने बेयर-शेल यानी खाली पड़ी प्रॉपर्टी लीज पर ली और बेहतर किराया शर्तें तय की है.
- लीज कॉन्ट्रैक्ट 10 साल का, लेकिन लॉक-इन पीरियड सिर्फ 3-5 साल का रखा: इससे कंपनी को फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी मिल गई.
- कई जगहों पर 5 महीने तक का किराया-फ्री पीरियड लिया, जिससे 5 महीने तक रेंट नहीं देना होता है तो शुरुआती खर्च कम हुआ.
- रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल के जरिए रिस्क मकान मालिकों पर शिफ्ट कर दिया.
WeWork India ने वित्त वर्ष 2024 में 135.8 करोड़ का नुकसान दर्ज किया, जो पिछले वित्त वर्ष 146.8 करोड़ के मुकाबले कम है. यानी कंपनी का घाटा घट रहा है, जो एक पॉजिटिव संकेत है.
FY24 में कंपनी का कुल रेवेन्यू 1,665.1 करोड़ रहा, जो पिछले साल के 1,314.5 करोड़ से 26.7% ज्यादा है. यह दिखाता है कि कंपनी की कमाई तेजी से बढ़ रही है, भले ही वह अभी तक पूरे साल के लिए मुनाफे में नहीं आई हो.
वहीं पहली बार 6 महीनों में कंपनी ने 174.6 करोड़ का मुनाफा कमाया है. इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 918.2 करोड़ रहा है.
इसका रेवेन्यू टू रेंट मल्टिपल 2.7x है, यानी कंपनी जितना किराया देती है, उससे 2.7 गुना ज्यादा कमाई कर रही है.
कंपनी के सामने कौन सी चुनौतियां हैं?
- बढ़ता कॉम्पिटिशन: Smartworks, Awfis, IndiQube जैसे प्लेयर्स मार्केट में मजबूत हो रहे हैं.
- कॉमर्शियल रियल एस्टेट कंपनियां खुद फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस ऑफर कर रही हैं, जिससे WeWork India के लिए बाजार में बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
इस बात पर भी ध्यान हो कि IPO पूरी तरह से Offer for Sale है, यानी इसमें जुटाया गया पैसा सीधे कंपनी को नहीं मिलेगा, बल्कि मौजूदा निवेशकों के पास जाएगा. पुराने निवेशक कंपनी से बाहर भी निकल रहे हैं, बिना नए फंड्स के कंपनी कैसे बढ़ेगी? ये भी एक सवाल है.
Disclaimer: मनी9लाइव किसी भी आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता. निवेश का कोई भी फैसला लेने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लें.
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