190 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में ED का बड़ा एक्शन, दिल्ली-UP समेत 10 जगहों पर छापेमारी; कई लोग जांच के घेरे में
प्रवर्तन निदेशालय ने 190 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की 10 लोकेशनों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई श्री सिद्धदाता इस्पात प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई. इसके अलावा यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन सुबोध कुमार गोयल को 6,200 करोड़ रुपये के एक अन्य बैंक फ्रॉड केस में गिरफ्तार किया गया है.

ED Raid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धोखाधड़ी के एक मामले में बड़ी कार्रवाई की है. 5 जून को कथित 190 करोड़ रुपये के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में ED ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 10 जगहों पर छापेमारी की. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश में नोएडा और गाजियाबाद तथा हरियाणा में पानीपत में भी तलाशी ली गई. तो चलिए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है.
इनके खिलाफ हुई छापेमारी
अधिकारियों ने PTI को बताया कि यह छापेमारी श्री सिद्धदाता इस्पात प्राइवेट लिमिटेड और अन्य से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग इनवेस्टिगेशन का हिस्सा है, जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा (पूर्व में देना बैंक) के साथ धोखाधड़ी का दावा किया गया है. उन्होंने बताया कि यह छापेमारी 10 लोकेशन पर कंपनी से जुड़े डायरेक्टर्स, प्रमोटरों, पार्टनर्स, ऑडिटर्स और अन्य लोगों के खिलाफ की गई है जो इस मामले में शामिल हैं.
यह जांच 190 करोड़ रुपये की कथित बैंक लोन धोखाधड़ी से संबंधित है. जांच के घेरे में आई कंपनी श्री सिद्धदाता इस्पात, कोल्ड और होल्ड रोल्ड स्टील प्रोडक्ट बनाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमोटरों से इस कार्रवाई पर टिप्पणी के लिए तुरंत संपर्क नहीं हो सका.
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UCO Bank के पूर्व चेयरमैन गिरफ्तार
इससे पहले ED ने 16 मई को यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन सुबोध कुमार गोयल को कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उनके दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार किया था. PTI की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला कोलकाता स्थित एक कंपनी से जुड़े 6,200 करोड़ रुपये से अधिक के कथित बैंक लोन फ्रॉड से संबंधित है.
PTI की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बैंक धोखाधड़ी मामले में Concast Steel and Power Limited (CSPL) और अन्य के खिलाफ जांच के तहत ED ने अप्रैल में गोयल और कुछ अन्य से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की थी. ये आरोप केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक FIR पर आधारित हैं, जो CSPL को लोन की मंजूरी और उसके बाद 6,210.72 करोड़ रुपये (ब्याज को छोड़कर मूल राशि) के लोन के बड़े पैमाने पर “डायवर्सन” और “साइफनिंग” से संबंधित हैं.
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