इंडिगो की उड़ानें क्यों हो रही हैं कैंसिल? FDTL नियम का असर उसी पर ज्यादा क्यों, जानें कहां हो गई चूक

भारतीय हवाई अड्डों पर इन दिनों इंडिगो के काउंटरों पर गुस्सा साफ दिख रहा है. वजह भी गंभीर है लगातार देरी, उड़ानें रद्द होने का सिलसिला. पिछले कुछ दिनों में लगभग 1,000 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों की यात्रा पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द क्यों हो रही हैं? क्या यह सिर्फ मौसम या तकनीकी दिक्कतों की बात है, या परेशानी इससे कहीं गहरी है?

इंडिगो की उड़ानें क्यों हो रही हैं कैंसिल Image Credit: AI

भारतीय हवाई अड्डों पर इन दिनों इंडिगो के काउंटरों पर गुस्सा साफ दिख रहा है. वजह भी गंभीर है लगातार देरी, उड़ानें रद्द होने का सिलसिला और हजारों फंसे हुए यात्री. पिछले कुछ दिनों में लगभग 1,000 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों की यात्रा पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है. चेन्नई एयरपोर्ट ने भी आज यानी 5 दिसंबर को जो कैंसिलेशन लिस्ट जारी की, उसमें सभी उड़ानें इंडिगो की थीं. बेंगलुरु में लगातार चौथे दिन उथल-पुथल जारी रही, जहां शुक्रवार सुबह 102 उड़ानें रद्द कर दी गईं. वहीं गोवा एयरपोर्ट से भी सुबह 30 घरेलू उड़ानें रद्द करनी पड़ीं.

ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द क्यों हो रही हैं? क्या यह सिर्फ मौसम या तकनीकी दिक्कतों की बात है, या परेशानी इससे कहीं गहरी है?

इंडिगो की फ्लाइटें इतनी ज्यादा क्यों कैंसिल हो रही हैं?

इंडिगो का कहना है कि हालात कई अप्रत्याशित ऑपरेशनल चुनौतियों की वजह से बिगड़े. इसमें मौसम की परेशानी, तकनीकी दिक्कतें और विंटर शेड्यूल में बदलाव जैसी आम समस्याएं शामिल हैं. लेकिन इस बार मामला इतना बड़ा इसलिए बना क्योंकि इन सबके साथ एक और बड़ा बदलाव भी जुड़ा — नए FDTL (Flight Duty Time Limit) नियम, जो जनवरी 2024 में DGCA ने लागू किए थे.

इन नियमों का उद्देश्य पायलट और क्रू को ज्यादा आराम देना और उड़ानों की सुरक्षा बढ़ाना है. लेकिन जैसे ही ये नियम लागू हुए, एयरलाइंस खासकर इंडिगो अपने पुराने शेड्यूल के हिसाब से उड़ानें नहीं चला पाईं. पायलटों की उपलब्धता कम हो गई, शेड्यूल बिगड़ गया और उड़ानें रद्द होने लगीं.

क्या है DGCA का नया नियम?

DGCA के नए नियमों के मुताबिक, पायलटों के साप्ताहिक आराम के घंटे बढ़ा दिए गए हैं, रात की ड्यूटी की परिभाषा बढ़ा दी गई, और कुल ड्यूटी घंटे घटा दिए गए. लेकिन सबसे बड़ा असर इस बात से पड़ा कि अब एक पायलट सिर्फ दो नाइट लैंडिंग कर सकता है, जबकि पहले वह छह कर सकता था. यानी जो पायलट पहले रात की कई उड़ानें संभाल लेते थे, अब वह संभव ही नहीं रहा. इंडिगो की उड़ानों में रात के ऑपरेशन काफी ज्यादा होते हैं, इसलिए इसका सबसे बड़ा झटका इसी एयरलाइन को लगा.

इंडिगो ही सबसे ज्यादा क्यों फंसी?

इंडिगो रोजाना 2,200 से ज्यादा उड़ानें ऑपरेट करती है, जो एयर इंडिया के मुकाबले लगभग दोगुनी संख्या है. ऐसे में इसके ऑपरेशन में 10 से 20 फीसदी भी गड़बड़ी आ जाए तो 200 से 400 उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं. इसके अलावा इंडिगो की कार्यप्रणाली हमेशा से ऐसी रही है कि वह कम लागत में ज्यादा उड़ानें चलाती है और रात की उड़ानों पर काफी निर्भर रहती है. लेकिन नए FDTL नियम इसी मॉडल से टकरा गए. पायलटों की कमी तुरंत महसूस होने लगी और एयरलाइन अपने शेड्यूल को संभाल नहीं पाई. इसी वजह से इंडिगो की उड़ानें सबसे ज्यादा रद्द हो रही हैं, जबकि बाकी एयरलाइंस सीमित तौर पर ही प्रभावित हुईं.

पायलट फेडरेशन की शिकायत

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने साफ कहा कि इंडिगो को इन नए नियमों की जानकारी दो साल पहले से थी, फिर भी एयरलाइन ने:

संघ का कहना है कि बाकी एयरलाइंस ने पहले से ही अपने शेड्यूल और स्टाफ को नए नियमों के हिसाब से सेट कर लिया था, इसलिए वे बड़ी मुश्किल से बच गईं. लेकिन इंडिगो में कई विभाग लंबे समय से अंडर स्टॉफ हैं, खासकर फ्लाइट ऑपरेशन से जुड़े विभाग. यही वजह है कि नियम बदलते ही सबसे बड़ा असर इसी एयरलाइन पर पड़ा.

DGCA ने अब फैसला वापस लिया

हालांकि लगातार बढ़ रहे कैंसिलेशन, देरी और यात्रियों की शिकायतों के बीच DGCA ने आखिरकार क्रू रेस्ट टाइम से जुड़े अपने पुराने प्रावधान को वापस ले लिया. DGCA ने कहा कि एयरलाइंस से आए रिप्रेजेंटेशन में यह सामने आया कि कुछ नए प्रावधानों की वजह से ऑपरेशन की स्टेबिलिटी और कंटिन्यूटी प्रभावित हो रही है. इसलिए DGCA इस नियम की दोबारा समीक्षा करेगा. इस फैसले के बाद सभी एयरलाइंस, खासकर इंडिगो, ने राहत की सांस ली है. उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में उड़ान सेवाओं में सुधार दिखेगा और यात्रियों की परेशानी कम होगी.

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