फिर लटका दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, अब फरवरी 2026 में खुलने की उम्मीद, जानें कहां फंसा है पेंच

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पूरा होने के बाद न सिर्फ यात्रा का समय आधा रह जाएगा बल्कि उत्तराखंड पर्यटन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा. हालांकि, लगातार बढ़ती डेडलाइनों से लोगों की उम्मीदें फिलहाल थोड़ी ठंडी पड़ गई हैं. फरवरी 2026 तक अगर सभी फेज पूरे हो जाते हैं, तो यह देश के सबसे मॉडर्न और पर्यावरण-संवेदनशील एक्सप्रेसवे में से एक होगा.

दिल्ली- देहरादून एक्सप्रेसवे Image Credit:

दिल्ली से देहरादून की दूरी अब भी कुछ वक्त तक 6 घंटे ही रह सकती है. लंबे समय से चर्चा में रहा दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे एक बार फिर देरी का शिकार हो गया है. करीब 11,868.6 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अब फरवरी 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. एक्सप्रेसवे पूरी तरह चालू होने के बाद दिल्ली से देहरादून का सफर सिर्फ 2.5 घंटे में पूरा किया जा सकेगा. दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के निर्माण में पहले भी कई बार देरी हो चुकी है.

शुरुआत में इसे दिसंबर 2024 तक पूरा करने की प्लानिंग थी. इसके बाद जुलाई 2025 में राज्यसभा में दिए गए जवाब में नई डेडलाइन अक्टूबर 2025 बताई गई. अब ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, काम की गति को देखते हुए उद्घाटन फरवरी 2026 तक टल गया है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को सलाह दी कि इस परियोजना का उद्घाटन तभी किया जाए जब इसके सभी चारों फेज पूरी तरह तैयार हों और संचालन की स्थिति में हों.

चार फेज में बन रहा है एक्सप्रेसवे

पहला फेज

पहले फेज के तहत् दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क, मांडोला विहार होते हुए बागपत के खेकड़ा तक जाता है. यह हिस्सा छह महीने पहले से ही लगभग तैयार है. सितंबर 2025 में दिल्ली में बाढ़ के दौरान कुछ लोगों ने इसे अस्थायी रूप से इस्तेमाल भी किया था.

दूसरा फेज

बागपत से सहारनपुर तक का सेक्शन लगभग पूरा हो चुका है. कुछ छोटे हिस्सों पर फिनिशिंग का काम चल रहा है.

तीसरा फेज

सहारनपुर बाईपास से गणेशपुर तक की मौजूदा सड़क को चौड़ा किया जा रहा है. यह भाग भी अब आखिरी चरण में है.

चौथा फेज

देहरादून के पास सुरंगों और एलिवेटेड रोड का निर्माण जारी है. मानसून में मौसमी नदी के पास सुरक्षा कार्य किए गए थे. एनएचएआई के एक अधिकारी के मुताबिक, दात काली मंदिर के पास फ्लड प्रोटेक्शन, मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन और टनल फिनिशिंग जैसे काम नवंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे.

क्या है इस एक्सप्रेसवे की खासियत?

एक्सप्रेसवे को लेकर उठे कई विवाद

परियोजना को लेकर एक बड़ा विवाद पेड़ों की कटाई को लेकर रहा. राज्यसभा में दिए गए सरकारी जवाब के अनुसार, इसके निर्माण के लिए करीब 17,913 पेड़ काटे या ट्रांसप्लांट किए गए हैं. इसकी भरपाई के लिए एनएचएआई ने 50,600 पेड़ लगाने की पहल की है और 40 करोड़ रुपये यूपी और उत्तराखंड के वन विभागों को दिए हैं. इसके अलावा मार्च 2025 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एनएचएआई पर जुर्माना भी लगाया था क्योंकि उसने अपने क्षतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation) की पूरी योजना का ब्यौरा समय पर नहीं दिया था.

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