भारत बना रहा अपना Iron Dome और S-500 से भी धांसू एयर डिफेंस सिस्टम, DRDO प्रमुख ने बताया प्लान

भारत अपना खुद का आयरन डोम तैयार कर रहा है. इसके अलावा रूस के S-500 से भी धांसू एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है. यह जानकारी DRDO चीफ ने खुद एक इंटरव्यू में दी है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि DRDO कई ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो आने वाले दिनों में भारतीय रक्षा बलों की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे.

पिनाका मिसाइल सिस्टम Image Credit: X/AlphaDefense

DRDO यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में रीढ़ की भुमिका निभा रहा है. DRDO चीफ डॉ. समीर कामत के मुताबिक DRDO फिलहाल पूरे जोर शोर से इजरायल के आयरन डोम जैसा एक लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एयर डिफेंस के लिए भारत के पास फिलहाल आकाश मिसाइल, क्यूआरएसएएम और रूस में बना एस-400 काम ले रहा है. लेकिन, आने वाले समय के लिए भारत कुशा एयर डिफेंस सिस्टम पर काम कर रहा है, जो रूस के S-500 से भी ज्यादा ताकतवर होगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जल्द ही सेना को नया पिनाका मिसाइल सिस्टम भी डिलीवर किया जाएगा.

कितने वर्जन हो रहे तैयार?

पिनाका के बारे में बात करते हुए डॉ. कामत ने बताया कि DRDO ने पिनाका का गाइडेड वर्जन तैयार किया है, जिसके सभी परीक्षण भी पूरे हो चुके हैं. जल्द ही इसका मास प्रोडक्शन शुरू किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पिनाका-3 और पिनाका-4 पर भी काम चल रहा है, जिनकी रेंज 120 और 300 किमी तक होगी. ये नए सिस्टम अगले तीन से पांच वर्षों में भारतीय सेना में शामिल हो सकते हैं.

गाइडेड पिनाका कब तक मिलेगा?

डॉ. कामत ने बताया कि डीआरडीओ ने अपने कमर्शियल पार्टनर्स के साथ नए गाइडेड पिनाका सिस्टम का मास प्रोडक्शन शुरू करने की पूरी तैयारी कर ली है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, भारत अब आर्टिलरी के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन चुका है. अब आगे के सभी विकास राष्ट्रीय रक्षा जरूरतों के मुताबिक होंगे.

क्यों अहम है पिनाका सिस्टम?

पिनाका एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर है. इसमें एडवांस्ड नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम लगा है. इसके पहले वैरिएंट यानी MK-I की रेंज 40 किमी है, जबकि पिनाका II और MK-II ER की रेंज क्रमशः 60 किमी और 90 किमी है. यह एक ऑल वेदर रॉकेट आर्टिलरी वेपन सिस्टम है, जो भारत की युद्ध क्षमताओं का एक अहम घटक है. इससे कम समय में तेजी से दुश्मन पर हमले के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष में सेना इसका इस्तेमाल कर चुकी है. यह काफी प्रभावी साबित हुआ है. भारतीय सेना 2030 तक पिनाका की 22 रेजिमेंट चाहती है.