भारत के पास कितने S-400 और कितनी रेजिमेंट, पाक छोड़िए चीन भी कांपेगा, ऐसे फैला है जाल
भारत के पास अब तकS- 400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीन रेजिमेंट तैनात हो चुकी हैं—पंजाब, राजस्थान और पूर्वोत्तर में . चौथी रेजिमेंट 2025 के अंत तक और पांचवीं 2026 में शामिल होगी . हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में S- 400 ने मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम कर अपनी ताकत साबित की .
How many S-400 India have: हाल ही में भारत-पाकिस्तान में हुए 4 दिवसीय युद्ध में दुनिया ने भारत के एयर डिफेंस का जलवा देखा. पाकिस्तान द्वारा दागे गए लगभग सभी ड्रोन भारतीय एयर डिफेंस ने हवा में ही नेस्तनाबूद कर दिया. इसमें स्वदेशी एंटी ड्रोन गन, आकाश मिसाइल सिस्टम और रूस से महंगा खरीदा गया S- 400 शामिल है. हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा S- 400 की हुई क्योंकि इसने पाकिस्तान द्वारा आदमपुर बेस को टारगेट कर लॉन्च की गई चीन की सुपरसोनिक मिसाइल को मार गिराया और इसी डिफेंस सिस्टम के ताकतवर राडार सिस्टम के चलते ही आकाश और एंटी ड्रोन गन ने ज्यादा प्रभावशाली तरह से काम किया.
अभी भारत के पास S- 400 की तीन रेजिमेंट हैं, लेकिन जल्द ही इसकी ताकत में बढ़ोतरी होने वाली है क्योंकि दो और रेजिमेंट इसमें और शामिल होने वाले हैं. इन रेजिमेंट्स के सेना में शामिल होने के बाद पाकिस्तान के साथ-साथ चीन बॉर्डर भी सुरक्षित हो जाएगा क्योंकि इसे चीन बॉर्डर पर ही तैनात करने की तैयारी है.
कब तक शामिल होंगे ये 2 रेजिमेंट
इंडियन रिसर्च डिफेंस विंग की रिपोर्ट के मुताबिक, S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की चौथी रेजिमेंट साल 2025 की चौथी तिमाही तक और पांचवीं व अंतिम रेजिमेंट अगस्त 2026 तक मिलने की उम्मीद है. यह सप्लाई रूस के साथ अक्टूबर 2018 में हुए 35,000 करोड़ रुपये (5.43 अरब डॉलर) के समझौते का हिस्सा है.
कहां तैनात है ये डिफेंस सिस्टम
अब तक भारत ने तीन रेजिमेंट प्राप्त कर ली हैं, जिनको
- पहली रेजिमेंट (दिसंबर 2021): पंजाब में तैनात, पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए.
- दूसरी रेजिमेंट (2022): राजस्थान में, पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा .
- तीसरी रेजिमेंट (2023): पूर्वी सेक्टर में, चीन से सटी एलएसी की सुरक्षा के लिए.
- चौथी रेजिमेंट (Q4 2025): संभावित रूप से अरुणाचल या सिक्किम में चीन के खिलाफ.
- पांचवीं रेजिमेंट (अगस्त 2026): पूरे S-400 नेटवर्क को पूरा करेगी.
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अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने पर चल रहा है विचार
पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए सरकार इस डिफेंस सिस्टम के अब अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने पर विचार कर रही है. क्योंकि पाकिस्तान तुर्किये और चीन से ड्रोन और HQ-9 जैसे सिस्टम ले रहा है, वहीं चीन आधुनिक मिसाइलों और लड़ाकू विमानों को एलएसी पर तैनात कर रहा है. ऐसे में S-400 भारत के लिए एक रणनीतिक सुरक्षा कवच बन चुका है. विशेष रूप से सिलिगुड़ी कॉरिडोर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इसकी तैनाती, उत्तर-पूर्व भारत को हवाई खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है.