India vs China Navy: ड्रैगन के छूटेंगे पसीने, समंदर की सिकंदर बनने की तैयारी में जुटी भारतीय नौसेना
Indian Navy को पिछले सप्ताह INS Tamal की कमान मिल गई. यह भारतीय नौसेना का आखिरी वॉरशिप है, जो विदेश में बना है. फिलहाल तमाम फ्रिग्रेट, कॉर्वेट, सबमरीन और एयरक्राफ्ट कैरियर भारत में ही बन रहे हैं, जो अगले कुछ वर्षों में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे.
India vs China Navy Power: चीन सियाचिन के बर्फीले शिखरों से लेकर सुंड्रा ट्रेंच तक भारत की घेराबंदी में करना चाहता है. इसके लिए ड्रैगन भारत के आसपास नजरें गढ़ाए हुए है. लेकिन, अतीत के धोखों से सबक लेकर भारत ने अब ड्रैगन की पैंतरेबाजियों को जवाब देने की पूरी तैयारी की है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच नौसैनिक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, जिसमें खासतौर पर सबमरीन वारफेयर स्ट्रैटेजिक कॉम्पिटिशन का केंद्र बन गया है.
ड्रैगन की रेड आर्मी का दावा है कि उसने दुनिया की सबसे बड़ी सबमरीन फोर्स तैयार की है, वहीं भारत खामोशी से इन दावों के जरिये समंदर में मिलने वाली चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुटा है, जिससे ड्रैगन का पसीना छूटना तय है. भारत जहां अपने समुद्री बेड़े को मॉडर्न और बड़ा बनाने में जुटा है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ मिलकर क्वॉड के जरिये इंटेलिजेंस शेयरिंग और सहयोग के नए मंच को मजबूती दे रहा है.
अब तक चीन ने क्या किया?
अमेरिकी रक्षा विभाग की 2024 में रिलीज हुए एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की नौसैनिक गतिविधियों में खासी तेजी आई है. संख्या के लिहाज से देखा जाए, तो चीन दुनिया का सबसे बड़ा सबमरीन बेड़ा बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है. जाहिर, तौर पर आने वाले दिनों में चीन की इस अंडरवाअर पावर का असर समुद्र में होने वाली व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ सकता है.
भारत क्या तैयारी कर रहा?
ड्रैगन के इरादों को समय से ही भांपकर भारत ने भी जवाबी तैयारी शुरू कर दी है. भारत भी तेजी से अपनी नौसनिक ताकत को बढ़ा रहा है. भारत अपनी नौसेना को हार्डवेयर यानी शिप और सबमरीन के लेवल ही मजबूत नहीं कर रहा है. बल्कि, सर्विलांस और इंटेलिजेंस के लिए रीजनल सहयोग भी बढ़ा रहा है. पिछले दिनों में इस संबंध में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एक अहम समझौता किया.
चीन के बेड़े में कितना दम?
चीन की नौसैनिक क्षमता में बढ़ोतरी तीव्र और व्यापक है.चीन के पास फिलहाल करीब 60 सबमरीन हैं. इनमें 6 जिन क्लास सबमरीन हैं, जो बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च कर सकती हैं. इसके अलावा 6 शांग क्लास न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन हैं. वहीं, 48 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं. जिन क्लास सबमरीन में 12 JL-2 बैलिस्टिक मिसाइलें लगी हैं, जो 8,000 किमी तक हमला कर सकती हैं. वहीं, इन सबमरीन को JL-3 मिसाइलें यूजन करने के लिए अपग्रेड किया जा रहा है, जो 10,000 किमी तक हमले में सक्षम हैं. इसके अलावा कई और एडवांस्ड सबमरीन तैयार की जा रही हैं, जो कई तरह के पेलोड और स्टील्थ टेक से लेस होंगी.
- चीन की तैयारी में कई एडवांस्ड अंडरसी टेक्नोलॉजी शामिल हैं. मसलन, पिछले दिनों चीन ने एक AI से चलने वाला टॉरपीडो सिस्टम तैयार किया है, जो 92.2 फीसदी की सक्सेस रेट से हमले में सक्षम है.
- इसके अलावा चीन ऐसी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन बनाने में जुटा है, जिन्हें किसी भी रडार सिस्टम से डिटैक्ट करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
समंदर की सिकंदर होगी भारतीय नौसेना
ड्रैगन भले ही पूरी ताकत से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ाने में जुटा है. लेकिन, भारत भी खामोशी के साथ अपनी नौसेना को समंदर की सिकंदर बनाने में जुटा है. भारत का जोर अपनी नौसेना मॉडर्न और घातक बनाने पर है. फिलहाल, भारत नेवल एसेट्स की संख्या और टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर भले ही ड्रैगन से पीछे नजर आता है. क्योंकि, चीन जहां 60 सबमरीन ऑपरेट कर रहा है, वहीं भारत के पास 19 समबमरीन हैं. लेकिन, भारत तेजी से इनकी तादाद बढ़ाने में जुटा है. भारतीय बेड़े में फिलहाल 3 न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन हैं, वहीं 16 कन्वेंशनल डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं.
- भारत की न्यूक्लियर पावर्ड अरिहंत क्लास सबमरीन समुद्र के अंदर रहकर भारतीय सीमाओं की हिफाजत कर रही हैं. इन्हें 2016 में नौसेना में शामिल किया गया.
- इन्हें भारत में ही बनाया गया है. भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिनके पास न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन बनाने की क्षमता है.
- शुरुआत में अरिहंत क्लास सबममरीन में K-15 SLBM मिसाइलों का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन इन्हें अब K-4 मिसाइलों से अपग्रेड किया गया है, जिनकी रेंज 3,500 किमी तक है.
पोर्ट और नेवल बेस
चीन की तरह भारत भी दुनियाभर में अब पोर्ट और नेवल बेस तैयार करने में जुटा है, ताकि भारतीय नौसेना एक असली ब्लू वाटर नेवी बन पाए. इसके लिए भारत ने चीन के बनाए पाकिस्तान स्थिति ग्वादर पोर्ट के एडवांटेज को काउंटर करने के लिए ईरान में चाबहार में अपना पोर्ट तैयार किया है. इसके अलावा इसी महीने मझगांव डॉक ने कोलंबो डॉकयार्ड के अधिग्रहण का ऐलान किया है. इसके अलावा भारत ने ओमान, मॉरिशस और सिसिली में अपने नेवल एसेट्स तैयार किए हैं.
क्या है भारत-ऑस्ट्रेलिया अंडर सी सर्विलांस पैक्ट?
भारत-ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र के भीतर निगरानी के लिए एक समझौता किया है. ऑस्ट्रेलियाई के रक्षा विभाग ने इस महीने की शुरुआत में इसका ऐलान करते हुए बताया कि समझौते के तहत दोनों देश समुद्र के भीतर निगरानी करेंगे और सबमरीन व अंडर वाटर ड्रोन की पहचान और ट्रैकिंग का सिस्टम बनाएंगे. यह तीन साल की यह संयुक्त शोध परियोजना है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी समूह यानी DSTG शामिल होंगे. वहीं, भारत की तरफ से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO के साथ ही नौसेना फिजिकल एंड ओसनोग्राफिक लैबोरेटरी शामिल होंगे.