Robotic Joint Replacement Surgeries: एडवांस्‍ड ऑर्थोपेडिक इलाज के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियां ऐसे करें पहल

भारत में अर्थराइटिस और जॉइंट से जुड़ी समस्याओं के बढ़ते मामलों के बीच रोबोट-असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह तकनीक न केवल सर्जिकल एक्यूरेसी बढ़ाती है बल्कि मरीजों को तेज रिकवरी भी देती है. हालांकि बीमा कवरेज में सीमाएं अभी भी चुनौती बनी हुई हैं.

रोबोटिक सर्जरी Image Credit: money9live.com

डॉ. जयंत अरोड़ा: भारत में बढ़ती जनसंख्या, लंबी होती उम्र और गलत जीवनशैली के कारण ऑर्थोपेडिक समस्याएं, जैसे अर्थराइटिस और जोड़ों की समस्या, तेजी से बढ़ रही हैं. इस वजह से जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की मांग में भी उछाल आया है. पिछले पांच वर्षों में कुल नी रिप्लेसमेंट की संख्या 1 लाख से बढ़कर 2.5 लाख प्रति वर्ष हो गई है. इसकी वजह न केवल बीमारियों में बढ़ोतरी है, बल्कि लोगों में सर्जिकल समाधान के प्रति बढ़ती जागरूकता भी है.

रोबोटिक सर्जरी: तेज रिकवरी की गारंटी

डॉ. जयंत अरोड़ा (वरिष्ठ निदेशक और यूनिट हेड, ऑर्थोपेडिक्स, फोर्टिस अस्पताल, गुड़गांव ) का कहना है कि, आज, रोबोट-असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट सबसे एडवांस्ड और प्रिसाइज सर्जिकल तकनीकों में से एक है. इसके फायदे निम्नलिखित हैं:

बीमा कवरेज की चुनौती

डॉ. जयंत अरोड़ा का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी के फायदे स्पष्ट हैं, लेकिन भारत में अभी भी बीमा कवरेज सीमित है. जहां पारंपरिक जॉइंट रिप्लेसमेंट को अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में कवर किया जाता है, वहीं रोबोटिक सर्जरी को अभी पूरी तरह से स्वीकृति नहीं मिली है. IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने रोबोटिक सर्जरी को “मॉडर्न ट्रीटमेंट टेक्नीक” की श्रेणी में रखा है, लेकिन कई पॉलिसियों में सब-लिमिट या कैप लगे होते हैं, जिससे मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता.

भारत बनाम अमेरिका: रोबोटिक सर्जरी का अंतर

भारत में रोबोटिक सर्जरी की मांग तेजी से बढ़ रही है. 2022 में लगभग 12,000 रोबोटिक सर्जरी की गईं. हालांकि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह संभावित जरूरत का बहुत छोटा हिस्सा है. 140 करोड़ की भारतीय आबादी के मुकाबले यह संख्या बेहद कम है. अगर अमेरिका से तुलना करें तो वहां 33 करोड़ की आबादी पर 5,500 से अधिक सर्जिकल रोबोट मौजूद हैं और 2020 में 8.76 लाख रोबोटिक सर्जरी की गई थीं.

भारत की विशाल जनसंख्या और जोड़ों की बीमारियों के बढ़ते बोझ को देखते हुए, रोबोटिक तकनीक को व्यापक स्तर पर अपनाना अब आवश्यक हो गया है. आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि भारत में रोबोटिक सर्जरी की पहुंच बढ़ाने की अत्यधिक संभावना है.

बीमा कंपनियों और अस्पतालों की साझेदारी जरूरी

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि जैसे-जैसे रोबोटिक सर्जरी के फायदे साबित हो रहे हैं और लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, बीमा कंपनियों को अस्पतालों के साथ मिलकर नए नियम बनाने चाहिए ताकि मरीजों को आधुनिक इलाज मिल सके. रोबोटिक सर्जरी सिर्फ एक नई तकनीक नहीं है, यह मरीजों को जल्दी ठीक होने, कम जटिलताएं झेलने और बेहतर जीवन जीने का एक सशक्त माध्यम है.

उन्‍होंने कहा कि बीमा कंपनियों, सरकार और डॉक्टरों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हर मरीज को इसका लाभ मिल सके. साथ ही कहा कि साझा उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, हम रोबोटिक-असिस्टेड जॉइंट रिप्लेसमेंट की पूरी क्षमता को सामने लाकर भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक सक्षम और मजबूत बना सकते हैं।

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