क्या वाकई सच बोल रहे विजय माल्या, जानें क्या है 14131 करोड़ लोन वसूली की इनसाइड स्टोरी

विजय माल्या का कहना है कि वे चोर नहीं हैं. उनका इरादा हमेशा लोन को चुकाने का था, लेकिन उन्हें जबरन निशाना बनाया गया है. यहां तक कि माल्या ने भारत लौटने की बात भी कही है. सवाल यह उठता है कि क्या वाकई माल्या सच बोल रहे हैं. बहरहाल, यहां जानते हैं कि माल्या के मामले पूरी इनसाइडर स्टोरी क्या है?

जानकारों का मानना है कि अगर माल्या के दावों में दम हुआ, तो अदालत में सच सामने आ जाएगा Image Credit: money9live

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या का कहना है कि उन्हें ‘चोर’ नहीं कहा जाना चाहिए. माल्या का दावा है कि बैंक उनसे DRT के आदेश की तुलना में करीब दोगुनी रकम वसूल चुके हैं. माल्या का यह भी दावा है कि लोन डिफॉल्ट के अलग-अलग मामलों में बैंकों की तरफ से भारी-भरकम हेयरकट के साथ सेटलमेंट किया जाता रहा है. लेकिन, उनकी तरफ से पूरी रकम चुकाए जाने के बाद भी उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. फिलहाल, लंदन में रह रहे माल्या ने एक पॉडकास्ट में कहा है कि वे भारत लौटने के लिए तैयार हैं. हालांकि, वे तभी आएंगे, जब उन्हें निष्पक्ष ट्रायल और सम्मानजनक जीवन की गारंटी दी जाती है. सोशल मीडिया पर जिस तरह दावे कर रहे हैं, उन्हें देखते हुए तो लगता है कि माल्या से वाकई दोगुनी वसूली की जा चुकी है. हालांकि, जब हमने इस मामले की परतें खोलीं, तो माल्या के दावों का दम निकलता दिखा. यहां पढ़िए क्या है पूरा मामला?

क्या है माल्या का दावा?

माल्या ने अलग-अलग मौकों पर दावा किया है कि उनसे बैंकों ने DRT की तरफ से दिए गए आदेश की तुलना में ज्यादा रकम वसूल की है. इसके लिए माल्या ने वित्त मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला दिया है. माल्या ने 6 अप्रैल को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, DRT की तरफ से 6,203 करोड़ रुपये की वसूली के फैसले की तुलना में 14,131.8 करोड़ रुपये की वसूली स्वीकार की गई जो मेरे खिलाफ यूके में चल रहे दिवालियापन निरस्तीकरण आवेदन में साक्ष्य साबित होगी. हैरत होती है कि बैंक यहां न्यायालय में क्या कहेंगे?

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से 12 मार्च, 2025 को प्रकाशित रिपोर्ट में ED की तरफ से माल्या के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब्त की गई संत्तियों को सरकारी बैंकों को सौंपने की बात कही गई है. रिपोर्ट के पेज नंबर 148 पर बताया गया है कि ED किन मामलों में संपत्तियां जब्त की हैं. उन संपत्तियों की अनुमानित कीमत कितनी है. इसके साथ ही बताया गया है ED की तरफ से इन संपत्तियों को बैंकों को सौंप दिया गया है.

क्या है DRT का आदेश?

DRT यानी डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल के आदेश में कहा गया है कि SBI के नेतृत्व में कुल 14 बैंकों और वित्तीय संस्थानों के समूह यानी किंगफिशर लैंडर कंसोर्टियम को विजय माल्या और उनकी कंपनियों से 6,203 करोड़ रुपये 11 फीसदी ब्याज दर के साथ वसूलने का हक है.

क्या है बैंकों का दावा?

2018-19 में डीआरटी के आदेश के बाद विजय माल्या की तरफ से बैंकों को पूरा मामला 14,518.02 करोड़ रुपये में सैटल करने का ऑफर दिया गया. हालांकि, बैंकों के कंसोर्टियम ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. FE की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान SBI की अगुआई वाले 14 बैंकों के कंसोर्टियम ने विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज की तरफ से दिए गए 14,518.02 करोड़ रुपये के सेटलमेंट ऑफर को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह प्रस्ताव न तो “सच्चा” है, न ही “वास्तविक” है. इसके साथ ही बैंकों का कहना है कि कुल देनदारियां इन्फ्लेटेड संपत्तियों से कहीं अधिक हैं. एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब में कहा, “मूल्यांकन को बढ़ाने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास में, माल्या की कंपनी ने उन संपत्तियों को भी अपना बता दिया है, जिन्हें ED ने जब्त कर लिया है और बैंकों की तरफ से उन्हें पहले ही बेचा जा चुका है.

माल्या पर कुल कितना बकाया?

सुप्रीम कोर्ट में SBI ने माल्या के उस दावे का खंडन किया, जिसके मुताबिक बैंकों का केवल 5,958.97 करोड़ रुपये बकाया है. SBI ने बताया कि 31 अगस्त, 2020 तक बैंकों और अन्य लेनदारों का माल्या पर कुल 17,179 करोड़ रुपये बकाया है. इसमें 11,179 करोड़ रुपये बैंकों का है और 6,000 रुपये अन्य लेनदारों का है. वहीं, माल्या ने अपनी संपत्तियों के जरिये इस रकम को चुकाने का जो 14,518 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है, उसमें से 2,766.29 करोड़ रुपये की संपत्तियां बैंकों द्वारा 2019 में पहले ही बेची जा चुकी हैं. इस तरह माल्या की तरफ से असर में 11,643.20 करोड़ रुपये चुकाने का प्रस्ताव मिला है, जो वास्तविक देनदारी से बहुत कम है.

क्या है इनसाइडर स्टोरी?

विजय माल्या के मामले में एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि माल्या के केस में केवल लोन रिकवरी का मामला नहीं है. कई इस तरह के एसेट के नाम पर लोन लिए गए जिसकी कीमत बहुत कम थी. जबकि लोन की रकम ज्यादा है. इसके अलावा बुक में अंडर वैल्यूड ट्रांजैक्शन भी थे. इसी तरह जो संपत्तियां रिकवर भी कई गई उसमें भी काफी झोल था. ऐसे में भले ही माल्या लंदन पर बैठकर फुलझड़ी छोड़ रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. लोन रिकवरी की प्रक्रिया सब ऑन रिकॉर्ड होती है. अगर उनकी बातों में सच्चाई होगी, तो चीजें सामने आ जाएंगी.

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