भारत ने तैयार किया भार्गवास्त्र, चुटकियों में करेगा ड्रोन को तहस-नहस; ये हैं खासियत
भारत ने SDAL द्वारा विकसित स्वदेशी काउंटर ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' का ओडिशा के गोपालपुर में सफल परीक्षण किया गया. यह सिस्टम तीन परतों में ड्रोन को नष्ट करता है. यह 6–10 किमी तक के ड्रोन को ट्रैक कर सकता है और एक साथ कई ड्रोनों को नष्ट करने में सक्षम है. इसका मॉड्यूलर डिजाइन इसे किसी भी इलाके में तैनात करने योग्य बनाता है. पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' है.
Bhargavastra anti drone system: आज के वॉर में सबसे ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक तरफ ये किफायती होते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इनका मेंटेनेंस भी सस्ता होता है. भारत ने ड्रोन सिस्टम में एक और उपलब्धि हासिल की है. मंगलवार को ओडिशा के गोपालपुर में स्वदेशी, कम लागत वाले काउंटर ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह परीक्षण पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम समझौते के कुछ दिनों बाद किया गया. भार्गवास्त्र को सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) द्वारा डिजाइन और तैयार किया गया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि इसकी खासियतें क्या हैं और यह क्यों महत्वपूर्ण है.
कई ड्रोनों के हमले से बचाएगा
आजकल दुश्मन देश छोटे-छोटे ड्रोन से हमला कर सकते हैं. भार्गवास्त्र ऐसे हमलों को तुरंत रोक देगा, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी. यह ड्रोन झुंड के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने में भी अहम भूमिका निभाएगा. 13 मई को गोपालपुर में आर्मी एयर डिफेंस (AAD) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में रॉकेट का परीक्षण किया गया. एक परीक्षण में दो सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट दागे गए. रिपोर्ट के अनुसार, सभी चार रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और आवश्यक लॉन्च पैरामीटर हासिल किए, जो बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को रोकने में सहायक सिद्ध हुआ.
भार्गवास्त्र की मुख्य विशेषताएं
1. 3 लेयर्स में ड्रोन को मारता है
पहली परत (छोटे रॉकेट):
- 20 मीटर के दायरे में किसी भी ड्रोन को तबाह करने में सक्षम.
- 2.5 किमी तक के ड्रोन झुंड को नष्ट कर सकता है.
- ये रॉकेट बिना गाइडेंस के होते हैं लेकिन बड़ी संख्या में दागे जाते हैं.
दूसरी परत (स्मार्ट माइक्रो-मिसाइल):
- अधिक सटीक निशाने के लिए गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल.
- इसका सफल परीक्षण पहले ही हो चुका है.
तीसरी परत (सॉफ्ट-किल तकनीक):
- अगर ड्रोन बच भी जाए, तो जैमिंग (सिग्नल ब्लॉक) और स्पूफिंग (गलत सिग्नल से भ्रमित करना) के जरिए उसे निष्क्रिय कर देता है.
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2. स्मार्ट डिटेक्शन सिस्टम (ड्रोन को ढूंढने की क्षमता)
- रडार: 6 से 10 किमी दूर तक के छोटे ड्रोन को पकड़ सकता है.
- इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड सेंसर (EO/IR): जो ड्रोन रडार में नहीं दिखते, उन्हें भी पहचान लेता है.
- ऑटोमेटेड ट्रैकिंग: एक साथ कई ड्रोनों पर नजर रखने और उन्हें निशाना बनाने की क्षमता रखता है.
3. हर जगह तैनात हो सकता है
- पहाड़ी इलाकों, रेगिस्तान और सीमा क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है.
- मॉड्यूलर डिजाइन: जरूरत के अनुसार रडार, मिसाइल या सेंसर बदले जा सकते हैं.
4. पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’
- इसे भारतीय कंपनी SDAL ने डिजाइन और विकसित किया है.
- यह भारत के नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर सिस्टम के साथ काम करता है.
- आत्मनिर्भर भारत अभियान को सशक्त करता है.