किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ, जानें खासियत और यात्रा के बाद उनका क्या होता है

हर साल आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा निकलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ की क्या खासियत है? रथ के बनाने की प्रक्रिया क्या है और रथ बनाने में किस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल होता है? आइए इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं.

Rath Yatra Image Credit: Getty

Jagannath Rath Yatra: 27 जून, 2025 यानी आज शुक्रवार को ओडिशा में भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है. जगन्नाथ रथ यात्रा ना सिर्फ आस्था और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व भी है. हर साल आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि को शुरू होने वाली इस यात्रा में 40 से 50 लाख लोग शामिल होते हैं. आइए जानते हैं कि इस रथ को बनाने में किस लकड़ी का इस्तेमाल होता है.

किस पेड़ की लकड़ी से बनते हैं रथ?

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए अलग-अलग तीन रथ बनाए जाते हैं. रथ यात्रा फासी, धौरा, सिमली, सहजा, मही और दारूक पेड़ की लकड़ी से बनता है. पहले रथ में भगवान जगन्नाथ, दूसरे में भगवान बलभद्र और तीसरे में देवी सुभद्रा विराजमान होती हैं. रथ निर्माण के लिए लकड़ी ओडिशा के मयूरभंज, गंजाम और क्योंझर जिलों के जंगलों से लाई जाती है. इन जंगलों में लकड़ी काटने से पहले भी पूजा-अर्चना की जाती और शुभ मुहूर्त में ही कटाई की जाती है.

रथ बनाने के लिए उन्हीं पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल होता है जिस पर भगवान जगन्नाथ से जुड़े चक्र, शंख, गदा या पद्म जैसे धार्मिक चिन्ह अंकित होते हैं. इसके अलावा, जिन पेड़ों के पास सांप के बिल, पक्षी के घोसले या नदी होते हैं, उन्हें नहीं काटा जाता है. ऐसा इसलिए ताकि जंगली जीवों और प्रकृति से किसी प्रकार का खिलवाड़ न हो.

धौरा की लकड़ी से रथ के भारी और मजबूत पहिए बनाए जाते हैं. फासी की लकड़ी से पहिए का एक्सल तैयार होता. सिमली की लकड़ी से रथ के ऊपर के हिस्से बनाए जाते हैं क्योंकि इसका वजन कम होता है. हल्के पार्ट्स जैसे छत और सजावट के लिए सहजा की लकड़ी का इस्तेमाल होता है.

यात्रा के बाद रथ का क्या होता है?

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरी होने के बाद रथ को संभालकर रखा जाता है. इसके कुछ लकड़ियों का इस्तेमाल मंदिर के रसोई में भगवान के लिए प्रसाद बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके साथ ही कुछ पवित्र कामों में भी लकड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है.

कितने पहियों पर टिका होता है रथ?

पुरी यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष में 16 पहिए, उनके भाई बलभद्र के रथ तालध्वज में 14 पहिए और बहन सुभद्रा के रथ दर्पदलन पद्म में 12 पहिए होते हैं.