राष्ट्रपति ने जस्टिस बीआर गवई को नियुक्त किया भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश, 14 मई को लेंगे शपथ

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 29 अप्रैल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई को भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है. वे अपने कार्याकाल की शुरुआत 14 मई को करेंगे. यह नियुक्ति मौजूदा CJI संजीव खन्ना की तरफ से उनके नाम की सिफारिश के आधार पर की गई है.

जस्टिस बीआर गवई Image Credit: PTI

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को CJI यानी भारत का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है. मंगलवार को राष्टप्रति द्रौपदी मुर्मु ने CJI संजीव खन्ना की तरफ से की गई सिफारिश को स्वीकार करते हुए जस्टिस गवई को भारत के 52वें CJI के तौर पर नियुक्ति देने को मंजूरी दी है. जस्टिस गवई 14 मई को पदभार ग्रहण करेंगे. केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी. मेघवाल कहा कि राष्ट्रपति ने यह नियुक्ति भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत की है.

इसके साथ ही मेघवाल ने बताया कि भारत के 52वें CJI के तौर पर जस्टिस गवई का कार्यकाल 14 मई को शुरू होगा. वे करीब 6 महीने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे.

जन्म और शुरुआती जीवन

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. उनके आरएस गवई कांग्रेस के नेता थे. आजादी के बाद वे बिहार और केरल के राज्यपाल रहे. जस्टिस गवई ने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और 1985 में अपना कानूनी करियर शुरू किया. इसके बाद 1987 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू करने से पहले कुछ समय तक एडवोकेट जनरल राजा एस भोंसले के साथ काम किया. 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए. इसके बाद 12 नवंबर, 2005 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया. हाईकोर्ट में 15 साल से अधिक समय तक रहने के बाद उन्हें 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया.

SC समुदाय से दूसरे CJI

न्यायमूर्ति गवई शेड्यूल्ड कास्ट समुदाय से आते हैं. वे भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में दूसरे शख्स हैं, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. उनसे पहले न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन 2007 से 2010 तक इस पद पर रहे थे.

कैसे होता है CJI का चयन

भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती है. यह एक स्थापित परंपरा है, जिसके अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है. सेवानिवृत्त होने जा रहे मुख्य न्यायाधीश औपचारिक रूप से सरकार को अपने बाद अगले वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करते हैं. इस सिफारिश को भारत के राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद नियुक्ति का वारंट जारी किया जाता है. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने इसी परंपरा के तहत उनके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति गवई के नाम की सिफारिश की, जिसके आधार पर राष्ट्रपति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है.