4K में लौट रही है रेखा की उमराव जान, 27 जून को दोबारा दिखेगी सिनेमाघरों में; जानिए फिल्म की खास बातें

अगर आपने अब तक उमराव जान नहीं देखी है, तो अब मौका है. 1981 में बनी ये फिल्म अब रीस्टोर होकर 27 जून को दोबारा 4K क्वलिटी में सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. मुजफ्फर अली के निर्देशन में बनी उमराव जान 1981 की इस क्लासिक फिल्म में रेखा ने एक तवायफ की भूमिका निभाई है, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया.

रेखा की उमराव जान

Umrao Jaan Re-Release: अगर आप उन लोगों में हैं जो फिल्म को सिर्फ कहानी नहीं, एक एहसास मानते हैं, तो एक बड़ी खबर है. दरअसल, मुजफ्फर अली के निर्देशन में बनी क्लासिक फिल्म उमराव जान अब 4K क्वालिटी में फिर से थिएटर में लौट रही है. खास बात ये है कि यह कोई रीमेक नहीं, बल्कि वही ओरिजिनल 1981 की फिल्म है, जिसे डिजिटल रूप से साफ़-सुथरा करके एक नए रूप में पेश किया जा रहा है. रेखा की अदायगी, खय्याम का संगीत और लखनऊ की तहजीब से सजी यह फिल्म 27 जून को सिनेमाघरों में दोबारा रिलीज हो रही है. इसे नेशनल फिल्म हेरिटेज मिशन के तहत रीस्टोर किया गया है, और इस काम की जिम्मेदारी नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ने मिलकर निभाई है. ऐसे में चलिए जानते हैं इस फिल्म से जुड़े वो दिलचस्प किस्से, जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं.

रेखा की बेमिसाल अदायगी

इस फिल्म की मुख्य अदाकारा रेखा हैं, जिन्होंने 19वीं सदी की मशहूर तवायफ उमराव जान का किरदार निभाया है. उनकी इस परफॉर्मेंस के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था. आज भी इसे उनके करियर की सबसे बेहतरीन अदायगी माना जाता है. फिल्म के निर्देशक मुजफ्फर अली बताते हैं, रेखा को इस किरदार के लिए भाषा, गायन और नृत्य हर स्तर पर खुद को तैयार करना पड़ा. हां, उनके साथ मार्गदर्शन करने वाले लोग जरूर थे, लेकिन उन्होंने हर उम्मीद से बढ़कर काम किया है. वो फिल्म को लेकर ये भी बताते हैं कि यह फिल्म बेहद गहरे जज्बातों से बुनी गई है, और इन्हें पर्दे पर उतारने के लिए रेखा जैसा कलाकार ही चाहिए था. उन्होंने उमराव जान को सिर्फ निभाया नहीं, बल्कि उसे जिया.

जब फैंस पहुंचे बंदूकें लेकर

इस फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है. एक बार लखनऊ के पास मलीहाबाद में शूटिंग के दौरान कुछ स्थानीय फैन, जो रेखा की एक झलक पाना चाहते थे, असली बंदूकें लेकर सेट पर पहुंच गए. मुजफ्फर अली बताते हैं, हालात थोड़े डरावने जरूर लगे, लेकिन असल में वे लोग सिर्फ रेखा को देखने आए थे. बाद में मैंने उन्हें फिल्म में ही इस्तेमाल कर लिया वही असली बंदूकें, वही लोग, सभी को डमी बना दिया गया.

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फिल्म कहां से प्रेरित है?

उमराव जान की कहानी 1899 में लिखे गए मिर्जा हादी रुसवा के मशहूर उर्दू उपन्यास उमराव जान अदा पर आधारित है. इसमें अमीरण नाम की एक लड़की को अगवा कर एक कोठे में बेच दिया जाता है. वहीं से वह उमराव जान नाम की शायरा और मशहूर तवायफ बनती है. उसकी जिंदगी में तीन पुरुष आते हैं फारूख शेख, राज बब्बर और नसीरुद्दीन शाह. तीनों ही किरदारों को इन दिग्गज कलाकारों ने बेहद संजीदगी से निभाया है. इस फिल्म कि खासियत ये भी है कि फिल्म में प्रेम, पहचान और अधूरी ख्वाहिशों के दर्द को बहुत ही शांत और गहरे अंदाज में दिखाया गया है.