कहां है बगलिहार डैम जहां से भारत करेगा वाटर स्ट्राइक, पाकिस्तान के इन इलाकों में मचेगी तबाही!
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच बगलिहार डैम एक बार फिर सुर्खियों में है. जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर बना यह परियोजना न केवल 900 मेगावाट बिजली पैदा करता है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम है. भारत ने अब इसके फ्लो को कम कर दिया है जिसका असर पाकिस्तान में देखने को मिल सकता है. आइए समझते हैं इसकी अहमियत.
Baglihar Dam and Pakistan: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान पर भारत का काफी कड़ा रुख देखा गया है जिसमें से एक सिंधु जल समझौते को रद्द करना भी है. उसी तर्ज पर अब भारत ने पाकिस्तान को लेकर एक और बड़ा ऐक्शन ले लिया है जिससे पड़ोसी देश में पानी की किल्लत और बढ़ सकती है. दरअसल भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार डैम के जरिये पानी के प्रवाह को कम कर दिया है जिसका असर पाकिस्तान पर काफी हद तक पड़ने वाला है. आइए समझते हैं कि बगलिहार डैम कहां पर है, इसका असर पाकिस्तान पर क्या होगा और इस डैम का काम क्या है.
बगलिहार डैम कहां है?
बगलिहार डैम भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रामबन जिले में स्थित है. यह चिनाब नदी पर बना एक अहम रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजना (हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट) है. यह डैम जम्मू और कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की ओर से बनाया गया पहला बड़ा बिजली प्रोजेक्ट है. इसका निर्माण 1999 में शुरू हुआ और इसे दो चरणों में पूरा किया गया. पहला चरण 2008-09 में और दूसरा चरण 2015-16 में पूरा हुआ. यह डैम भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 147 किलोमीटर दूर है.
पाकिस्तान पर क्या असर होगा?
बगलिहार डैम के बंद होने या पानी के प्रवाह को रोकने का पाकिस्तान पर काफी अहम प्रभाव पड़ सकता है. चिनाब नदी पाकिस्तान में सिंधु नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है और पाकिस्तान की कृषि, सिंचाई और बिजली उत्पादन इस नदी पर काफी हद तक निर्भर करती है. पाकिस्तान की 64 फीसदी आबादी और 21-23 फीसदी GDP कृषि पर निर्भर है जिसमें सिंधु बेसिन का पानी काफी अहम है. भारत के बगलिहार डैम को लेकर उठाए जाने वाले इस कदम से पाकिस्तान का पंजाब क्षेत्र काफी हद तक प्रभावित हो सकता है. इससे पंजाब प्रांत की सिंचाई से जुड़ी सभी प्रणालियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. 1960 के सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत, चिनाब नदी का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित है. बगलिहार जैसे रन-ऑफ-द-रिवर डैमों की रिजर्वायर क्षमता सीमित होती है इसलिए इसे पूरी तरह बंद करना मुश्किल है.
हालांकि भारत ने फिलहाल पानी के प्रवाह को कम किया है जिससे पाकिस्तान के मारला हेडवर्क्स के पास पानी की कमी हो सकती है. इससे सिंचाई और कृषि प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए 2008 में डैम के पहले भराव के दौरान पानी का प्रवाह कम हुआ जिससे पाकिस्तान में किसानों को नुकसान हुआ था. लंबे समय में अगर भारत पानी का प्रवाह बार-बार रोकता है तब पाकिस्तान की खेती, बिजली उत्पादन और आर्थिक गतिविधियां बड़े प्रभावित हो सकती हैं.
बड़े स्तर पर होता है बिजली उत्पादन
बगलिहार डैम की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 900 मेगावाट (MW) है. यह दो चरणों में बांटा गया है- हर चरण 450 मेगावाट बिजली पैदा करता है. यह डैम छह फ्रांसिस टरबाइनों का उपयोग करता है, जिनमें से प्रत्येक 150 मेगावाट बिजली जनरेट करती है. गर्मियों में जब चिनाब नदी में पानी का प्रवाह ज्यादा होता है तो यह अधिकतम 900 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है. लेकिन सर्दियों में पानी का प्रवाह कम होने के कारण बिजली उत्पादन घटकर लगभग 690 मेगावाट रह जाता है. यह बिजली जम्मू और कश्मीर सहित उत्तरी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान और चंडीगढ़ को सप्लाई की जाती है.
कहां और कौन सी नदी पर बना है डैम?
बगलिहार डैम चिनाब नदी पर बना है जो जम्मू और कश्मीर के रामबन जिले में बहती है. यह क्षेत्र पहाड़ी और हरा-भरा है जो चिनाब घाटी की सुंदरता को दर्शाता है. डैम की ऊंचाई 144.5 मीटर और लंबाई 363 मीटर है. इसका रिजर्वायर 475 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इकठ्ठा करने की क्षमता रखता है लेकिन यह रन-ऑफ-द-रिवर डैम होने के कारण ज्यादा पानी जमा नहीं करता.
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