हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस क्लेम डाटा ने खोला राज, इस वजह से हो रही सबसे ज्यादा भारतीयों की मौत!

Health Insurance क्लेम के ट्रेंड्स डाटा से पुरुषों की मौत के दो प्रमुख कारण सामने आए हैं. यह आंकड़े हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस के लिए किए गए क्लेम के आधार पर निकाले गए हैं. पॉलिसीबाजार की तरफ से उपलब्ध कराए गए इस डाटा से पता चला है कि पुरुषों की मौत पर जब टर्म इंश्योरेंस क्लेम किया जाता है, तो किस कैटेगरी में सबसे ज्यादा क्लेम किया जाता है?

क्रिटिकल इलनेस कवर परिवार को वित्तीय आजादी देता है. Image Credit: athima tongloom/Moment/Getty Images

हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस के डाटा से लोगों की मौत के कारणों से जुड़े कुछ खास पैटर्न उभरकर सामने आए हैं. इन डाटा पैटर्न यह भी पता चला है कि अब हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले ज्यादा लोग क्लेम लेने लगे हैं. खासतौर पर कोविड महामारी के बाद पिछले तीन साल में हेल्थ इंश्योरेंस से क्लेम लेने वालों की संख्या में 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. लाइफस्टाइल और तमाम दूसरी वजहों से लोग अक्सर बीमार पड़ रहे हैं. महंगाई के साथ ही इलाज में होने वाला खर्च भी बढ़ रहा है. इस बढ़ते खर्च के साथ हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस लेने वालों की तादाद भी बढ़ने लगी है.

पीबी फिनटेक के पोर्टल पॉलिसीबाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते तीन साल में हेल्थ इंश्योरेंस के एवरेज क्लेम पेआउट में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है. सालाना 15,000 से 20,000 क्लेम सेटल करने वाली गुरुग्राम की एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में क्लेम की गई राशि का औसत 81,000 रुपये रहा है. वहीं, तमिलनाडु में एवरेज क्लेम पेआउट सबसे ज्यादा 1.13 लाख रुपये रहा है.

इससे यह साफ होता है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद अगर व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम लेता है, तो उसका औसत पेआउट 80 हजार से 1 लाख रुपये के बीच में होगा. पॉलिसीबाजार में हेल्थ इंश्योरेंस हेड सिद्धार्थ सिंघल का कहना है कि कोविड के बाद ट्रीटमेंट की लागत में काफी बढ़ गई है. इसके साथ ही ग्राहक अपने हेल्थ इंश्योरेंस में कंज्यूमेबल कवरेज की लागत को भी शामिल करने के लिए ऐड-ऑन कवर लेने लगे हैं, इससे क्लेम अमाउंट बढ़ रहा है.

इन वजहों से मर रहे लोग

इसी तरह Term Insurance Claim Trends से पता चलता है कि किन कारणों से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है. पॉलिसीबाजार के डाटा के मुताबिक टर्म इंश्योरेंस क्लेम के 25-30 फीसदी मामलों में इंश्योर्ड व्यक्ति की मौत हार्ट डिजीज होती है. इसके अलावा 30-35% क्लेम ऐसे होते हैं, जिनमें व्यक्ति की मौत का कारण प्राकृतिक मृत्यु बताई जाती है. वहीं, 15-20% मामलों में मौत का कारण दुर्घटना को बाताया जाता है.

पुरुष पॉलिसीधारकों के क्लेम ज्यादा

पॉलिसीबाजार के डाटा के मुताबिक टर्म इंश्योरेंस क्लेम के मामलों में लिए अधिकतम क्लेम पुरुष पॉलिसीधारकों की मौत के बाद लिए गए. पॉलिसीबाजार के डाटा के मुताबिक टर्म इंश्योरेंस क्लेम के 90 से 92% मामलों में पॉलिसीधारक पुरुष होते हैं. पुरुषों में आम तौर पर मृत्यु दर अधिक होती है और इसकी वजह से उनके टर्म लाइफ पॉलिसी लेने की संभावना भी ज्यादा होती है.

शहरी आबादी क्लेम में आगे

पॉलिसीबाजार के डाटा में यह भी सामने आया है कि टर्म इंश्योरेंस क्लेम फाइल करने वालों में शहरी आबादी आगे है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक और गुजरात टॉप राज्य हैं, जहां से सबसे ज्यादा क्लेम किए जाते हैं.

राइडर्स में बढ़ी दिलचस्पी

टर्म इंश्योरेंस लेने वाले लोगों के डाटा से यह भी पता चला है कि क्रिटिकल इलनेस और एक्सिडेंटल डेथ बेनिफिट जैसे राइडर की लोकप्रियता बढ़ रही है. पॉलिसीबाजार के मुताबिक 35-40% टर्म इंश्योरेंस पॉलिसीधारक क्रिटिकल इलनेस और एक्सिडेंटल डेथ बेनिफिट जैसे राइडर्स का विकल्प चुन रहे हैं.

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