₹100 करोड़ तक के IPO फंड में घोटाले का खुलासा! FOCL समेत कई SME कंपनियों पर SEBI ने कसा शिकंजा

बाजार नियामक सेबी ने फंड डायवर्जन संबंधित कुछ गड़बडि़यां पाई हैं. सेबी को अपनी जांच में 100 करोड़ रुपये तक के आईपीओ फंड में हेरफेर से जुड़े सबूत मिले हैं. इसको लेकर छानबीन की जा रही है. इसमें मर्चेंट बैंकर FOCL का नाम सामने आ रहा है. तो क्‍या है पूरा मामला, यहां करें चेक.

SEBI की रडार पर ये कंपनियां Image Credit: TV9 Bharatvarsh

SEBI finds fund diversion: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने करीब ₹100 करोड़ तक के IPO फंड के हेरफेर का खुलासा किया है. बाजार नियामक को उसे अपनी जांच में इससे जुड़े कई सबूत मिले हैं. यह घोटाला करीब 20 छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के इश्यू से जुड़ा है, जिन्हें मर्चेंट बैंकर First Overseas Capital Ltd (FOCL) ने मैनेज किया था. पिछले महीने SEBI ने FOCL पर प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ियों के चलते रोक भी लगाई थी.

जांच में सामने आया है कि FOCL की ओर से मैनेज किए गए कई SME IPO में फंड डायवर्जन का एक जैसा पैटर्न देखने को मिला है. ऐसे में समीरा एग्रो एंड इंफ्रा, अमान्‍या वेंचर्स, QMS मेडिकल एलाइड सर्विसेज, इटैलियन एडिबल्‍स, Graphisads, इलेक्‍ट्रो फोर्स इंडिया, श्री OSFM ई मोबिलिटी और वारेनियम क्‍लाउड पर निगारानी रखी गई.

कैसे हुआ घोटाला?

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि SEBI को सबूत मिले हैं कि इन कंपनियों ने IPO से जुटाए गए फंड का कुछ हिस्सा फर्जी वेंडर्स या प्रमोटर्स से जुड़ी इकाइयों को ट्रांसफर किया. यानी जनता के निवेश की रकम सीधे निजी खातों में जा रही थी. इतना ही नहीं कुछ मामलों में IPO के पैसे लिस्टिंग के कुछ ही हफ्तों में डायवर्ट कर दिए गए.

शेल कंपनियों को फंड हुए ट्रांसफर

SEBI ने कई SME IPO के बैंक स्टेटमेंट, वेंडर रिकॉर्ड और एस्क्रो अकाउंट फ्लो का फॉरेंसिक ऑडिट किया है. फंड जो कंपनी के बिजनेस विस्तार या वर्किंग कैपिटल के लिए जुटाए गए थे, वे शेल कंपनियों या प्रमोटर से जुड़ी इकाइयों को ट्रांसफर किए गए. इन 20 कंपनियों ने मिलकर पिछले तीन सालों में करीब ₹560 करोड़ जुटाए, जिसमें से अब तक लगभग ₹100 करोड़ की गड़बड़ी के सबूत मिल चुके हैं. हालांकि, जांच पूरी होने पर यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

पुराने केसों से जुड़ा पैटर्न

SEBI ने पहले Nirman Agri Genetics के केस में पाया था कि जुटाए गए ₹20 करोड़ में से ₹18.89 करोड़ यानी 93% रकम गलत तरीके से इस्तेमाल हुई थी. वहीं, Synoptics Technologies के मामले में ₹19 करोड़ की राशि लिस्टिंग से ठीक पहले इश्यू से जुड़े खर्च के नाम पर बाहर भेज दी गई थी. अब यही तरीका FOCL से जुड़े अन्य IPO में भी अपनाया गया था या नहीं, इसकी जांच चल रही है. इनमें सेल प्‍वाइंट इंडिया, ऑन डोर कॉन्‍सेप्‍ट्स, ड्यूकॉल ऑर्गेनिक्‍स एंड कलर्स और ईशान इंटरनेशनल जैसे नाम शामिल हैं.SEBI का कहना है कि यह मामला केवल मर्चेंट बैंकर तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनियों के प्रबंधन की भूमिका भी जांच के घेरे में है.