SBI-LIC समेत इन 5 गोल्ड फंड ने एक साल में दिया 65% से ज्यादा रिटर्न, 2026 में एंट्री से पहले रखें इन्हें वॉचलिस्ट में

साल 2025 में सोने ने ऐसी उछाल दिखाई जिसने निवेश जगत को हिला दिया. इस चमक में ऐसे कारक जुड़े हैं जिनसे बाजार का रुझान बदल गया है. अब 2026 में क्या होने वाला है और किन विकल्पों पर निवेशक नजर रखें? पूरी कहानी पढ़िए यहां.

गोल्ड ETF निवेशकों के लिए सोने में निवेश का सस्ता और सुरक्षित विकल्प बनकर उभरे हैं. Image Credit: gettyimage

साल 2025 भारतीय निवेशकों के लिए सोने की चमक वाला रहा. 1 दिसंबर 2025 तक, गोल्ड ने 69.3 फीसदी तक का बेहतरीन रिटर्न दिया है. पिछले पूरे दशक में निवेशकों ने कभी भी सोने में इतनी तेज उछाल नहीं देखी थी. दिलचस्प बात यह है कि यह रिटर्न 2019 और 2020 के प्रदर्शन से भी ऊपर है, वो साल जब कोविड महामारी की वजह से सोने की मांग और कीमतें तेजी से बढ़ी थीं. इस तरह, 2025 में सोना एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि आर्थिक अनिश्चितता के समय में भी यह निवेशकों का भरोसेमंद साथी है.

सोने की कीमतें क्यों बढ़ीं?

पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक हालातों ने सोने को सहारा दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, दुनिया में धीमी आर्थिक गतिविधि, और ट्रंप प्रशासन द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ ने अंतरराष्ट्रीय माहौल को अस्थिर किया. ऐसे दौर में निवेशक हमेशा सुरक्षित ठिकाने की तलाश करते हैं, और सोना एक ट्रेडिशनल भरोसेमंद विकल्प माना जाता है.

इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2025 में अब तक 50 बेसिस प्वाइंट्स की ब्याज दरें घटाई हैं. ब्याज दरों में कटौती अक्सर डॉलर को कमजोर करती है और निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित करती है. कई देशों की सरकारों ने भी अपने गोल्ड रिजर्व बढ़ाए हैं क्योंकि उनकी GDP के मुकाबले कर्ज कहीं अधिक है. रिजर्व बढ़ाने का यह रुझान भी सोने के दामों में तेजी का एक बड़ा कारण रहा.

सोना क्यों है निवेशकों का पसंदीदा साथी?

भारत में सोने को सिर्फ आभूषण के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि यह हमेशा से बचत और भरोसे के प्रतीक के रूप में माना जाता है. महंगाई के समय, आर्थिक उथल-पुथल में, या जब शेयर बाजार अनिश्चित हो, सोना कई बार पोर्टफोलियो को स्थिर करता है. इसलिए इसे ‘सेफ हेवन’ या सुरक्षित पनाह कहा जाता है.

लेकिन निवेशकों का नजरिया अब बदल रहा है. सिर्फ जेवर खरीदकर सोना रखने के बजाय लोग अब कागजी तौर पर सोने में निवेश करना पसंद कर रहे हैं – जैसे गोल्ड फंड, गोल्ड ETF और गोल्ड सेविंग फंड.

क्यों चुनें गोल्ड सेविंग फंड?

गोल्ड सेविंग फंड यानी गोल्ड म्यूचुअल फंड आपको बिना डिमैट अकाउंट के सोने में निवेश करने की सुविधा देते हैं. ये फंड अपने पैसे को गोल्ड ETF में लगाते हैं, और गोल्ड ETF की कीमतें असल सोने की कीमतों से मिलती-जुलती होती हैं. इस तरह यह निवेश आपको सोने की बाजार कीमतों का सीधा लाभ देता है.

इन फंड्स की खासियत यह है कि आप बहुत छोटे अमाउंट से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. कई फंड हाउस 500 रुपये से ही निवेश की सुविधा देते हैं, जबकि कुछ में 100 रुपये के छोटे SIP विकल्प भी मौजूद हैं. खास बात यह है कि जब सोने के दाम ऊंचे हों तो SIP यानी किस्तों में निवेश आपको औसत लागत कम करने और जोखिम को नियंत्रित करने में मदद करता है.

पांच फंड जिन्होंने दमदार रिटर्न दिया

रिपोर्ट के मुताबिक, निम्न गोल्ड सेविंग फंड लंबे समय में बेहतर प्रदर्शन के लिए पहचाने जा रहे हैं:

इन सभी फंड्स के पीछे के गोल्ड ETF ने अपने बेंचमार्क प्रदर्शन के बराबर या उसके आसपास रिटर्न्स दिए हैं.

पिछले 10 सालों में गोल्ड सेविंग फंड्स का औसत CAGR लगभग 16.5% रहा है, जबकि 5 साल का CAGR करीब 20% और 7 साल का 21.7% रहा है. यह लंबी अवधि में सोने की मजबूत भूमिका को दिखाता है.

कितना निवेश करना चाहिए?

सोने की चमक भले ही आकर्षक लगे, लेकिन विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 10-15% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यह हिस्सा पोर्टफोलियो में स्थिरता लाता है, लेकिन पूरी जमा पूंजी सोने में लगाना उचित नहीं माना जाता.

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2025 में सोने की रिकॉर्ड वापसी ने निवेशकों में उत्साह बढ़ाया है. लेकिन यह भी जरूरी है कि पिछला प्रदर्शन भविष्य की गारंटी नहीं होता. इसलिए फंड चुनते समय उनके ट्रैक रिकॉर्ड, AMC की विश्वसनीयता, और SIP जैसे अनुशासित निवेश विकल्पों को प्राथमिकता देना समझदारी है. गोल्ड सेविंग फंड छोटे निवेश से शुरुआत करने वालों के लिए एक आसान रास्ता हैं. बिना डिमैट अकाउंट खोले आप सीधे फंड हाउस के जरिए निवेश कर सकते हैं, और SIP से दामों के उतार-चढ़ाव का स्मार्ट फायदा उठा सकते हैं.