EMI का बोझ कम करने के हैं दो तरीके- बैलेंस ट्रांसफर और लोन प्रीपेमेंट, क्या है बेहतर विकल्प?

क्या आप भी कर्ज के बोझ से परेशान हैं? क्या हर महीने ईएमआई का बढ़ता दबाव आपकी नींद उड़ा देता है? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए है. इसमें हम बताएंगे वो आसान तरीका जिससे हजारों लोग राहत की सांस ले रहे हैं और आप भी ले सकते हैं.

लोन चुकाने का क्या बेहतर तरीका Image Credit: FreePik

महंगाई के इस दौर में लोन की ईएमआई हर महीने की सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है. चाहे होम लोन हो, पर्सनल लोन या फिर क्रेडिट कार्ड का कर्ज, अगर सही रणनीति अपनाई जाए, तो इस बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है. ऐसे में दो विकल्प अक्सर चर्चा में रहते हैं: बैलेंस ट्रांसफर और लोन प्रीपेमेंट. दोनों के अपने फायदे हैं लेकिन सही विकल्प का चुनाव आपकी मौजूदा आर्थिक स्थिति, लोन की शर्तों और दीर्घकालिक लक्ष्यों पर निर्भर करता है.

क्या है बैलेंस ट्रांसफर और कैसे करता है काम?

बैलेंस ट्रांसफर का मतलब होता है अपने मौजूदा लोन या क्रेडिट कार्ड के कर्ज को एक बैंक या एनबीएफसी से हटाकर दूसरे बैंक में ट्रांसफर करना, जहां ब्याज दरें कम हों. इसका फायदा यह होता है कि आपकी मासिक किस्त कम हो जाती है और ब्याज पर बचत होती है.

उदाहरण के लिए, अगर आप किसी लोन पर 18% ब्याज दे रहे हैं और कोई दूसरा बैंक वही लोन 12% पर देने को तैयार है, तो बैलेंस ट्रांसफर करने से आपको लंबे समय में बड़ी राहत मिल सकती है. तो आप उस बैंक से लोन लेकर पहले वाले बैंक का लोन चुकाते हैं. अब आप नई और कम ब्याज दर वाली EMI भरते हैं. इसे ही बैलेंस ट्रांसफर कहते हैं. कुछ बैंक प्रोसेसिंग फीस या ट्रांसफर चार्ज लेते हैं, जो तय करने से पहले जरूर जांचना चाहिए.

बैलेंस ट्रांसफर के फायदे और सावधानियां

क्या है लोन प्रीपेमेंट और कैसे करता है मदद?

लोन प्रीपेमेंट का मतलब है कि आप लोन की तय समयसीमा से पहले कुछ अतिरिक्त भुगतान कर दें या तो आंशिक रूप से या पूरे लोन का एकमुश्त निपटान कर दें. यह अतिरिक्त भुगतान सीधे प्रिंसिपल अमाउंट में समायोजित होता है, जिससे अगली किस्तों में ब्याज घटता है.

प्रीपेमेंट दो तरीकों से फायदा पहुंचा सकता है:

प्रीपेमेंट करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

कुछ बैंक खासतौर पर फिक्स्ड रेट लोन पर प्रीपेमेंट चार्ज लेते हैं. अगर आप लोन के शुरुआती वर्षों में प्रीपेमेंट करते हैं, तो बचत ज्यादा होती है क्योंकि उस समय ब्याज का हिस्सा ज्यादा होता है. प्रीपेमेंट से क्रेडिट स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ सकता है.

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कौन है आपके लिए बेहतर विकल्प?

अगर आप लगातार उच्च ब्याज दर के बोझ से परेशान हैं और बेहतर ऑफर मिल रहा है, तो बैलेंस ट्रांसफर एक स्मार्ट विकल्प हो सकता है. लेकिन अगर आपके पास एकमुश्त अतिरिक्त धन है जैसे बोनस, निवेश की परिपक्वता या विरासत की राशि तो लोन प्रीपेमेंट करने से भविष्य का बोझ हल्का हो सकता है.

सही निर्णय लेने के लिए जरूरी है कि आप अपने कर्ज की शर्तों, बचत की संभावनाओं और व्यक्तिगत लक्ष्यों को ध्यान से परखें. बिना सोचे-समझे किसी एक विकल्प को चुनना आने वाले समय में आर्थिक अस्थिरता भी ला सकता है. इसलिए सोच-समझकर उठाया गया हर कदम आपके वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बना सकता है.