NRI को अमेरिका, UAE नहीं भारत आ रहा पसंद, इंडियन बैंकों में खूब जमाकर रहे हैं पैसा, 11 साल का टूटा रिकॉर्ड
वित्त वर्ष 2024-25 में NRI deposits में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़कर $16.2 बिलियन पहुंच गई, जो पिछले साल से 10 फीसदी ज्यादा है. इसकी मुख्य वजह भारत में ऊंची ब्याज दरें, रुपये की गिरावट और बैंकों की आकर्षक जमा योजनाएं हैं. जिससे विदेशी निवेशकों का भारत की ओर रुझान बढ़ा है.

NRI Deposits: NRI एक बार फिर भारतीय बैंकों की ओर रुख कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में NRI डिपॉजिट्स में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष में NRI द्वारा कुल 16.2 अरब डॉलर जमा किए गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा है. यह 11 वर्षों में सबसे अधिक डिपॉजिट है. इसके पीछे का मुख्य कारण भारत में मिलने वाली आकर्षक ब्याज दरें और रुपये की गिरती कीमत है, जिसने विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है.
डॉलर और रुपये दोनों में बढ़ रहा निवेश
NRI डिपॉजिट्स में सबसे ज्यादा वृद्धि FCNR(B) खातों में देखी गई है. ये खाते डॉलर या अन्य विदेशी करेंसी में खोले जाते हैं. साल भर में इन खातों में कुल 7.1 अरब डॉलर जमा हुए, जो पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा है. इसके अलावा, NRE (Non-Resident External) खातों में भी पैसा बढ़ा है, जो भारतीय रुपये में खोले जाते हैं. यह दिखाता है कि NRI निवेशक दोनों ही तरह के खातों में भरोसा जता रहे हैं और भारतीय बाजार में अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं. पूरी दुनिया में भारत के लोग अपने देश में सबसे ज्यादा पैसा भेजते हैं. इसमें अरब देशों और अमेरिका में रहने वाले लोगों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है.
रुपये की गिरावट ने बढ़ाया आकर्षण
NRI निवेशकों को उनके अपने देश के मुकाबले भारत में जमा पर 50-60 बेसिस पॉइंट (0.5%-0.6%) ज्यादा ब्याज मिल रहा है. यह बढ़त उन्हें FCNR(B) जैसे खातों में साफ देखने को मिलती है. साथ ही, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, जिससे NRI को भारत में निवेश कर ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. इस वजह से उन्होंने बड़ी मात्रा में डिपॉजिट लॉक कर दिए हैं, खासकर जब उन्हें लग रहा है कि RBI की रेपो दरें भविष्य में घट सकती हैं.
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बैंकों की होड़ ने भी बढ़ाया डिपॉजिट
FY25 में बैंकों के बीच NRI डिपॉजिट्स को आकर्षित करने की कंपटीशन तेज रही. इसके चलते बैंकों ने NRI ग्राहकों को लुभाने के लिए ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश की. कई बैंक पहले से ही भविष्य की ब्याज दरों में गिरावट की आशंका के चलते लंबी अवधि के डिपॉजिट्स को आकर्षित करने में जुटे हुए हैं.
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