कौन बनाता है आपका ‘Credit Score’ क्या उसमें भी होती है धोखाधड़ी ! जानें क्यों लगे आरोप

क्रेडिट स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है, जो किसी व्यक्ति की क्रेडिट क्रेडिबिलिटी को दिखाती है. यह स्कोर 300 से 900 तक होता है और लोन आवंटन में अहम भूमिका निभाता है. हाल ही में संसद में इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं इसमें धोखाधड़ी की संभावना को लेकर चिंता जताई गई.

क्या 'Credit Score' में भी होती है धोखाधड़ी ! Image Credit: GETTY IMAGE

क्या क्रेडिट स्कोर-क्रेडिट रिपोर्ट जिसे आम तौर सिबिल स्कोर भी कहा जाता है, उसमें भी धोखाधड़ी होती है. अगर ऐसा है तो जिस क्रेडिट स्कोर के जरिए बैंक और फाइनेंस कंपनियां हमें लोन देती है और उसकी ब्याज दरें तय करती हैं. उसमें ही बड़ा लोचा हो जाएगा. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसी स्कोर के जरिए बैंक लोन देते वक्त किसी व्यक्ति के लिए न केवल ब्याज दरें महंगी और सस्ती कर देते हैं, बल्कि उसी के आधार पर लोन अप्रूव और रिजेक्ट भी करते हैं.

फ्रॉड या धोखाधड़ी की बात इसलिए उठी है क्योंकि हाल ही में संसद में सिबिल स्कोर को लेकर सवाल उठाए गए हैं, जहां कांग्रेस सांसद कार्तिक चिदंबरम ने मोदी सरकार को घेरते हुए सिबिल स्कोर को अपडेट करने वाली संस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाए. उनका आरोप है कि यह प्राइवेट संस्था अपनी जिम्मेदारी निभाने में सुस्त है और इसके काम में कोई स्पष्टता नहीं है. जानते है कि कैसे हमारा सिबिल यानी क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट तय होती है.

क्रेडिट स्कोर क्या है?

क्रेडिट स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है, जो 300 से 900 तक होती है. यह स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिट क्रेडिबिलिटी को दर्शाता है, यानी यह बताता है कि व्यक्ति ने कितना जिम्मेदारी से अपने कर्ज और क्रेडिट कार्ड का भुगतान किया है. 300 से कम स्कोर खराब माना जाता है, जबकि 900 के करीब स्कोर बहुत अच्छा होता है.

कौन सी एजेंसिया तय करती है है क्रेडिट स्कोर

भारत में सिबिल के अलावा क्रेडिट रेटिंग इंफोर्मेंशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL), इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटेड (ICRA), ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, INFOMERICS वैल्यूएशन एंड रेटिंग प्राइवेट लिमिटेड, क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च (CARE) लिमिटेड, एक्वाइट रेटिंग्स एंड रिसर्च (पहले SMERA रेटिंग लिमिटेड), इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड क्रेडिट की रेटिंग करती हैं.

क्रेडिट स्कोर की गिनती कैसे होती है?

सिबिल क्रेडिट स्कोर की गिनती चार आधार पर की जाती है जिसमें,

  1. भुगतान इतिहास (30%) समय पर बिल, कर्ज और ईएमआई का भुगतान करने से स्कोर बेहतर होता है, जबकि लेट भुगतान से स्कोर कम हो सकता है.
  2. क्रेडिट का इस्तेमाल (25%) अपनी क्रेडिट लिमिट का 30% से अधिक खर्च करना आपके स्कोर को प्रभावित कर सकता है. कम खर्च करना बेहतर है.
  3. क्रेडिट प्रकार और अवधि (25%) क्रेडिट का प्रकार (जैसे क्रेडिट कार्ड और कर्ज) और इसका यूज कब से शुरू हुआ, यह भी स्कोर को प्रभावित करता है. दोनों प्रकार के कर्ज का प्रयोग करना बेहतर होता है.
  4. क्रेडिट इंक्वायरी (20%) लगातार क्रेडिट कार्ड या कर्ज के लिए आवेदन करने से स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अगर ये आवेदन कम समय में किए जाएं.

सिबिल स्कोर का महत्व

सिबिल स्कोर का उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा यह निर्णय लेने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति को लोन देना चाहिए या नहीं. अच्छा सिबिल स्कोर होने से लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है, और लोन की शर्तें भी बेहतर होती हैं.

कौन बनाता है आपकी क्रेडिट रिपोर्ट

सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट बनाने वाली प्रमुख संस्था है क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड, जिसे सिबिल कहा जाता है. यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों से व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी इकट्ठा करती है और उसका यूज क्रेडिट रिपोर्ट बनाने के लिए करती है.

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सिबिल स्कोर को कैसे सुधारें?

सिबिल स्कोर को बेहतर करने के लिए नियमित और समय पर भुगतान करना जरूरी है. इसके अलावा, क्रेडिट लिमिट का सही तरीके से उपयोग और बार-बार क्रेडिट के लिए आवेदन करने से बचने की सलाह दी जाती है.