स्मार्ट सेविंग, पावरफुल ग्रोथ, लंबी उम्र का फंड; जानें कैसे SIP, EPF और NPS बनाएंगे आपका मजबूत फाइनेंशियल फ्यूचर
SIP, EPF और NPS तीन ऐसे भरोसेमंद साधन हैं जो समय के साथ हमारा पैसा बढ़ाते भी हैं और सुरक्षित भी रखते हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत है कम रकम से शुरू होने वाला निवेश, लगातार मिलने वाला कंपाउंडिंग का फायदा और लंबी अवधि में बनने वाला बड़ा फंड.
Smart Saving Secrets: आज की भागदौड़ में नौकरी, खर्च और महंगाई के बीच एक मजबूत फाइनेंशियल बैकअप रखना बेहद जरूरी हो गया है. ज्यादा कमाई करने से ज्यादा जरूरी है स्मार्ट तरीके से सेविंग करना. SIP, EPF और NPS तीन ऐसे भरोसेमंद साधन हैं जो समय के साथ हमारा पैसा बढ़ाते भी हैं और सुरक्षित भी रखते हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत है कम रकम से शुरू होने वाला निवेश, लगातार मिलने वाला कंपाउंडिंग का फायदा और लंबी अवधि में बनने वाला बड़ा फंड.
Systematic Investment Plan यानी SIP ऐसा तरीका है जिसमें आप छोटी-छोटी रकम हर महीने म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और समय के साथ कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. SIP की सबसे बड़ी ताकत है, कंसिस्टेंसी. मार्केट ऊपर-नीचे होता रहे, आपकी रेगुलर किस्तें रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ देकर खरीद का औसत कम करती रहती हैं.
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति हर महीने 5,000 रुपये SIP में निवेश करे और 20 साल तक इसे जारी रखे, तथा औसत 12 प्रतिशत रिटर्न मिले, तो यह रकम बढ़कर 50 लाख रुपये से ज्यादा बन सकती है. ऐसे में यह रकम बताता है कि छोटी रकम भी लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार कर सकती है.
कैसे चुनें SIP ?
SIP हमेशा अपने फाइनेंशियल गोल के हिसाब से चुनें—घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या रिटायरमेंट फंड बनाना. जोखिम क्षमता और समय अवधि को ध्यान में रखकर इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड में बैलेंस बनाएं. जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ती जाए, हर साल अपनी SIP में कम से कम 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी जरूर करें ताकि आपकी सेविंग महंगाई के मुकाबले मजबूत बनी रहे.
रिटायरमेंट फंड की मजबूत नींव
Employee Provident Fund यानी EPF भारत में नौकरीपेशा लोगों के लिए सबसे भरोसेमंद रिटायरमेंट प्लान में से एक है. इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से 12 प्रतिशत योगदान होता है. इसकी खासियत है सरकारी सुरक्षा, फिक्स्ड और टैक्स-फ्री रिटर्न और लॉन्ग-टर्म कंपाउंडिंग.
कई लोग नई नौकरी जॉइन करते समय EPF का पुराना फंड निकाल लेते हैं, जिससे कंपाउंडिंग टूट जाती है. ऐसा करने के बजाय EPF को ट्रांसफर करना चाहिए ताकि आपका रिटायरमेंट कॉर्पस लगातार बढ़ता रहे.
EPF में टॉप-अप क्यों करें
अगर आपकी इनकम अनुमति देती है, तो VPF यानी Voluntary Provident Fund में अतिरिक्त योगदान करें. इसमें भी वही ब्याज दर और टैक्स बेनिफिट मिलते हैं जो EPF में मिलते हैं. यह कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए एक शानदार ऑप्शन है, जो लंबे समय में आपके रिटायरमेंट फंड को जोरदार बढ़ावा देता है.
सुरक्षा और ग्रोथ का बैलेंस
National Pension System ऐसा निवेश है जो इक्विटी और डेट दोनों में पैसा लगाता है. इससे आपका पोर्टफोलियो संतुलित रहता है और लंबे समय में अच्छा रिटर्न मिलता है. NPS की खास बात है इसका टैक्स बेनिफिट धारा 80C के तहत छूट और इसके अलावा 80CCD(1B) में 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती. इसके तहत निवेश कम से शुरू करें, लेकिन लगातार जारी रखें. रिटायरमेंट के समय यही फंड हमारे फ्यूचर को सुरक्षित आधार देता है.
क्या है बेहतर ऑप्शन?
SIP, EPF और NPS मिलकर एक ऐसा फाइनेंशियल स्ट्रक्चर तैयार करते हैं जिसमें ग्रोथ भी है, सुरक्षा भी है और टैक्स बेनिफिट भी. SIP आपको महंगाई को मात देने में मदद करती है, EPF आपका बेस मजबूत बनाता है और NPS से आपको लंबी अवधि में स्थिर और बैलेंस रिटर्न मिलता है.
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