ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में क्या है अंतर, जानें घर के लिए कौन सा बेहतर, कहां मिलती है सब्सिडी
भारत में सोलर एनर्जी को लेकर रुचि तेजी से बढ़ रही है. लोग अब ऑन ग्रिड, ऑफ ग्रिड और हाइब्रिड सोलर सिस्टम के विकल्पों को समझ रहे हैं. शहरों में ऑन ग्रिड सिस्टम फायदेमंद है जबकि गांव और दूरदराज के इलाकों में ऑफ ग्रिड बेहतर काम करता है. हाइब्रिड सिस्टम उन जगहों के लिए है जहां बिजली की स्थिति अस्थिर रहती है. सरकारी सब्सिडी और नेट मीटरिंग जैसी योजनाएं इसे और आसान बना रही हैं.
On-Grid System Off-Grid System: भारत में सौर ऊर्जा की तरफ तेजी से रुझान बढ़ रहा है. बिजली की बढ़ती लागत, सरकारी सब्सिडी और ग्रामीण इलाकों में बिजली की कमी को देखते हुए लोग सोलर सिस्टम की ओर तेजी आकर्षित हो रहे हैं. इसके लगाने के बहुत से फायदे है जैसे की अगर आप शहरी इलाके में रहते हैं तो आपको बिजली के बिल की अच्छी बचत होती है और अगर आप ऐसे इलाके में रहते है जहां पर बिजली की कोई कनेक्शन नहीं है तो वहां पर यह यह आपको बिजली का सुविधा देता है. अगर आप एक्सट्रा बिजली पैदा करते हैं तो उससे कमाई भी कर सकते हैं. लेकिन सोलर सिस्टम चुनते समय इस बात का ध्यान देना चाहिए की आपकी जरूरत कैसी है और आपके लिए क्या सही है और कब सब्सिडी मिलती है..
क्या होता है ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम
ऑन ग्रिड सिस्टम बिजली कंपनी की लाइन से जुड़ा होता है. इसमें सोलर से बनी अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजी जाती है और कंज्यूमर को इसका बिल में फायदा मिलता है. यह सिस्टम शहरी इलाकों में अच्छा काम करता है जहां बिजली की सप्लाई रेगुलर होती है. इसमें बैटरी की जरूरत नहीं होती जिससे लागत भी कम आती है.
ऑफ ग्रिड सिस्टम कब होता है फायदेमंद
ऑफ ग्रिड सिस्टम ग्रिड से जुड़ा नहीं होता, बल्कि इसमें बैटरी के जरिए बिजली जमा की जाती है. यह सिस्टम उन जगहों पर ज्यादा उपयोगी होता है जहां बिजली की कनेक्टिविटी नहीं है या कटौती होती है. पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में यह बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.
हाइब्रिड सिस्टम कहां सही
हाइब्रिड सोलर सिस्टम में ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड दोनों की सुविधा होती है. यह सिस्टम बैकअप के लिए बैटरी रखता है और साथ ही अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने का विकल्प देता है. ऐसे इलाकों के लिए यह बेहतर है जहां बिजली कभी आती है कभी नहीं.
कहां कौन सा सिस्टम बेहतर है
शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे महानगरों और टियर-1, टियर-2 शहरों में ऑन ग्रिड सिस्टम सबसे अच्छा काम करता है. वहीं गांव, पहाड़ी क्षेत्र और जंगलों में ऑफ ग्रिड सिस्टम जरूरी है. सेमी अर्बन इलाकों में हाइब्रिड सिस्टम अच्छा विकल्प है. सरकार भी पीएम कुसुम योजना और सूर्य घर योजना के तहत दोनों सिस्टम पर सब्सिडी दे रही है.
ये भी पढ़ें- जुलाई से सैलरी-पेंशन-EMI और SIP सभी ट्रांजेक्शन होंगे फास्ट; NPCI लॉन्च करेगा NACH 3.0
कितनी सब्सिडी देती है सरकार
यदि आप अपने घर के लिए सोलर सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि आपकी बिजली खपत के अनुसार किस क्षमता का सोलर प्लांट सही रहेगा। यदि आपकी औसत मासिक बिजली खपत 0 से 150 यूनिट है, तो 1 से 2 किलोवाट का सोलर सिस्टम सही रहेगा, जिस पर आपको 30,000 से 60,000 रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है.
150 से 300 यूनिट खपत पर 2 से 3 किलोवाट का सिस्टम और 60,000 से 78,000 रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी. वहीं 300 यूनिट से अधिक खपत पर 3 किलोवाट से ऊपर का सिस्टम और 78,000 रुपये की सब्सिडी तय है.
औसत मासिक बिजली खपत (यूनिट) | उपयुक्त रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता | सब्सिडी सहायता (रुपये) |
---|---|---|
0 – 150 यूनिट | 1 – 2 किलोवाट | ₹30,000 से ₹60,000 तक |
150 – 300 यूनिट | 2 – 3 किलोवाट | ₹60,000 से ₹78,000 तक |
300 यूनिट से अधिक | 3 किलोवाट से अधिक | ₹78,000 (अधिकतम) |