पत्नी के नाम खरीदा फ्लैट बेच रहे हैं? स्टांप ड्यूटी में छूट तो मिली, अब कैपिटल गेन टैक्स का क्या होगा
पत्नी के नाम खरीदे गए फ्लैट को बेचते समय कैपिटल गेन टैक्स को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम रहता है. स्टांप ड्यूटी में छूट मिलने के बावजूद टैक्स की जिम्मेदारी हमेशा पत्नी पर नहीं होती. इनकम टैक्स के क्लबिंग प्रोविजन के तहत अगर फ्लैट की पूरी या आंशिक पेमेंट पति ने की है, तो बिक्री से होने वाला शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पति की इनकम माना जाता है. हालांकि टैक्स बचाने के कानूनी विकल्प भी मौजूद हैं.
Property Capital Gain Tax: भारत में बड़ी संख्या में घर खरीदने वाले टैक्स और स्टांप ड्यूटी में छूट का फायदा लेने के लिए फ्लैट या घर पत्नी के नाम पर खरीदते हैं. खासकर महाराष्ट्र जैसे राज्यों में महिलाओं के नाम रजिस्ट्रेशन कराने पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में रियायत मिलती है. हालांकि, जब ऐसे फ्लैट को बेचने की बारी आती है, तब सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कैपिटल गेन टैक्स किसे देना होगा और क्या इससे बचने के कोई कानूनी तरीके मौजूद हैं.
टैक्स किसके नाम लगेगा
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, अगर फ्लैट पत्नी के नाम पर खरीदा गया है, लेकिन उसकी पूरी या आंशिक पेमेंट पति ने की है, तो फ्लैट बेचने पर होने वाला कैपिटल गेन पति की इनकम मानी जाएगी. ऐसा इनकम टैक्स के क्लबिंग प्रोविजन के तहत होता है. यानी सिर्फ प्रॉपर्टी का नाम पत्नी का होना टैक्स जिम्मेदारी से नहीं बचाता, अगर निवेश का स्रोत पति है. इस स्थिति में फ्लैट की बिक्री से होने वाला शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पति के इनकम टैक्स रिटर्न में जोड़ा जाएगा और उसी हिसाब से टैक्स देना होगा.
सेक्शन 54 के तहत टैक्स बचाने का विकल्प
अगर फ्लैट बेचने से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है, तो इनकम टैक्स एक्ट 1961 की सेक्शन 54 के तहत टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है. इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं. पहली शर्त यह है कि फ्लैट की बिक्री के बाद नया रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदना होगा. यह खरीद बिक्री की तारीख से 2 साल के भीतर होनी चाहिए या फिर 3 साल के भीतर घर का निर्माण पूरा होना चाहिए.
दूसरी शर्त यह है कि कैपिटल गेन की रकम इनकम टैक्स रिटर्न भरने की ड्यू डेट से पहले नए घर में निवेश हो जानी चाहिए. उदाहरण के तौर पर, अगर फ्लैट वित्त वर्ष 2025-26 में बेचा गया है, तो रिटर्न की ड्यू डेट 31 जुलाई 2026 से पहले निवेश जरूरी होगा.
कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम का सहारा
अगर तय समय तक नया घर खरीदना या बनाना संभव नहीं है, तो कैपिटल गेन की रकम को कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम यानी CGAS में जमा कराया जा सकता है. इससे सेक्शन 54 के तहत टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. अब यह स्कीम पब्लिक सेक्टर के साथ-साथ कई प्राइवेट सेक्टर बैंक में भी उपलब्ध है, जिससे निवेशकों को सुविधा मिली है.
घर नहीं खरीद सकते तो क्या करें
कुछ मामलों में नया घर खरीदना या बनाना संभव नहीं होता. ऐसे में सेक्शन 54EC बॉन्ड्स एक विकल्प हो सकते हैं. NHAI और REC जैसी संस्थाओं द्वारा जारी इन बॉन्ड्स में अधिकतम 50 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है. इन बॉन्ड्स में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है और निवेश फ्लैट की बिक्री के 6 महीने के भीतर करना जरूरी है.
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