₹80 करोड़ की ऑर्डर बुक, कर्ज लगभग जीरो; क्या Filter Dryers का यह किंग बनने वाला है अगला SME मल्टीबैगर?

कंपनी की मौजूदा फैक्ट्री 90 फीसदी इस्तेमाल पर चल रही थी, इसलिए BEW ने नया प्लांट बनाया है, जिससे उसकी प्रोडक्शन क्षमता लगभग दोगुनी होने जा रही है. मैनेजमेंट का अनुमान है कि FY26 में रेवेन्यू बढ़कर लगभग 175 करोड़ रुपये हो सकता है.

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BEW Engineering भारत की फार्मा और स्पेशलिटी केमिकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले ड्रायर, फिल्टर ड्रायर और मिक्सर जैसी मशीनें बनाती है. दिखने में यह बिल्कुल शांत और सरल बिजनेस है, लेकिन कंपनी के अंदर जो बदलाव हो रहे हैं, वे इसे तेजी से उभरता हुआ SME बना रहे हैं. FY25 में कंपनी ने 134.36 करोड़ रुपये की इनकम, 20.40 करोड़ रुपये का EBITDA और 15.18 फीसदी का EBITDA मार्जिन दर्ज किया. मुनाफा 12.16 करोड़ रुपये रहा. पहली नजर में यह सामान्य SME जैसा लगता है, लेकिन असली कहानी क्षमता विस्तार से शुरू होती है.

रेवेन्यू हो सकता है बढ़कर लगभग 175 करोड़ रुपये

कंपनी की मौजूदा फैक्ट्री 90 फीसदी इस्तेमाल पर चल रही थी, इसलिए BEW ने नया प्लांट बनाया है, जिससे उसकी प्रोडक्शन क्षमता लगभग दोगुनी होने जा रही है. मैनेजमेंट का अनुमान है कि FY26 में रेवेन्यू बढ़कर लगभग 175 करोड़ रुपये हो सकता है और अगले दो–तीन सालों में, अगर मांग मजबूत रही, तो यह संख्या 300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. EBITDA मार्जिन को फिर से 20 फीसदी के आसपास लाने का टारगेट भी रखती है. FY25 में कंपनी की कमाई के आंकड़े इस प्रकार रहे-

इसकी ऑर्डर बुक का लगभग 70 फीसदी हिस्सा फिल्टर ड्रायर का है, जो तकनीकी रूप से कॉम्पेलक्स और Excessive certification वाली मशीनें होती हैं. फार्मा कंपनियां ऐसे उपकरणों को बार-बार नहीं बदलतीं, इसलिए एक बार भरोसा बनने पर कंपनी को लगातार रिपीट ऑर्डर मिलते रहते हैं. BEW की ऑर्डर बुक अभी 80 करोड़ रुपये की है और FY26 में इसे बढ़ाकर 150 करोड़ रुपये तक ले जाने का टारगेट है. करीब 40 फीसदी बिक्री दोबारा आने वाले ग्राहकों से होती है, जो कंपनी की गुणवत्ता और भरोसे को दिखाता है. इसके अलावा ASME U और R स्टैम्प जैसी अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशंस ने अमेरिका, जापान और अफ्रीका जैसे देशों में भी कंपनी के लिए रास्ते खोले हैं.

मुनाफे में 29 फीसदी की बढ़ोतरी

पिछले तीन सालों में कंपनी की बिक्री में 11 फीसदी और मुनाफे में 29 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके बावजूद शेयर की कीमत तीन साल में 14 फीसदी और पिछले एक साल में 59 फीसदी गिर गई. SME शेयरों का यह सामान्य व्यवहार है, बिजनेस स्थिर रहता है, लेकिन स्टॉक काफी उतार-चढ़ाव दिखाता है.

कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत होने के बावजूद वर्किंग कैपिटल पर दबाव है. FY25 में देनदार दिन बढ़कर 110 हो गए, इन्वेंट्री 436 दिनों पर अटकी रही और कैश कन्वर्जन साइकिल बढ़कर 504 दिन हो गई. इससे साफ है कि कंपनी का कैश लंबे समय तक फंसा रहता है, जो विस्तार के दौरान चुनौती पैदा करता है. हालांकि, कंपनी का कर्ज कम है और मैनेजमेंट इसे आगे लगभग 20 फीसदी घटाने की योजना बना रहा है.

डेटा सोर्स: FE

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