ये 4 कंपनियां रेयर अर्थ मैटेरियल में भारत का बजाएंगी डंका, 360 डिग्री कर रही हैं काम; सीधे ड्रैगन को चुनौती

चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ मेटल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. चीन ने इनके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है. इस फैसले के बाद दुनियाभर के देशों की चिंता बढ़ना लाजिमी था, क्योंकि चीन 90 फीसदी रेयर अर्थ मेटल पर नियंत्रण रखता है. ऐसे में भारत की कुछ प्रमुख कंपनियां हैं जो इस सेक्टर में काम करती हैं. इसी कारण निवेशकों की दिलचस्पी इसमें बढ़ सकती है.

रेयर अर्थ में भारतीय कंपनी Image Credit: Freepik.com

Rare earth metal: पिछले कुछ समय से रेयर अर्थ की चर्चा काफी हो रही है. चीन की एक चाल ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है. चीन के पास अकेले दुनिया के 90 फीसदी रेयर अर्थ मेटल पर नियंत्रण है. वह इन्हें निकालता है और वैश्विक स्तर पर सप्लाई करता है. हालांकि, चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर के बीच चीन ने अवसर देखते ही रेयर अर्थ मेटल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है. ये मैटेरियल काफी अहम होते हैं, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट से लेकर डिफेंस इक्यूपमेंट तक में किया जाता है. ऐसे में अगर आप भी उन भारतीय कंपनियों की तलाश में हैं जो रेयर अर्थ मेटल के क्षेत्र में काम कर रही हैं, तो हम आपको उन कंपनियों के बारे में बताएंगे जिन पर निवेशकों की नजर हो सकती है.

Vedanta Ltd

वेदांता भारत की एक प्रमुख खनिज और धातु कंपनी है, जिसके पास जस्ता, चांदी, एल्युमिनियम, तांबा, निकल, तेल और गैस जैसे विभिन्न संसाधनों की एसेट हैं. यह देश का सबसे बड़ा एल्युमिनियम उत्पादक है, जो भारत के कुल उत्पादन में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखती है. साथ ही, यह जिंक और निकल के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

वेदांता रेयर अर्थ मैटेरियल, जैसे स्कैंडियम और हाई-प्योरिटी ग्रेफाइट पाउडर के उत्पादन पर भी काम कर रहा है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और डिफेंस उपकरणों के लिए आवश्यक हैं. अगर इसके शेयर की बात करें तो शुक्रवार को इसके शेयर में 0.47 फीसदी की गिरावट आई थी और यह 458.35 रुपये पर कारोबार कर रहा था. वहीं, पिछले एक महीने में इसने 3.28 फीसदी का रिटर्न दिया है.

Nalco

नाल्को भारत सरकार के अधीन एक प्रमुख सार्वजनिक कंपनी है, जो एल्युमिना, एल्युमिनियम और बिजली का उत्पादन करती है. यह एशिया के सबसे बड़े एल्युमिनियम उत्पादकों में से एक है और दुनिया में सबसे कम लागत पर बॉक्साइट से एल्युमिना बनाती है. बॉक्साइट प्रोसेसिंग के बाद बचे शेष में स्कैंडियम और यिट्रियम जैसे रेयर अर्थ मिनरल पाए जाते हैं, जिन्हें निकालने के लिए नाल्को ने ओडिशा में 50 साल का खनन पट्टा हासिल किया है.

इसके अलावा, कंपनी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर इन रेयर अर्थ खनिजों को निकालने की टेक्नोलॉजी विकसित कर रही है, ताकि इनका बेहतर इस्तेमाल किया जा सके और भारत को महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बनाया जा सके. अगर इसके शेयर की बात करें तो शुक्रवार को इसका शेयर 0.57 फीसदी की गिरावट के साथ 186 रुपये पर कारोबार कर रहा था. अगर पिछले एक महीने की बात करें तो इसने 4.17 फीसदी का रिटर्न दिया है.

Coal India

कोल इंडिया भारत सरकार की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, जो देश की 70-80 फीसदी कोयला जरूरतों को पूरा करती है. इसके पास भारत के कुल कोयला भंडार का लगभग आधा हिस्सा है. हाल ही में, कंपनी ने रेयर अर्थ मिनरल की खोज और विकास के लिए इंडियन रेयर अर्थ्स (IERL) के साथ साझेदारी की है.

साथ ही, यह इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों के लिए जरूरी लिथियम जैसे खनिजों की तलाश में अर्जेंटीना और चिली जैसे देशों के साथ भी काम कर रही है. इसके शेयर की बात करें तो शुक्रवार को इसका शेयर 0.36 फीसदी गिरकर 391.30 रुपये पर पहुंच गया.

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GMDC

गुजरात खनिज विकास निगम (GMDC) गुजरात सरकार की एक प्रमुख खनन कंपनी है, जो लिग्नाइट, बॉक्साइट और फ्लोरस्पार जैसे खनिजों का उत्पादन करती है. कंपनी के पास बिजली उत्पादन का प्लांट और सीमेंट फैक्ट्री भी है. हाल ही में GMDC ने हिंदुस्तान कॉपर के साथ मिलकर लिथियम और कोबाल्ट जैसी दुर्लभ खनीज की खोज की योजना बनाई है. इसके साथ ही कंपनी रेयर अर्थ मिनरल्स के क्षेत्र में भी एंट्री कर चुकी है.

कंपनी रेयर अर्थ एलिमेंट की खोज और प्रोडक्शन में एक्टिव है. GMDC के शेयर की बात करें तो शुक्रवार को इसके शेयर में 1.05 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 408.50 रुपये पर पहुंच गया. वहीं, पिछले एक महीने में कंपनी ने निवेशकों को 23 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है.

डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है और इसे निवेश सलाह या सिफारिश के रूप में न माना जाए. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन होता है.