RBI MPC Meeting: 25 बेस पॉइंट कटौती की उम्मीद बढ़ी, क्या रेट कट से बाजार में आएगी नई रफ्तार?

RBI अपनी दिसंबर MPC मीटिंग में 25 bps रेट कट का फैसला ले सकता है. लेकिन क्या इससे बाजार में रैली आएगी? GDP मजबूत है पर मैन्युफैक्चरिंग कमजोर, महंगाई रिकॉर्ड लो पर. विशेषज्ञ मानते हैं कि लिक्विडिटी क्रंच और रुपये की कमजोरी के कारण रेट कट का असर सीमित रहेगा. RBI संकेतों और ग्लोबल घटनाओं पर टिकी बाजार की नजर.

क्या रेपो रेट में होगी कटौती? Image Credit: Getty image

भारत की अर्थव्यवस्था इस समय विरोधाभासी संकेत दे रही है. एक तरफ GDP ग्रोथ मजबूत है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार कमजोर पड़ चुकी है. महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर है, जिससे RBI के पास ब्याज दरों में नरमी की गुंजाइश मौजूद है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि 25 बेस पॉइंट की संभावित कटौती क्या वाकई भारतीय बाजारों में नई रफ्तार ला पाएगी, या लिक्विडिटी संकट इसकी चमक फीकी कर देगा?

ग्रोथ-इंफ्लेशन डायनमिक्स

भारत का ग्रोथ-इंफ्लेशन डायनमिक्स फिलहाल एक दिलचस्प मोड़ पर है. Q2FY26 में GDP ग्रोथ 8.2% रही, जो 6 तिमाही का हाई है, लेकिन दूसरी ओर अक्टूबर की इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सिर्फ 0.4% बढ़ी, जो 14 महीनों की सबसे धीमी रफ्तार है. महंगाई 0.25% पर आकर रिकॉर्ड लो लेवल पर है. इन मिक्स संकेतों के बीच उम्मीद है कि RBI 5 दिसंबर को 25 bps की रेट कट की घोषणा कर सकता है.

फिस्कल प्लान पर बढ़ा दबाव

ब्रोकरेज हाउस Emkay Global का कहना है कि नॉमिनल GDP FY26 में 8% से नीचे रह सकता है. मिंट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि Emkay Global का अनुमान है कि फिस्कल डेफिसिट, क्रेडिट ग्रोथ, कॉर्पोरेट अर्निंग्स और डेट टू जीडीपी रेश्यो जैसे प्रमुख मैक्रो वैरिएबल्स पर दबाव बढ़ाता है. Emkay का तर्क है कि, महंगाई की ट्रैजेक्टरी साफ है, लेकिन वन-ईयर-फॉरवर्ड CPI एंकर अब मिसप्लेस्ड लगता है. ऐसे में दिसंबर में 25 bps कट का आधार और मजबूत हो जाता है. हालांकि, स्प्लिट वोट की संभावना दिख रही है, फिर भी रेट कट की संभावना बनी हुई है.

मैन्युफैक्चरिंग भी बड़ा ट्रिगर

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के G. चोक्कालिंगम का मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सुस्त रफ्तार अब RBI को रेट में राहत देने के लिए मजबूर कर सकती है. उनका कहना है कि ग्रोथ हेडलाइन में भले मजबूती दिख रही हो, लेकिन ग्राउंड लेवल इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज पर दबाव साफ है. ऐसे माहौल में 25 बेस पॉइंट का रेट कट जायज कदम हो सकता है, खासकर तब जब महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर है.

रेट कट के खिलाफ दलीलें

कुछ विशेषज्ञ इस समय रेट कट को गलत संदेश मानते हैं. जियोजित इन्वेस्टमेंट मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि अर्थव्यवस्था ‘फायरिंग ऑन ऑल सिलिंडर्स’ मोड में है. लिहाजा, फिलहाल मॉनेटिरी इंसेंटिव की जरूरत नहीं है. उनका तर्क है कि रुपया पहले ही 5% से ज्यादा कमजोर हो चुका है और RBI इंटरवेन नहीं कर रहा. ऐसे माहौल में रेट कट गलत संकेत दे सकता है कि रुपये का 90 तक जाना स्वीकार्य है. वे यह भी मानते हैं कि रेट कट का बाजार पर असर इस बार लगभग नगण्य रहेगा.

क्या रेट कट से बाजार में तेजी आएगी?

बाजार विशेषज्ञों का आम रुख यह है कि सिर्फ 25 bps की कट से बाजार में कोई खास रौनक नहीं लौटेगी. IPO की बाढ़ के कारण रिटेल लिक्विडिटी पर जबरदस्त दबाव है. चोक्कालिंगम कहते हैं कि बाजार फिलहाल लिक्विडिटी चिंता से जूझ रहा है और जब तक RBI आगे की कट्स का स्पष्ट संकेत नहीं देता, उत्साह सीमित रहेगा. हालांकि, RBI के वर्तमान रुख को देखते हुए आगे की कट्स की संभावना भी कम ही मानी जा रही है.

महंगाई फिर बढ़ने की आशंका

Mirae Asset ShareKhan के रिसर्च एनालिस्ट विजय गौड़ का कहना है कि भारत लगभग मौद्रिक ढील के अंतिम चरण में है. वे दिसंबर में रेट कट की उम्मीद करते हैं, जिससे रेपो रेट 5.25% पर आ जाएगा. लेकिन FY26 में आगे रेट कट की गुंजाइश सीमित है. उनका अनुमान है कि अक्टूबर CPI लो पॉइंट था और Q4FY26 तक महंगाई 1.5% से बढ़कर 4% तक जा सकती है, जिससे दरों में आगे कट की खिड़की लगभग बंद हो जाएगी.

जियोपॉलिटिकल रिस्क बरकरार

मार्केट की नजर RBI के फैसले के अलावा पुतिन की भारत यात्रा और इंडिया-यूएस ट्रेड टॉक्स पर भी है. रूस के साथ बढ़ती ऊर्जा और रक्षा साझेदारी अमेरिका के साथ बातचीत की टोन को प्रभावित कर सकती है, खासकर तब जब राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर रूसी तेल खरीद कम करने का दबाव बढ़ा रहे हैं. इस तरह मैक्रो डाटा, लिक्विडिटी तनाव और भूराजनैतिक अनिश्चितताओं के बीच रेट कट की पटरी तैयार दिख रही है, लेकिन बाजार प्रतिक्रिया सीमित रहने की आशंका है. निवेशक अब RBI के संकेतों से ज्यादा सिस्टम लिक्विडिटी और ग्लोबल घटनाक्रम पर नजर रखेंगे.