पुतिन के पास ‘दिव्य जल’ का खजाना, जिससे रुक जाता है बुढ़ापा, नहीं होती हैं बीमारियां, वैज्ञानिक हैरान!
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं. अक्सर पुतिन की उम्र और उनकी फिटनेस को लेकर चर्चा होती है. बहरहाल, कुछ वर्ष पहले रूस में एक वैज्ञानिक ने 30 लाख साल पुराने दिलचस्प बैक्टीरिया की खोज की, जो उम्र को बढ़ने से रोक देता है और बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा देता है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 73 की उम्र में भी किसी 30-35 के युवा जैसे फिट दिखते हैं. पुतिन दुनिया के उन चंद किरदारों में एक हैं, जो काफी रहस्यमयी नजर आते हैं. यही वजह है कि अक्सर उन्हें लेकर मिथक भी गढ़े जाते हैं. बहरहाल, यहां किसी मिथक की बात नहीं कर रहे हैं. यहां, पुतिन के देश में हुई एक वैज्ञानिक खोज के बारे में बता रहे हैं. ऐसी खोज, जो पूरी दुनिया के एंटी-एजिंग मार्केट में भूचाल ला सकती है.
इस खोज के बारे में बताएं, इससे पहले एक वाकया भी याद दिलाना जरूरी है, जब अगस्त-सितंबर में SCO बैठक में गलती से खुले रह गए एक माइक्रोफोन ने सबका ध्यान खींचा. क्योंकि, पुतिन और शी जिनपिंग मानव उम्र बढ़ाने वाली बायोटेक्नोलॉजी, अंग प्रत्यारोपण की दक्षता और “150 साल तक जीवन संभव होने” जैसी अवधारणाओं पर चर्चा करते सुने गए. यह बातचीत कोई गप्पबाजी नहीं थी. बल्कि, आज चल रहे लाइफ-एक्सटेंशन रिसर्च के ट्रेंड्स से मेल खाती है. क्योंकि ग्लोबल एंटी एजिंग बायोटेक्नोलॉजी मार्केट 200 अरब डॉलर का होने जा रहा है.
रूस की इस खोज से दुनिया हैरान
रूस के साइबेरिया इलाके में पर्माफ्रॉस्ट से 30 लाख साल पुराने बैक्टीरिया Bacillius F को खोजा गया है. यह माइक्रोब न सिर्फ अत्यंत प्रतिकूल वातावरण में जीवित रहा, बल्कि प्रयोगों के दौरान इसके असर से मरणासन्न बीमार चूहों का इम्यून रिस्पॉन्स तेज हुआ, जिससे चूहों का जीवन-काल लंबा होने जैसे प्रभाव दिखे हैं. रूस की वैज्ञानिक संस्था RAN के मुताबिक इस बैक्टीरिया की संरचना और प्रोटीन पैटर्न बताते हैं कि यह विकासक्रम से लाखों साल पीछे रहने के बावजूद आज भी जीवित, सक्रिय और प्रभावी है.
कहां मिला यह चमत्कारी बैक्टीरिया?
यह बैक्टीरिया रूस के उत्तरी याकुतिया क्षेत्र से मिला है, जहां का तापमान पृथ्वी पर बसे स्थानों में सबसे ठंडा माना जाता है. पर्माफ्रॉस्ट में लाखों वर्षों तक जमे रहने के बाद भी इसका जीवित रहना वैज्ञानिकों को हैरान करता है. इसका 5 डिग्री सेल्सियस पर भी प्रजनन करना इस बात का संकेत है कि इसमें ऐसे जैविक तंत्र मौजूद हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवन को संरक्षित रखते हैं. यही अनोखी क्षमता अब एंटी-एजिंग विज्ञान में संभावनाओं की नई खिड़की खोल रही है.
शोध में मिले ‘एंटी-एजिंग’ प्रभाव
रूसी वैज्ञानिकों ने इस बैक्टीरिया को उम्रदराज चूहों में इंजेक्ट किया, जिसके बाद मिले नतीजों ने उन्हें चौंका दिया. टेस्ट में पाया गया कि माइस की स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हुई और उनका मेटाबॉलिज्म 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गया. उम्र बढ़ने के लक्षण धीमे पड़े और टेस्ट ग्रुप के माइस कंट्रोल ग्रुप की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहे. शोधकर्ताओं ने यहां तक दावा किया कि इंजेक्शन मिलने के बाद कुछ माइस अधिक सक्रिय हो गए, तेजी से मूव करने लगे और यहां तक कि बुजुर्ग चूहों ने संतानों को जन्म दिया. हालांकि, ट्यूमर रोकने की क्षमता इनमें नहीं देखी गई.

वैज्ञानिक ने खुद पर किया परीक्षण
इस खोज को अंजाम देने वाले मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक अनातोली ब्रूचकोव ने इस बैक्टीरिया को खुद पर इंजेक्ट करके इसके प्रभाव को समझने की कोशिश की. उनका कहना है कि जबसे उन्होंने इस बैक्टीरिया को लिया है उन्हें फ्लू नहीं हुआ और वे पहले से अधिक ऊर्जा महसूस करते हैं. ब्रूचकोव का तर्क है कि याकुतिया के पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से यह बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से पर्यावरण में फैल रहा है और स्थानीय लोग इसे ‘दिव्य जल’ मानते हैं और लंबे समय से यह पानी पी रहे हैं. इसकी वजह से ये के लोग पृथ्वी के सबसे कठिन वातावरण को सह पाते हैं और लंबे समय तक जवान और स्वस्थ रहते हैं.

‘एलिक्सिर ऑफ लाइफ’ की खोज पर उम्मीदें और सवाल
वैज्ञानिकों का एक वर्ग मानता है कि Bacillius F जीवन को लंबा करने वाले संभावित रहस्य छिपाए हुए है. यह बैक्टीरिया लाखों साल तक कैसे जीवित रहा, इसके पीछे मौजूद जैविक तंत्र को समझना ऐसे एंटी-एजिंग उपचारों का आधार बन सकता है, जो भविष्य की चिकित्सा को बदल दें. हालांकि, यह भी सच है कि अभी तक किए गए परीक्षण सीमित हैं और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय इसे लेकर सतर्क है. क्योंकि इसके न तो व्यापक क्लीनिकल ट्रायल हुए हैं और न ही इंसानों पर किसी अधिकृत अध्ययन की शुरुआत हुई है.
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