NSE के सभी बड़े इंडेक्स से बाहर होगा Tata Motors CV का शेयर, डिमर्जर के बाद लिक्विडिटी टेस्ट में हुआ फेल

Tata Motors के कमर्शियल व्हीकल कारोबार को NSE ने 17 नवंबर, 2025 से Nifty 50, Nifty 100, Nifty 500 समेत 33 प्रमुख इंडेक्स से बाहर करने का फैसला लिया है. डिमर्जर के बाद नई लिस्टेड TMCV ने दो दिनों तक प्राइस बैंड हिट नहीं किया, जिससे यह लिक्विडिटी टेस्ट में फेल हो गया. जानें एक्सचेंज के नियम, पूरी प्रक्रिया और निवेशकों पर असर.

टाटा मोटर्स को मिला नया नाम. Image Credit: Getty image

डिमर्जर के बाद लिस्टिंग के शुरुआती दो दिनों में प्राइस बैंड हिट करने में नाकाम रहने के कारण Tata Motors के कमर्शियल व्हीकल कारोबार को बड़ा झटका लगा है. NSE ने घोषणा की है कि Tata Motors CV को 17 नवंबर, 2025 से सभी प्रमुख निफ्टी इंडेक्स से बाहर कर दिया जाएगा. इसका सीधा मतलब यह है कि कंपनी अब किसी भी बेंचमार्क, सेक्टोरल या थीमैटिक इंडेक्स का हिस्सा नहीं रहेगी. यह फैसला लिस्टिंग के तुरंत बाद हुए लिक्विडिटी टेस्ट में स्टॉक के विफल रहने के बाद लिया गया है.

डमी सिंबल से की गई एंट्री

NSE ने इसके संबंध में जारी एक बयान में बताया कि 7 अक्टूबर, 2025 को Tata Motors के CV बिजनेस के डिमर्जर को देखते हुए TMCV को “DUMMYTATAM” नाम के डमी सिंबल के साथ कई इंडेक्स में शामिल किया गया था. यह व्यवस्था 14 अक्टूबर, 2025 से लागू हुई थी. डिमर्जर पूरा होने के बाद TMCV शेयर 12 नवंबर, 2025 को NSE पर लिस्ट हुआ.

क्यों बाहर किया जा रहा स्टॉक?

NSE इंडेक्स नियमों के मुताबिक किसी भी नई लिस्टेड कंपनी को शुरुआती दो ट्रेडिंग सेशन में अपने प्राइस बैंड को हिट करना जरूरी होता है. यह इंडेक्स में शामिल स्टॉक्स की लिक्विडिटी की पुष्टि करता है. लेकिन TMCV ने 12 और 13 नवंबर 2025 दोनों दिन यह शर्त पूरी नहीं की. इसी वजह से NSE ने इसे सभी मेजर इंडेक्स से 17 नवंबर से बाहर करने का फैसला लिया है. एक्सचेंज ने साफ किया कि अगर 14 नवंबर को भी स्टॉक अपना प्राइस बैंड हिट करता है, तब भी यह निर्णय आगे नहीं बढ़ेगा. हटाने की प्रक्रिया तय रहेगी.

कुल 33 इंडेक्स से निकाला जाएगा बाहर

Tata Motors TMCV को कुल 33 निफ्टी इंडेक्स से बाहर किया जा रहा है. इनमें Nifty 50, Nifty 500, Nifty 100, Nifty 200 और Nifty Auto प्रमुख हैं.

निवेशकों पर क्या होगा असर?

इंडेक्स से बाहर होने के बाद आमतौर पर स्टॉक पर शॉर्ट-टर्म प्रेशर बनता है, क्योंकि इंडेक्स-ट्रैकिंग ETF और फंड्स को यह सीधे प्रभावित करेगा. इन सभी इंडेक्स की ट्रैकिंग के आधार पर बने ETF और फंड्स को अपने पोर्टफोलियो से TMCV की होल्डिंग अनिवार्य रूप से बेचनी पड़ेगी. हालांकि, लॉन्ग टर्म में बिजनेस आउटलुक, CV डिमांड, इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल रणनीति और कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन स्टॉक की दिशा तय करेगा.