16 अरब लोगों का डाटा हुआ लीक, खतरे में डिजिटल पहचान; Apple, Google यूजर्स की बढ़ी मुश्किल!
Apple और Google के यूजर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, इन कंपनियों के करीब 16 अरब यूज़र्स का डेटा लीक हो गया है. इस घटना को अब तक के सबसे बड़े साइबर खतरे के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में आइए समझते हैं कि Google और Apple ID का लीक होना इतना खतरनाक क्यों है.
Biggest Data Leak: अब तक की सबसे बड़ी पर्सनल डेटा चोरी की खबर ने दुनियाभर के यूजर्स की नींद उड़ा दी है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, गूगल और एप्पल यूजर्स की लॉगिन जानकारी समेत 16 अरब से अधिक लॉगिन-पासवर्ड इंटरनेट पर लीक हो चुके हैं. यह एक ऐसा साइबर खतरा है जो दुनिया भर के करोड़ों लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है. इस लीक के जरिए हैकर्स किसी भी व्यक्ति को आसानी से टारगेट कर सकते हैं और उसकी डिजिटल प्रोफाइल या बैंक अकाउंट को पूरी तरह से खाली कर सकते हैं.
Google और Apple ID का लीक होना क्यों इतना खतरनाक?
दरअसल गूगल और एप्पल आईडी आज के दौर में केवल ईमेल तक सीमित नहीं हैं. ये अकाउंट्स सोशल मीडिया, बैंकिंग, क्लाउड स्टोरेज, ऐप्स और दूसरे डिजिटल सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल होते हैं. ऐसे में इनका लीक होना, हमारी ऑनलाइन जिंदगी के हर पहलू को खतरे में डाल सकता है.
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
यह चौंकाने वाला खुलासा Forbes की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, करीब 184 मिलियन रिकॉर्ड्स एक वेब सर्वर पर बिना किसी सुरक्षा के मौजूद थे. रिसर्चर्स ने कुल 30 से ज्यादा डेटा सेट्स खोजे हैं जिनमें अनुमानित रूप से 3.5 अरब से ज्यादा यूजर डेटा रिकॉर्ड्स शामिल हो सकते हैं. सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि इन डेटा सेट्स में कॉरपोरेट और डेवलपर प्लेटफॉर्म्स के वीपीएन लॉगिन्स भी शामिल हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी बड़ी मात्रा में संवेदनशील जानकारी अगर गलत हाथों में चली गई, तो यह किसी डिजिटल युद्ध की शुरुआत जैसा हो सकता है. आम लोग इससे आसानी से नहीं बच पाएंगे.
फिशिंग अटैक्स और डिजिटल हैकिंग का खतरा
इस लीक में ईमेल आईडी और दूसरी निजी जानकारियां भी शामिल हैं. इससे साइबर अपराधी फिशिंग अटैक्स के जरिए यूजर्स को आसानी से निशाना बना सकते हैं. एक बार अगर किसी का अकाउंट हैक हो गया, तो उसका पूरा डिजिटल इतिहास, फोटो, डॉक्युमेंट्स, बैंकिंग डिटेल्स, सब कुछ खतरे में आ सकता है. इस घटना के बाद एक बार फिर यह साफ हो गया है कि केवल पासवर्ड रखना अब पर्याप्त नहीं है. Google, Apple और दूसरे टेक कंपनियां लंबे समय से दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) अपनाने की सलाह दे रही हैं. सिर्फ मोबाइल OTP ही नहीं, बल्कि ऑथेंटिकेटर ऐप या हार्डवेयर टोकन जैसे एडवांस ऑप्शन भी जरूरी हैं.
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