दिल्ली ब्लास्ट के नाम पर डिजिटल अरेस्ट का नया जाल, सरकार ने जारी की चेतावनी, ऐसे हो रही ठगी

दिल्ली में हाल ही में हुए कार बम विस्फोट के नाम पर साइबर ठगों ने नया जाल बिछाया है. खुद को एनआईए-सीबीआई अधिकारी बताकर लोगो को 'डिजिटल अरेस्ट' का डर दिखाते हैं और लाखों रुपये ठग लेते हैं. साइबर दोस्त ने चेतावनी दी है कि डिजिटल अरेस्ट 100 फीसदी फर्जीवाड़ा है. डरें नहीं, तुरंत 1930 डायल करें.

Delhi Blast Cyber Fraud Image Credit: @Tv9

Delhi Blast Cyber Fraud: दिल्ली में हाल ही में हुए कार बम विस्फोट ने पूरे देश को सदमें में डाल दिया. इस आतंकी घटना की जांच अभी चल ही रही है कि साइबर ठगों ने इसे अवसर बना लिया और आम लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के आधिकारिक हैंडल @Cyberdost ने आज एक वीडियो और पोस्ट जारी करके चेतावनी दी है. वीडियो में साफ दिखाया गया है कि ठग दिल्ली ब्लास्ट का नाम लेकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराते हैं और लाखों रुपये ठग लेते हैं. साइबर दोस्त का स्पष्ट संदेश है – डिजिटल अरेस्ट पूरी तरह से फर्जी है, यह 100 फीसदी ठगी का तरीका है.

दिल्ली ब्लास्ट के नाम पर ठग कैसे कर रहे हैं धोखा?

ठग आम नागरिकों को फोन या वीडियो कॉल करते हैं और खुद को एटीएस, एनआईए, सीबीआई या दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताते हैं. वे कहते हैं कि दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए कार बम धमाके की जांच में आपका मोबाइल नंबर या आधार कार्ड आतंकवादियों से जुड़ा हुआ पाया गया है. इसके बाद धमकी देते हैं कि पूरा परिवार गिरफ्तार कर लिया जाएगा. फिर पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” में डाल दिया जाता है, यानी घर से बाहर न निकलने और लगातार वीडियो कॉल पर बने रहने को कहा जाता है. घंटों तक डर बनाए रखकर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं ताकि केस सेटल हो जाए.

अब तक एक व्यक्ति ने इस ठगी में अपनी गाढ़ी कमाई गंवा दी, जबकि दो अन्य लोगों ने कॉल काटकर और विश्वास न करके खुद को बचा लिया.

डिजिटल अरेस्ट क्या है और यह जाल कैसे काम करता है?

डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई कानूनी प्रक्रिया भारत में अस्तित्व में ही नहीं है. यह शुद्ध ठगी का हथियार है. ठग फर्जी पहचान पत्र, पुलिस यूनिफॉर्म की तस्वीरें और सरकारी लेटरहेड का इस्तेमाल करते हैं. वीडियो कॉल करके पीड़ित को लगातार स्क्रीन पर रखते हैं ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके.

भारत की कोई भी कानूनी एजेंसी फोन पर पैसे नहीं मांगती. गिरफ्तारी के लिए पुलिस घर पर वारंट लेकर आती है, वीडियो कॉल से नहीं. डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है. ठग फर्जी दस्तावेज दिखाते हैं जो आसानी से जांचे जा सकते हैं. अगर कॉल करने वाला दबाव डाल रहा हो, गाली-गलौज कर रहा हो या तुरंत पैसे ट्रांसफर करने को कह रहा हो तो समझ जाइए कि यह ठगी है.

ठगी हो जाए तो तुरंत क्या करें?

सबसे पहले कॉल काट दें और अकेले न रहें, परिवार या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से तुरंत बात करें. इसके बाद साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 डायल करें या www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें. बैंक खाते को तुरंत फ्रीज करवाने के लिए अपने बैंक से संपर्क करें. कोई भी पेमेंट बिल्कुल न करें. अगर संभव हो तो कॉल की रिकॉर्डिंग या स्क्रीन रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखें. जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे, उतनी ही जल्दी ठगों को पकड़ा जा सकेगा और पैसे वापस आने की संभावना बढ़ेगी. साइबर दोस्त बार-बार यही अपील कर रहा है कि समय सबसे बड़ी दवा है.

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