कितने में बनता है परमाणु बम, क्यों इस खास यूरेनियम के पीछे पड़ा है ईरान, जानें 400 किलो का खेल
ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स पर हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव गहराता ही जा रहा है. ईरान आत्म‑रक्षा के लिए परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है, लेकिन पश्चिमी देश उसे खतरा मानकर रोकना चाहते हैं. ऐसे में हालिया संघर्ष के बाद यह जानना बेहद जरूरी है कि परमाणु हथियार विकसित करने में कितना खर्च आता है और दुनिया के किन देशों के पास यूरेनियम का भंडार है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए महत्वपूर्ण तत्व है.
22 जून, 2025 की सुबह भारतीय समयानुसार 04:10 से 04:35 के बीच, अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स Fordow, Natanz और Isfahan पर हमला किया ताकि उसे परमाणु बम बनाने से रोका जा सके. दुनिया में आत्म‑रक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाने की होड़ तेज है. ऐसे में बेहद जरूरी सवाल यह है कि परमाणु हथियार विकसित करने में कितना खर्च आता है, किन‑किन देशों के पास यूरेनियम भंडार मौजूद है, इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय कानून क्या कहते हैं, और ईरान के पास कितनी यूरेनियम स्टॉक है जिससे वह हथियार बनाने की स्थिति में हो सकता है.
परमाणु बम बनाने में कितना खर्च होता है?
यह जानना इतना आसान नहीं है कि परमाणु हथियार बनाने में कितना खर्च आता है, लेकिन कुछ वैश्विक आंकड़े उपलब्ध हैं, जिनसे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि परमाणु हथियार विकसित करने में कितनी लागत हो सकती है. यूरेनियम ना सिर्फ महंगा है, बल्कि दुर्लभ भी है. 22 जून को यूरेनियम की कीमत USD/Lbs 75.900 है.
परमाणु हथियार के दो मुख्य हिस्से होते हैं. पहला वारहेड या बम, दूसरा डिलीवरी सिस्टम. सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन प्रोलिफेरेशन के अनुसार,
- अमेरिका में B61‑12 वारहेड की अनुमानित कीमत प्रति यूनिट 230 करोड़ रुपये ($28 मिलियन) है.
- Minuteman III ICBM (मिसाइल + वारहेड) के निर्माण में लगभग 400 करोड़ रुपये ($48.5 मिलियन) प्रति यूनिट खर्च आता है.
- Ohio‑class SSBN + Trident II SLBM + वारहेड की संयुक्त लागत लगभग 740 करोड़ रुपये ($90 मिलियन) प्रति मिसाइल है.
किस देश में यूरेनियम का कितना है भंडार?
परमाणु हथियार विकसित करने में यूरेनियम धातु की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि किन देशों के पास कितना यूरेनियम भंडार है. द अस्ताना टाइम्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के पास लगभग 17 लाख टन (28 %), कजाखिस्तान के पास 8,15,000 टन (13 %), कनाडा के पास 5,89,000 टन (10 %), रूस के पास 4,81,000 टन (8 %), और नामीबिया के पास 4,70,000 टन (8 %) यूरेनियम का भंडार है. इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका के पास 3,21,000 टन, ब्राजील के पास 2,77,000 टन, नाइजर के पास 3,11,000 टन और चीन के पास 2,24,000 टन यूरेनियम भंडार मौजूद हैं.
90 फीसदी समृद्ध यूरेनियम की ओर ईरान
तकनीकी रूप से, परमाणु हथियार को 20 फीसदी यूरेनियम-235 से बनाया जा सकता है. इसे अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम के रूप में जाना जाता है, लेकिन जितना अधिक यूरेनियम एनरिच्ड होगा, हथियार उतना ही छोटा और हल्का हो सकता है. परमाणु हथियार संपन्न देश लगभग 90 फीसदी एनरिच्ड उपयोग करते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान ने बड़ी मात्रा में यूरेनियम को 60 फीसदी तक एनरिच्ड किया है . 60 से 90 फीसदी तक एनरिचमेंट करना वास्तव में उस शुरुआती 60 फीसदी तक पहुंचने से कहीं ज्यादा आसान है. यही कारण है कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने का अत्यधिक खतरा माना जाता है.
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क्या कहता है अतर्राष्ट्रीय कानून?
Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons में यूरेनियम के खनन और निर्यात से संबंधित कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत यूरेनियम का खनन और निर्यात आम तौर पर कानूनी है, जब तक कि यह परमाणु विस्फोटक हथियार के विकास के उद्देश्य से ना हो. इसलिए कोई भी देश यूरेनियम का खनन कर सकता है और इसका उपयोग स्वयं कर सकता है या इसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किसी अन्य देशों को निर्यात कर सकता है.
ईरान ने शिफ्ट की न्यूक्लियर साइट?
इजरायल के अधिकारियों ने दावा किया है कि ईरान ने न्यूक्लियर साइट से यूरेनियम को कहीं और शिफ्ट किया कर दिया है. न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ईरान ने हाल ही के दिनों में अपने परमाणु हथियार को कहीं और शिफ्ट किया है. ट्रंप प्रशासन से खतरे को भांपते हुए ईरान ने 60 फीसदी शुद्धता वाले 400 किलोग्राम यूरेनियम को हटाकर कहीं और भेजा है.