रुस का S-400 फेल! यूक्रेन ने इस खास ड्रोन से किया सबसे घातक हमला, ऐसे हुई ट्रक से सीक्रेट सप्लाई

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. दरअसल यूक्रेन ने रूस के ऐसे वायुसैनिक अड्डे पर हमला किया है जो साइबेरिया में स्थित है और यूक्रेनी सीमा से करीब 4300 किलोमीटर दूर है. हमले की खास बात ये रही कि इसमें सामान्य ड्रोन नहीं बल्कि बेहद खास कामिकेज FPV ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिसे मालवाहक ट्रकों के जरिए चोरी-छिपे रूस के भीतर पहुंचाया गया. इस हमले से रूस को करीब 17 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

यूक्रेन ने इस खास ड्रोन से किया सबसे घातक हमला

Ukraine’s ‘Spider Web’ attacked Russia’s: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. दरअसल, यूक्रेन ने रूस के ऐसे वायुसैनिक अड्डे पर हमला किया है जो साइबेरिया में स्थित है और यूक्रेनी सीमा से करीब 4300 किलोमीटर दूर है. यह हमला ऑपरेशन स्पाइडर वेब के तहत किया गया, जिसके तहत 400 से अधिक ड्रोन से रूस के सैन्य एयरबेस पर हमला किया गया. जिसकी योजना करीब 18 महीने पहले बनाई गई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हमले की खास बात यह रही कि इसमें सामान्य ड्रोन नहीं बल्कि बेहद खास कामिकेज FPV ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें मालवाहक ट्रकों के जरिए चोरी-छिपे रूस के भीतर पहुंचाया गया. इसके तहत यूक्रेन ने रूस के 5 एयरबेस को निशाना बनाया. इस हमले से रूस को करीब 17 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

खासबात ये है कि यह हमला उस वक्त हुआ जब इस्तांबुल में शांति वार्ता की तैयारी हो रही थी. ऐसे में आइए जानते हैं यूक्रेन के इस ऑपरेशन के बारे में साथ ही यूक्रेन के कामिकेज FPV ड्रोन के सामने रूस का S-400 क्यों हुआ नाकाम.

क्या था ऑपरेशन स्पाइडर वेब?

यह एक तरह का सीक्रेट मिशन था जिसे यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी SBU (Security Service Ukraine) ने अंजाम दिया. इस ऑपरेशन की शुरुआत 18 महीने पहले की गई थी. खास बात यह है कि इसकी निगरानी खुद राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और SBU प्रमुख वासिल मालियुक ने की थी. इसका उद्देश्य रूस के भीतर घुसकर उसकी रणनीतिक क्षमता को चोट पहुंचाना था. इसलिए इसका नाम यूक्रेन ने ऑपरेशन स्पाइडर वेब, यानी मकड़ी का जाल रखा.


यह अटैक इतना चर्चा में इसलिए भी है क्योंकि यूक्रेन ने पहली बार इतने दूर तक हमला किया. यूक्रेन ने जिन ड्रोन का इस्तेमाल किया वे पहले से ही चोरी-छिपे रूस के अंदर भेजे जा चुके थे. इन ड्रोन को विशेष रूप से डिजाइन किए गए मालवाहक ट्रकों के भीतर, लकड़ी के बने केबिनों में छुपाकर रखा गया था. जब हमला करना तय हुआ, तो इन ट्रकों की छतें रिमोट से खोली गईं और भीतर छुपे कामिकेज़ FPV ड्रोन अचानक आसमान में उड़ते हुए सीधे अपने टारगेट की ओर बढ़ गए.


कामिकेज FPV ड्रोन के सामने रूस का S-400 क्यों हुआ नाकाम?
FPV यानी First Person View ड्रोन की खासियत यह होती है कि ऑपरेटर को लाइव कैमरा फीड मिलती है, जिससे वह ड्रोन को बेहद सटीक ढंग से कंट्रोल कर सकता है. ये ड्रोन बहुत छोटे होते हैं, बेहद कम ऊंचाई पर उड़ते हैं और सामान्य रडार या एंटी-एयर सिस्टम इन्हें पकड़ नहीं पाते. यही वजह थी कि रूस का अत्याधुनिक और दुनिया भर में मशहूर S-400 डिफेंस सिस्टम भी इस हमले के आगे बेबस नजर आया. S-400 प्रणाली को बड़े, ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट को गिराने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन ये छोटे FPV ड्रोन इतनी तेजी और चुपके से आए कि उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया.

कौन से एयरबेस बने निशाना?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन से सबसे पहले हमला रूस के बेलाया एयरबेस पर किया गया, जो कि इरकुत्स्क ओब्लास्ट, साइबेरिया में स्थित है. यह यूक्रेन से लगभग 4300 किलोमीटर दूर है. यहां रूस के न्यूक्लियर-सक्षम Tu-95, Tu-22M3 और A-50 जैसे फाइटर तैनात थे. इस हमले में करीब 40 से अधिक सैन्य विमान या तो बर्बाद हो गए या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा है. यूक्रेन का दावा है कि इससे रूस को लगभग 2 से 6 अरब यूरो तक का नुकसान हुआ है.

दूसरे एयरबेस जो हमले की चपेट में आए

रूसी एयरबेस जैसे ओलेन्या, डायगिलेवो, इवानोवो और अमूर को भी निशाना बनाया गया. ये सभी एयरबेस यूक्रेन से 2 हजार से करीब 6 हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं.

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