भारत के बैन से बिलख रहा पाकिस्तान, डूब रहा इंपोर्ट-एक्सपोर्ट बाजार और ट्रेडर्स की खाली हो रही तिजोरी
भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर तनाव चरम पर है. भारत सरकार के एक फैसले के बाद पाकिस्तान से आने वाला सामान अब आसानी से देश में दाखिल नहीं हो पा रहा. जानिए कैसे इस कदम ने व्यापार, शिपिंग और लागत पर डाला है बड़ा असर...

भारत द्वारा पाकिस्तानी माल ले जा रहे जहाजों के अपने बंदरगाहों पर लंगर डालने पर रोक लगाने के बाद से शिपिंग लागत में भारी इजाफा हुआ है और माल ढुलाई में देरी हो रही है. पाकिस्तान के व्यापारिक संगठनों का कहना है कि इस फैसले ने समुद्री परिवहन को न सिर्फ महंगा बना दिया है, बल्कि आयात-निर्यात की गति भी धीमी कर दी है.
भारत ने यह फैसला 2 मई 2025 से लागू किया, जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से आने वाले सभी माल की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आवाजाही पर रोक लगा दी गई. हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 से ही औपचारिक व्यापार बंद है, लेकिन अब भारत ने समुद्री मार्गों को भी सख्ती से नियंत्रित करना शुरू कर दिया है.
शिपिंग खर्च में उछाल, देरी भी बढ़ी
पाकिस्तानी अखबार DAWN की रिपोर्ट के मुताबिक कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष जावेद बिलवानी के ने कहा, “भारत के इस एक्शन के चलते मदर वेसल्स पाकिस्तान नहीं आ रहीं, जिससे आयात में 30 से 50 दिन की देरी हो रही है.” अब व्यापारियों को छोटे फीडर जहाजों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे लागत और बढ़ रही है.
बीमा खर्च बढ़ा, लेकिन निर्यात पर असर सीमित
टेक्सटाइल निर्यातक आमिर अजीज का कहना है, “निर्यात पर सीधा असर तो नहीं पड़ा, लेकिन बीमा खर्च में काफी इजाफा हुआ है.” उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक शिपिंग दरों में पहले से ही वृद्धि हो रही थी, जो अब और तेज हो गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के निर्यात मुख्य रूप आयातित कच्चे माल पर आधारित हैं. ऐसे में भारत द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध से पाकिस्तान की वैल्यू ऐडेड इंडस्ट्री और विदेशी मुद्रा भंडार दोनों पर दबाव बढ़ेगा.
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2018 में भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय व्यापार 2.41 अरब डॉलर था, जो 2024 में घटकर 1.2 अरब डॉलर रह गया. पाकिस्तान का भारत को निर्यात भी 2019 में 547.5 मिलियन डॉलर से घटकर 2024 में सिर्फ 4.8 लाख डॉलर रह गया है.
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