World War-III: 5 संकेत बता रहे बिछ गई विश्व युद्ध की बिसात, जानें USA, UK और जर्मनी का रूस के खिलाफ बैकडोर प्लान
यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग जल्द ही तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकती है. अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी की तरफ से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि रूस के खिलाफ युद्ध की बिसात बिछ चुकी है. यहां पांच ऐसे प्रमुख संकेतों को उजागर किया गया है, जो साफ तौर पर बताते हैं कि WW III अब दूर नहीं.
ब्रिटिश-अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट फियोना हिल का साफ कहना है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है. दुनिया को आधिकारिक तौर पर बस यह मानने की देर है. The Guardian के डिप्लोमैटिक मामलों के एडिटर पैट्रिक विंटोर अपनी एक रिपोर्ट में लिखते हैं, कश्मीर से कुर्स्क तक सिर्फ धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है. इससे साफ पता चल रहा है कि 1945 में स्थापित रूल बेस्ड वर्ल्ड ऑर्डर धराशायी हो चुका है.
क्यों तबाह हो रहा वर्ल्ड ऑर्डर?
पूर्व अमेरिकी विदेश एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि तबाह होते वर्ल्ड ऑर्डर में सबसे ज्यादा अमेरिकी साख को बट्टा लगा है. ब्लिंकन के मुताबिक अमेरिका ने दुनिया का सैन्य और आर्थिक विश्वास हासिल करने और मजबूत साझेदारी बनाने में 80 साल लगाए. लेकिन, ट्रंप ने इसे 100 दिनों में खत्म कर दिया है.
ट्रंप ने किया क्या इशारा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को धमकाते हुए कहा था कि पुतिन आग से खेल रहे हैं, अगर ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं होते, तो रूस के साथ बेहद बुरी चीजें हो चुकी होतीं. ट्रंप की इस धमकी के बाद यूक्रेन ने अचानक मॉस्को में रूस की बैलिस्टिक क्रूज मिसाइल एवनगार्ड मिसाइल फैक्टरी पर हमला कर दिया. यूक्रेन ने पहली बार इस तरह का हमला किया. इससे यह बात साफ हो गई कि अमेरिका ने यूक्रेन को अब तक ऐसे हमलों से रोककर रखा था. लेकिन, अब यह सीमा खत्म हो गई है.
यूक्रेन का रूस पर पर्ल हार्बर जैसा हमला
अगर रूस-यूक्रेन युद्ध आने वाले दिनों में विश्व युद्ध की विभिषिका में बदलता है, तो रविवार 1 जून, 2025 को इतिहास में उस तारीख के तौर पर दर्ज किया जाएगा, जब वर्ल्ड वार 3 शुरू हुआ. क्योंकि, यूक्रेन ने ड्रोन्स के जरिये रूस पर हमला कर 40 से ज्यादा फाइटर और बॉम्बर प्लेन तबाह कर दिए. यह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान की तरफ से अमेरिकी नौसेना के बेस पर्ल हार्बर पर किए हमले जैसा है, जिसके बाद अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया.
ब्रिटेन से मिले साफ संकेत
ब्रिटेन में सियासत से लेकर तिजारत तक हर कोई युद्ध की तैयारी में जुटा है. ब्रिटेन के उद्योगपति अपने कारोबार को युद्ध के दौरान चलाए रखने के लिए फिट बनाने में जुटे हैं. वहीं, सरकार और पक्ष-विपक्ष के नेता जनता के बीच युद्ध का माहौल बना रहे हैं. पूर्व ब्रिटिश सैन्य अधिकारी नागरिकों को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण और सेवा की पैरवी कर रहे हैं. ब्रिटेन के पूर्व रक्षा मंत्री ग्रांट शैप्स का कहना है कि दुनिया आने वाले कुछ सालों में ऐसे युद्ध में घिर सकती है, जहां चीन, रूस, नॉर्थ कोरिया और ईरान का एक गुट होगा, जिससे निपटने में ब्रिटेन को तैयारी कर लेनी चाहिए.
जर्मनी खुलकर कर रहा तैयारी
यूरोपीय संघ और नाटो में शामिल जर्मनी फिलहाल सबसे ज्यादा खुलकर तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी में जुटा है. दूसरे विश्व युद्ध और जर्मनी के एकीकरण के बाद पहली बार जर्मनी का डिफेंस बजट इसके कुल बजट के करीब 2 फीसदी के बराबर हो गया है. पिछले सप्ताह ही जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने यूक्रेन को अपनी घातक लॉन्ग रेंज टॉरस मिसाइल देने की बात कही. वहीं, 2 जून को ही बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में जर्मनी की सेना के जनरल कार्स्टन ब्रेउर कहा कि रूस प्रतिवर्ष सैकड़ों टैंक बना रहा है. निश्चित रूप से इनमें से कई का इस्तेमाल 2027 से 29 के बीच नाटो और बाल्टिक देशों पर हमले के लिए कर सकता है. इसके लिए जर्मनी और नाटो को तैयार रहना होगा.
शांति की बातों का असल मकसद क्या?
तमाम हिस्टोरियन, डिफेंस एक्सपर्ट और प्रेडिक्शन इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि शांति की बातें सिर्फ युद्ध की तैयारियों के लिए अतिरिक्त समय हासिल करने के लिए हैं. दोनों ही पक्ष पूरी तरह युद्ध की तैयारी में जुटे हैं. खासतौर पर इंस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच हुई बैठक मे रूस ने यूक्रेन को कुछ इलाकों में सीज फायर का ऑफर दिया है. वहीं, इसके बदले में रूस ने डीपीआर, एलपीआर, जैपोरझिया और खेरसॉन से यूक्रेनी सेना से पीछे हटने के लिए कहा है. बहरहाल, दोनों देशों के बीच स्थायी शांति को लेकर कोई बात नहीं हुई है. इससे यह साफ हो जाता है कि शांति की बात सिर्फ अगले हमलों की तैयारियों के लिए समय की चाहत है.