चूहों से कार की वायरिंग बचाना है? मिर्च वाला ये स्प्रे है रामबाण इलाज; जानें कैसे करें इस्तेमाल
चूहों से कार की वायरिंग बचाना अब आसान है. ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिर्च के अर्क वाला कार रैट रिपेलेंट स्प्रे इस समस्या का रामबाण इलाज है. इसमें मौजूद कैप्साइसिन तत्व चूहों की संवेदनशील सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे वे वायरिंग के पास तक नहीं आते. नियमित अंतराल पर इसका इस्तेमाल आपकी कार को सुरक्षित और महंगे रिपेयर खर्च से बचा सकता है.
Car Wiring Protection: ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नई चिंता ने कार मालिकों को परेशान करना शुरू कर दिया है. यह चिंता है वाहनों के अंदर घुसकर इलेक्ट्रिकल तारों को कुतरने वाली चूहों की फौज. यह समस्या न सिर्फ हजारों रुपये के नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि वाहन की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा पैदा कर रही है. हालांकि, इस समस्या का एक प्रभावी, सस्ता और आसान समाधान बाजार में मौजूद है, जिसे मिर्च के अर्क वाला स्प्रे कहते हैं.
एक्सपर्ट और अनुभवी मैकेनिकों द्वारा सुझाए गए इस नुस्खे की कार्यप्रणाली बेहद सरल है. यह स्प्रे, आमतौर पर कार रैट रिपेलेंट स्प्रे के नाम से बेचा जाता है, जिसमें कैप्साइसिन नामक तत्व प्रमुखता से शामिल होता है. यह वही यौगिक है, जो लाल मिर्च को उसकी तीखी तासीर और तेज गंध प्रदान करता है. जबकि यह इंसानों के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है, यही गुण चूहों की संवेदनशील सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता के लिए एक दम घुटने वाला अनुभव पैदा करते हैं.
कैसे करें इसका इस्तेमाल
इस प्रोडक्ट के इस्तेमाल की विधि काफी सरल है. कार के बोनट (इंजन वाले डिब्बे) को खोलने के बाद, विशेष रूप से इलेक्ट्रिकल वायरिंग के बंडल, केबल्स और कोनों पर इस स्प्रे का हल्का-हल्का छिड़काव करना होता है. इसकी तीखी सुगंध एक न दिखने वाली अवरोधक परत बना देती है, जो चुहों को उस क्षेत्र के नजदीक भी भटकने नहीं देती. यह वायरों को नुकसान पहुंचाने की उनकी आदत पर 100 फीसदी रोक लगाने में सक्षम है.
बाजार में उपलब्ध विकल्प और कीमत
भारतीय बाजार में इस तरह के प्रोडक्ट की उपलब्धता काफी अच्छी है. ग्राहकों के विश्वास को आकर्षित करने वाले कई प्रमुख ब्रांड इस क्षेत्र में सक्रिय हैं. इनमें 3M, Motomax और Wurth जैसी नामचीन कंपनियों के स्प्रे प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन प्रोडक्ट की कीमत आमतौर पर 300 रुपये से लेकर 800 रुपये के बीच होती है, जो संभावित हजारों रुपये की मरम्मत के मुकाबले नगण्य निवेश है.
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एक जरूरी सावधानी
हालांकि यह उपाय बेहद कारगर है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता समय के साथ कम होने लगती है. बारिश, धूल और इंजन की गर्मी के कारण स्प्रे की परत धीरे-धीरे अपना असर खोने लगती है. इसलिए लगातार सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस स्प्रे को हर दो से तीन महीने में दोबारा लगाने की सलाह दी जाती है. यह एक ऐसी छोटी सी कीमत है, जो वाहन मालिक अपनी गाड़ी को लंबे समय तक सुरक्षित और चूहों से मुक्त रखने के लिए चुका सकते हैं.