एयर, ऑयल और लिक्विड कूल्ड इंजन में क्या है फर्क, जानें आपकी गाड़ी को किससे मिलेगा पावर और माइलेज बूस्ट
इंजन की चर्चा के दौरान अक्सर हमें एयर, ऑयल और लिक्विड कूल्ड इंजन जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं. दरअसल ये तीनों अलग-अलग तरह के कूलिंग सिस्टम हैं, जो किसी भी गाड़ी के पावर, परफॉर्मेंस और माइलेज को प्रभावित करते हैं.
अक्सर हम अपने रोजमर्रा के जीवन में किसी गाड़ी के इंजन की चर्चा के दौरान एयर, ऑयल या लिक्विड कूल्ड जैसे शब्द सुनते हैं, जो हमें कंफ्यूज कर देते हैं. ऐसे में चलिए समझते हैं कि यह क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं और इनके फायदे क्या होते हैं. किसी इंजन के स्टार्ट होने पर फ्यूल और एयर का मिश्रण सिलेंडर के भीतर जलता है. इस सिलेंडर या चेंबर में आग दहकती रहती है. यह आग और हवा का खेल तब तक चलता रहता है, जब तक इंजन चालू रहता है. अगर गाड़ी का इंजन बहुत ज्यादा गर्म हो जाए और यह गर्मी समय-समय पर बाहर न निकले, तो इंजन जल्दी खराब हो सकता है. इसी वजह से गाड़ियों में कूलिंग सिस्टम लगाया जाता है, ताकि इंजन सही तापमान पर बना रहे और परफॉर्मेंस भी अच्छा मिले.
मौजूदा समय में मार्केट में तीन तरह के कूलिंग सिस्टम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं. इनमें एयर कूल्ड, लिक्विड कूल्ड और ऑयल कूल्ड सिस्टम शामिल हैं. आइए इन्हें आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं.
एयर कूल्ड इंजन क्या होता है?
यह सबसे बेसिक और पारंपरिक कूलिंग सिस्टम है. इसमें इंजन को ठंडा करने के लिए केवल हवा (Air) का उपयोग किया जाता है. इंजन पर खास तरह की फिन्स (धातु की पतली प्लेटें) लगी होती हैं, जो गर्मी को बाहर निकालने में मदद करती हैं.
कैसे काम करता है?
जब बाइक चलती है, तो हवा इन फिन्स से होकर गुजरती है. फिन्स इंजन से निकलने वाली गर्मी को सोखकर हवा के जरिए बाहर निकाल देते हैं. यह सिस्टम आमतौर पर 100 से 125 सीसी वाली बाइक्स और स्कूटर्स में इस्तेमाल होता है.
क्या है खासियत?
- यह सबसे सिंपल और कम खर्चीला सिस्टम.
- इसमें पानी या कूलेंट की जरूरत नहीं होती.
- खराब होने की संभावना कम और मेंटेनेंस आसान.
- अधिकतर छोटी बाइक्स, स्कूटर्स और पुरानी कारों में मिलता है.
लिक्विड कूल्ड इंजन क्या होता है?
यह सबसे एडवांस और प्रभावी कूलिंग सिस्टम है. इसमें इंजन को ठंडा करने के लिए कूलेंट (पानी और केमिकल का मिश्रण) का उपयोग किया जाता है.
कैसे करता है काम ?
इंजन गर्म होने पर कूलेंट उसकी गर्मी सोख लेता है. इसके बाद यह गर्म कूलेंट रेडिएटर तक पहुंचता है. रेडिएटर और फैन की मदद से कूलेंट ठंडा हो जाता है और दोबारा इंजन में लौट आता है. यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और इंजन ओवरहीट नहीं होता.
क्या है खासियत?
- यह इंजन को धीरे-धीरे कूलिंग करता है.
- हाई-परफॉर्मेंस बाइक्स और कारों के लिए बेस्ट है.
- इंजन स्मूद चलता है और ज्यादा समय तक टिकता है.
- हर मौसम में बेहतरीन परफॉर्मेंस देता है.
ऑयल कूल्ड इंजन क्या होता है?
ऑयल कूल्ड इंजन मुख्य रूप से हवा से ठंडा होता है, लेकिन इसमें एक छोटा ऑयल कूलर भी लगा होता है. यह इंजन ऑयल को ठंडा करके गाड़ी की परफॉर्मेंस को बेहतर बनाता है. इसमें भी एयर कूल्ड इंजन जैसी फिन्स लगी होती हैं.
कैसे करता है काम ?
ऑयल इंजन के हिस्सों से गुजरते हुए गर्मी सोख लेता है. यह गर्म ऑयल एक छोटे रेडिएटर जैसे ऑयल कूलर तक पहुंचता है, जहां हवा उसे ठंडा कर देती है. इसके बाद ठंडा ऑयल वापस इंजन में लौट आता है
क्या है खासियत ?
- यह एयर कूल्ड से ज्यादा असरदार, लेकिन लिक्विड कूल्ड से सस्ता होता है.
- स्पोर्ट्स और मिड-रेंज बाइक्स में ज्यादा मिलता है.
- इंजन और ऑयल दोनों की लाइफ बढ़ाता है.
- हाई-स्पीड पर इंजन को ओवरहीट होने से बचाता है.
कौन सा इंजन कूलिंग सिस्टम है बेस्ट?
इंजन का कूलिंग सिस्टम आपके इस्तेमाल पर निर्भर करता है. अगर आप रोजाना 50-100 किमी की दूरी कम स्पीड और स्टॉप-एंड-गो ट्रैफिक में तय करते हैं, तो एयर कूल्ड इंजन आपके लिए बेहतर है. यह किफायती है, मेंटेनेंस कम है और माइलेज अच्छा देता है. अगर आप थोड़ी ज्यादा स्पीड और बेहतर परफॉर्मेंस चाहते हैं, तो ऑयल कूल्ड इंजन सही ऑप्शन है. इसमें कूलिंग बेहतर मिलती है, लेकिन माइलेज थोड़ा कम हो सकता है. लंबी दूरी, हाई-स्पीड और प्रीमियम परफॉर्मेंस के लिए लिक्विड कूल्ड इंजन सबसे बेस्ट है. हालांकि यह महंगा होता है और मेंटेनेंस भी ज्यादा मांगता है.
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