E20 पेट्रोल से डरने की जरूरत नहीं! सरकारी रिपोर्ट्स ने किया साफ, जानें आपकी गाड़ी पर क्या पड़ेगा फर्क

E20 यानी 20 फीसदी एथनॉल मिला पेट्रोल को लेकर कई गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं. लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च और सरकारी रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह ईंधन न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. माइलेज में मामूली कमी आ सकती है, लेकिन नई तकनीक से बना इंजन इसे भी कवर कर लेता है.

एथनॉल और मिथ्य Image Credit: @AI/Money9live

E20 Petrol and Government stand: कुछ खबरों में कहा जा रहा है कि पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने (E20) से गाड़ियों को नुकसान हो सकता है, खासकर पुरानी गाड़ियों को. लेकिन सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों ने साफ कहा है कि ये बातें पूरी तरह गलत हैं और किसी ठोस सबूत पर आधारित नहीं हैं. क्या है असल सच्चाई, एथनॉल को लेकर क्या है दावे और दूसरी ओर सरकार का पक्ष, इस आर्टिकल में समझने की कोशिश करते हैं.

क्या सच में गाड़ी खराब होती है?

इन तमाम उलझनों को खत्म करने की दिशा में कदम उठाते हुए मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस (MoPNG) ने सोमवार, 4 अगस्त को अपनी आधिकारिक एक्स हैंडल से इस बात को साफ करते हुए एक पोस्ट किया. उसमें लिखा कि, देश और दुनिया के कई टेस्ट में यह साबित हुआ है कि पेट्रोल में एथनॉल मिलाने से गाड़ियों की परफॉर्मेंस पर कोई खास असर नहीं पड़ता. इसी के साथ उस पोस्ट में कई मिथ्यों पर भी रोशनी डाली गई.

ARAI, IIP और इंडियन ऑयल जैसी संस्थाओं ने लाखों किलोमीटर तक टेस्ट करके देखा और पाया कि गाड़ियों की पावर, माइलेज या इंजन में कोई खास फर्क नहीं आया. टेस्ट में ये देखा गया कि पुरानी गाड़ियां भी E20 पेट्रोल से सही से चलती हैं. इंजन में कोई खराबी नहीं आई और न ही स्टार्ट होने में कोई दिक्कत हुई. बस कुछ बहुत पुरानी गाड़ियों में कुछ रबर पार्ट्स को बदलना पड़ सकता है, वो भी 20-30 हजार किलोमीटर के बाद. और ये पार्ट्स सस्ते होते हैं, जो सर्विसिंग के दौरान आसानी से बदल जाते हैं.

क्या माइलेज कम होता है?

थोड़ा बहुत फर्क जरूर आता है. E20 पेट्रोल से माइलेज 1 फीसदी से 2 फीसदी तक कम हो सकता है (नई गाड़ियों में), और ज्यादा पुरानी गाड़ियों में 3 फीसदी से 6 फीसदी तक. लेकिन नई गाड़ियां अब E20 के हिसाब से बन रही हैं, जिससे ये फर्क भी बहुत कम हो गया है. इससे इतर, एथनॉल पेट्रोल का एक साफ-सुथरा विकल्प है. यह हवा में कम प्रदूषण करता है, और ये शुगर, मक्का, चावल और खेत के बचे-खुचे हिस्सों से बनता है. यानी ये ना सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों को भी इससे आमदनी होती है. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एथनॉल से बनी गाड़ियों से 50–65% तक कम प्रदूषण होता है.

देश को कितनी बचत?

2014-15 से अब तक 1.40 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाई गई है, क्योंकि एथनॉल की वजह से कम पेट्रोल मंगवाना पड़ा. इसके अलावा किसानों को 1.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान हुआ है. हालांकि,  E20 को लागू करने की योजना 2021 से ही वेबसाइट पर मौजूद है. सरकार, गाड़ी कंपनियां, तेल कंपनियां और वैज्ञानिक संस्थान- सभी मिलकर इस पर काम कर रहे हैं.

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