बुलंदी पर अनिल अंबानी के सितारे, अदालत से बड़ी राहत के संकेत; मिल सकते हैं इतने हजार करोड़

Anil Ambani Reliance Infra: मुंबई मेट्रो वन अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और MMRDA का एक ज्वाइंट वेंचर MMOPL, वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर पर मुंबई की पहली मेट्रो रेल का संचालन करता है.

अनिल अंबानी. Image Credit: Getty image

Anil Ambani Reliance Infra: अनिल अंबानी के सितारे इन दिनों बुलंदी पर नजर आ रहे हैं. एक के बाद एक उन्हें कारोबारी सफलता मिल रही है. इस बीच एक और सफलता उनके हाथ लगी है. बंबई हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) को मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड के साथ विवाद के संबंध में अदालत की रजिस्ट्री में 1,169 करोड़ रुपये की मध्यस्थता राशि जमा करने का निर्देश दिया. मुंबई मेट्रो वन अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी है.

क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र सरकार की एजेंसी MMRDA ने मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) के साथ मेट्रो परियोजना की लागत सहित अलग-अलग विवादों के लिए तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण द्वारा पारित दो आदेशों को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था. MMRDA ने एक आवेदन में याचिका पर सुनवाई और फैसला होने तक मध्यस्थता आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया.

इस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में बिना किसी जमा राशि के स्थगन देना मध्यस्थता आदेशों को शक्ति और प्रासंगिकता देने के लिए किए गए स्पष्ट विधायी हस्तक्षेप के विपरीत होगा.

पैसा जमा करने की डेडलाइन

अदालत ने कहा कि बिना शर्त स्थगन के लिए कोई मामला नहीं बनता है. अगर MMRDA 15 जुलाई तक पूरी राशि जमा कर देता है, तो उसकी याचिका पर अंतिम सुनवाई और फैसला आने तक मध्यस्थता आदेश पर अमल रोक दिया जाएगा.

MMOPL क्या करती है?

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और MMRDA का एक ज्वाइंट वेंचर MMOPL, वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर पर मुंबई की पहली मेट्रो रेल का संचालन करता है. इसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 74 फीसदी हिस्सेदारी है, बाकी MMRDA के पास है. दोनों पक्षों के बीच विवाद 2007 के समझौते के तहत मेट्रो रेल के डेवलपमेंट, डिजाइन, इंजीनियरिंग, वित्तपोषण, खरीद, निर्माण, संचालन और रखरखाव से संबंधित है.

मेट्रो रेल परियोजना दो साल से अधिक की देरी से शुरू हुई. MMOPL ने दावा किया कि परियोजना की लागत 2,356 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,321 करोड़ रुपये हो गई, जिसका MMRDA ने विरोध किया.

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