पिछले 10 साल में 12 लाख करोड़ के लोन राइट ऑफ, सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक

संसद के प्रश्नों के उत्तर में सरकार ने कर्ज राइट ऑफ से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराए हैं. बैंकिंग सेक्टर द्वारा राइट ऑफ किए जाने की दर वित्त वर्ष 2019 में 2.4 लाख करोड़ रुपये के हाई लेवल पर पहुंच गई थी, जो 2015 में शुरू हुए एसेट क्वालिटी रिव्यू के बाद बढ़ी.

बैंकों ने माफ किए हैं 12 लाख करोड़ से अधिक के कर्ज. Image Credit: Getty image

पिछले 10 साल में देश के कमर्शियल बैंकों ने बड़े पैमाने पर लोन राइट ऑफ किए हैं. वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2024 के बीच देश के कमर्शियल बैंकों ने 12.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज राइट ऑफ किए हैं. संसद के प्रश्नों के उत्तर में सरकार ने कर्ज राइट ऑफ से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, 12.3 लाख करोड़ रुपये में से 6.5 लाख करोड़ रुपये (53%) पिछले पांच वर्षों में सरकारी बैंकों ने राइट ऑफ किए हैं.

बैंकिंग सेक्टर द्वारा कर्ज राइट ऑफ किए जाने की दर वित्त वर्ष 2019 में 2.4 लाख करोड़ रुपये के हाई लेवल पर पहुंच गई थी, जो 2015 में शुरू हुए एसेट क्वालिटी रिव्यू के बाद बढ़ी.

सरकारी बैंकों का हिस्सा

वित्त वर्ष 2024 में राइट ऑफ का आंकड़ा 1.7 लाख करोड़ रुपये के सबसे निचले स्तर पर आ गया, जो उस समय बकाया कुल बैंक लोन लगभग 165 लाख करोड़ रुपये का केवल 1 फीसदी था. सरकारी बैंकों के पास मौजूदा समय में बैंकिंग सेक्टर के इंक्रीमेंटल लोन का 51 फीसदी हिस्सा है, जो वित्त वर्ष 2023 के 54 फीसदी से कम है.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक पब्लिक सेक्टर के बैंकों और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का ग्रॉस एनपीए क्रमश 3,16,331 करोड़ रुपये और 1,34,339 करोड़ रुपये था. इसके अलावा, बकाया कर्ज के प्रतिशत के रूप में ग्रॉस एनपीए सरकारी बैंकों में 3.01 फीसदी और प्राइवेट बैंकों में 1.86 फीसदी था.

SBI और PNB ने बट्टे खाते में डाली इतनी रकम

बैंकिंग गतिविधियों में करीब पांचवां हिस्सा कंट्रीब्यूट करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने इस अवधि में 2 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले. नेशनलाइज्ड बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक ने 94,702 करोड़ रुपए के कर्ज राइट ऑफ किए. चालू वित्त वर्ष के दौरान सितंबर के अंत तक सरकारी बैंकों ने 42,000 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए हैं, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह आंकड़ा 6.5 लाख करोड़ रुपये था.

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कर्ज वसूली की कार्रवाई

पंकज चौधरी ने कहा कि बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, चार साल पूरे होने पर उन एनपीए को बट्टे खाते में डालते हैं जिनके संबंध में पूर्ण प्रावधान किया गया है. इस तरह के बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की देनदारियों में छूट नहीं मिलती है और इसलिए इससे उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता है. बैंक इन खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई जारी रखते हैं.

उन्होंने कहा कि वसूली के तरीकों में सिविल अदालतों या लोन वसूली ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और रिकंस्ट्रक्शन आदि शामिल है.

बैंकों का प्रॉफिट

भारत में सेक्टर बैंकों ने वित्त वर्ष 24 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक कुल नेट प्रॉफिट दर्ज किया है. यह संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार द्वारा समर्थित था. इसमें सितंबर 2024 में ग्रॉस एनपीए रेश्यो घटकर 3.12 फीसदी हो गया. 2024-25 की पहली छमाही में PSB ने 85,520 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया था.