Forex Reserve: 4 महीने में 6.8 लाख करोड़ की गिरावट, जानें क्यों गिर रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) हाल ही में गिर रहा है, जो दिसंबर 2024 तक $490 बिलियन तक पहुंच गया है. कोविड के बाद, विदेशी निवेश में वृद्धि हुई थी, लेकिन अब इसमें कमी आ रही है. वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, करंसी एक्सचेंज रेट का दबाव और विदेशी निवेश में गिरावट इसके प्रमुख कारण हैं.

Forex reserves:रिजर्व बैंक के पास फॉरेक्स रिजर्व 2025 के तीसरे सप्ताह में घटकर $624 बिलियन पर आ गया, जो मार्च 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर है. यह गिरावट सितंबर 2024 के आखिरी सप्ताह में रिकॉर्ड $704.9 बिलियन से हुई है. भारतीय फॉरेक्स रिजर्व में तेजी से हो रही कमी RBI द्वारा अपनी करेंसी को स्थिर रखने के लिए की जा रही लगातार विदेशी करेंसी की बिक्री को दिखाता है. इस कमी के बावजूद, करेंसी का वैल्यू गिरता जा रहा है.

क्यों कम हो रहा है फॉरेक्स रिजर्व
देश का फॉरेक्स रिजर्व गिरने के कई कारण हो सकते हैं. जिसमें
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता (global economic instability)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की गिरती कीमत को स्थिर रखने के लिए डॉलर बेचता है. जब विदेशी निवेश कम होता है या बाजार में डॉलर की मांग बढ़ जाती है, तो RBI को अपने भंडार से डॉलर निकालकर बाजार में डालना पड़ता है ताकि रुपये को ज्यादा गिरने से बचाया जा सके. लेकिन इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है. भारतीय रुपया 1 अक्टूबर 2024 को ग्रीनबैक के मुकाबले 83.8213 से घटकर 27 जनवरी को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.3550 पर आ गया. पिछले तीन महीनों में, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 2.97 प्रतिशत कमजोर हुआ है.
रुपये की कीमत को बचाने का दबाव
भारत में विदेशी निवेश (FDI और FPI) की इनफ्लो पहले की तुलना में घट रही है. विदेशी निवेशक अगर भारत की ग्रोथ संभावनाओं को कमज़ोर समझते हैं या उन्हें दूसरे देशों में बेहतर रिटर्न मिलता है, तो वे अपना पैसा भारत से निकालकर अन्य देशों में निवेश कर देते हैं. इससे भारत में डॉलर की इनकमिंग घट जाती है और फॉरेक्स रिजर्व कम होने लगता है. वित्त वर्ष 2023-24 में कुल FII (Foreign Institutional Investment) प्रवाह ₹3,39,064.6 करोड़ रहा, जबकि 2024-25 में अब तक यह केवल ₹86,875.89 करोड़ दर्ज किया गया है. इस तुलना से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक विदेशी निवेश की गति धीमी रही है. है.
विदेशी निवेश में कमी
भारत में विदेशी निवेश (FDI और FPI) की इनफ्लो पहले की तुलना में घट रही है. विदेशी निवेशक अगर भारत की ग्रोथ संभावनाओं को कमजोर समझते हैं या उन्हें दूसरे देशों में बेहतर रिटर्न मिलता है, तो वे अपना पैसा भारत से निकालकर अन्य देशों में निवेश कर देते हैं. इससे भारत में डॉलर की इनकमिंग घट जाती है और फॉरेक्स रिजर्व कम होने लगता है. वित्त वर्ष 2023-24 में कुल FII (Foreign Institutional Investment) प्रवाह ₹3,39,064.6 करोड़ रहा, जबकि 2024-25 में अब तक यह केवल ₹86,875.89 करोड़ दर्ज किया गया है. इस तुलना से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक विदेशी निवेश की गति धीमी रही है. है.
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क्या होती है फॉरेक्स रिजर्व
फॉरेक्स रिजर्व (Foreign Exchange Reserves) वे विदेशी करेंसी हैं, जो एक देश अपनी आर्थिक स्थिरता** और करेंसी एक्सचेंज रेट को कंट्रोल करने के लिए जमा करता है. ये रिजर्व रिजर्व बैंक (या संबंधित केंद्रीय बैंक) द्वारा रखे जाते हैं.
फॉरेक्स रिजर्व में सामान्यतः विदेशी करेंसी (जैसे डॉलर, यूरो, येन) और सोने के सिक्के शामिल होते हैं. इनका इस्तेमाल विदेशी व्यापार में भुगतान, आर्थिक संकट से निपटने और मुद्रा की कीमत को स्थिर रखने के लिए किया जाता है. ये रिजर्व एक देश की आर्थिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और अंतरराष्ट्रीय लेन-देन को सहज बनाते
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