नवंबर में कोर सेक्टर ने दर्ज की 1.8 फीसदी की ग्रोथ, सीमेंट उत्पादन में जोरदार उछाल, पिछले महीने रहा था फ्लैट
Core Sector Growth: सीमेंट उत्पादन में साल-दर-साल 14.5 फीसदी की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, जो कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में उछाल का संकेत देता है. पिछले महीने, ग्रोथ 5.2 फीसदी थी. स्टील उत्पादन मजबूत बना रहा. इसके अलावा, पिछले महीने 1.2% की गिरावट के बाद कच्चे तेल का उत्पादन 3.2% कम हो गया.
Core Sector Growth: भारत के 8 कोर सेक्टर्स ने पिछले महीने के फ्लैट परफॉर्मेंस के बाद नवंबर में साल-दर-साल 1.8 फीसदी की कुल ग्रोथ दर्ज की. सीमेंट उत्पादन में साल-दर-साल 14.5 फीसदी की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, जो कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में उछाल का संकेत देता है. पिछले महीने, ग्रोथ 5.2 फीसदी थी. स्टील उत्पादन मजबूत बना रहा.
स्टील प्रोडक्शन मजबूत
स्टील प्रोडक्शन मजबूत बना रहा, अक्टूबर में 5.9% की बढ़ोतरी के बाद नवंबर में इसमें 6.1% की बढ़ोतरी हुई. कोयला सेक्टर में 2.1% की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि पिछले महीने इसमें 8.5% की गिरावट आई थी.
हालांकि, पेट्रोलियम रिफाइनरी प्रोडक्ट्स का आउटपुट, जिसका आठ कोर इंडस्ट्रीज के इंडेक्स में सबसे अधिक वेटेज है, अक्टूबर में 4.6% बढ़ने के बाद 0.9% घट गया.
नेचुरल गैस और बिजली उत्पादन में गिरावट
अक्टूबर में 7.4% की ग्रोथ के बाद नवंबर में फर्टिलाइजर का उत्पादन भी 5.6% बढ़ा. नेचुरल गैस का उत्पादन नवंबर में भी गिरा है. अक्टूबर में 5 फीसदी की गिरावट के बाद 2.5 फीसदी की और गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा, पिछले महीने 1.2% की गिरावट के बाद कच्चे तेल का उत्पादन 3.2% कम हो गया.
बिजली उत्पादन भी नेगेटिव में रहा, क्योंकि पिछले महीने 6.9% की गिरावट के बाद नवंबर में बिजली उत्पादन में 2.2% की कमी आई.
मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की नई सीरीज
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने सोमवार को ऐलान किया कि अगले साल मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की एक नई सीरीज जारी की जाएगी, जिसमें रिटेल महंगाई, राष्ट्रीय खातों और औद्योगिक उत्पादन के लिए संशोधित बेस ईयर शामिल होंगे. एक ऑफिशियल बयान के अनुसार, मंत्रालय ने मंगलवार को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP), कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI), और इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) के बेस रिवीजन पर चर्चा करने के लिए एक प्री-रिलीज़ कंसल्टेटिव वर्कशॉप रखी है.
यह वर्कशॉप 26 नवंबर को मुंबई में हुए पहले कंसल्टेटिव सेशन के बाद हो रही है. इसका मुख्य लक्ष्य GDP, CPI और IIP में प्रस्तावित मेथोडोलॉजिकल और स्ट्रक्चरल बदलावों को पेश करना और पार्टिसिपेंट्स से फीडबैक लेना है.