भारत-न्यूजीलैंड FTA पर मुहर, अब सात समंदर पार से आएगा कीवी-सेब-शहद, 95% प्रोडक्ट पर खत्म होंगे टैरिफ
भारत और एक प्रमुख ग्लोबल इकॉनमी के बीच हुए नए व्यापार समझौते ने बाजार में हलचल बढ़ा दी है. महीनों चली बातचीत के बाद हुआ यह फैसला कई सेक्टर्स के लिए नए मौके खोल सकता है. इस डील का असर आने वाले वर्षों में व्यापार की दिशा तय कर सकता है.
India New Zealand FTA: भारत और न्यूजीलैंड के बीच महीनों चली बातचीत के बाद आखिरकार मुक्त व्यापार समझौते यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर सहमति बन गई है. मार्च 2025 से शुरू हुई बातचीत का पांचवां दौर इस अहम डील पर मुहर लगने के साथ खत्म हुआ. यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई मजबूती देता है और एग्रीकल्चर, बेवरेज, सर्विस और इंडस्ट्रियल सेक्टर समेत कई क्षेत्रों में व्यापार को पहले से कहीं ज्यादा आसान और व्यापक बनाने वाला माना जा रहा है. न्यूजीलैंड की आधिकारिक सरकारी वेबसाइट ने इसकी जानकारी दी है, पीएम मोदी ने भी सोशल मीडिया ‘X’ पर पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दें.
भारत–न्यूजीलैंड FTA: क्यों है यह समझौता अहम
न्यूजीलैंड के व्यापार और निवेश मंत्री Todd McClay ने इसे “एक जनरेशन में एक बार मिलने वाला अवसर” बताया है. उनके मुताबिक यह समझौता न्यूजीलैंड के हित में है और इससे आने वाले वर्षों में हजारों नौकरियां और अरबों डॉलर का अतिरिक्त निर्यात संभव होगा.
95 फीसदी निर्यात पर टैरिफ में राहत
इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड के करीब 95 फीसदी निर्यात पर भारत की ओर से या तो टैरिफ खत्म कर दिए गए हैं या उनमें बड़ी कटौती की गई है. शुरुआत में ही लगभग 57 फीसदी निर्यात पूरी तरह शुल्क-मुक्त हो जाएंगे, जो आगे चलकर 82 फीसदी तक पहुंच जाएंगे. बाकी बचे 13 फीसदी उत्पादों पर भी टैरिफ में तेज कटौती का प्रावधान है. यह भारत के साथ किसी भी अन्य एफटीए की तुलना में न्यूजीलैंड के लिए सबसे बेहतर शर्तों में से एक मानी जा रही है.
कृषि, डेयरी और समुद्री उत्पादों को बड़ा फायदा
न्यूजीलैंड की सरकारी वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक, समझौते से कृषि और खाद्य उत्पादों को खास लाभ मिलेगा. भेड़ का मांस, ऊन, कोयला और वानिकी (Forestry) से जुड़े 95 फीसदी से अधिक उत्पादों पर टैरिफ तुरंत खत्म होंगे. समुद्री उत्पादों जैसे मसल्स और सैल्मन को सात साल में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी. सेब के लिए बड़े कोटे पर 50 फीसदी टैरिफ कटौती तय की गई है, जबकि कीवी फल के लिए लगभग चार गुना बड़े कोटे पर ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलेगा. शहद, खासकर मैनुका हनी पर टैरिफ को 66 फीसदी से घटाकर पांच साल में 16.5 फीसदी किया जाएगा.
वाइन और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स पर राहत
भारतीय बाजार में वाइन पर लगने वाला 150 फीसदी टैरिफ इस समझौते के तहत घटकर 25 या 50 फीसदी रह जाएगा, जिसे दस साल में लागू किया जाएगा. इसके अलावा आयरन, स्टील, एल्युमिनियम स्क्रैप और अधिकतर औद्योगिक उत्पादों को भी पांच से दस साल के भीतर ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलेगा.
भविष्य की अर्थव्यवस्था पर नजर
वित्त वर्ष 2020–21 में भारत से न्यूजीलैंड को होने वाला निर्यात 486.2 मिलियन डॉलर रहा था, जबकि इसी अवधि में न्यूजीलैंड से भारत का आयात 381.5 मिलियन डॉलर का था. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025–26 तक भारत का निर्यात 343.5 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, वहीं आयात बढ़कर 356.9 मिलियन डॉलर होने की संभावना जताई जा रही है.
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न्यूजीलैंड सरकार के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक लगभग 12 ट्रिलियन न्यूजीलैंड डॉलर तक पहुंच सकती है. ऐसे में यह एफटीए न्यूजीलैंड को भारत की बढ़ती मिडिल क्लास तक सीधे पहुंच दिलाएगा और अगले दस साल में निर्यात को दोगुना करने के लक्ष्य को तेजी से आगे बढ़ाएगा. यह जानकारी न्यूजीलैंड की आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के हवाले से सामने आई है, जिसे वहां की सरकार एक ऐतिहासिक आर्थिक कदम मान रही है.