UPI की तेजी ने बदली तस्वीर, IMPS और कार्ड पेमेंट की रफ्तार थमी, QR कोड सब पर भारी

भारत में UPI तेजी से बढ़ रहा है लेकिन NPCI के दूसरे डिजिटल पेमेंट मोड्स की रफ्तार थमी हुई है. आईएमपीएस और फास्टैग जैसे सिस्टम में लेनदेन घटा या स्थिर हुआ है. UPI की आसान प्रक्रिया और शून्य शुल्क ने बाकी मोड्स का हिस्सा कम कर दिया है.

भारत में UPI तेजी से बढ़ रहा है. Image Credit:

UPI NPCI Payments: भारत में डिजिटल पेमेंट की बात हो तो सबसे पहले UPI का नाम आता है. UPI ने तेजी से बढ़त बनाई है और हर महीने नए रिकॉर्ड बना रहा है. लेकिन इसके पीछे एक दूसरी कहानी भी छिपी है. NPCI के दूसरे रिटेल पेमेंट मोड्स की रफ्तार थमी हुई है. कुछ मोड्स में लेनदेन घटा है तो कुछ लगभग स्थिर हो गए हैं. इससे साफ है कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम में असंतुलन बढ़ रहा है.

UPI की तेज बढ़त और बाकी मोड्स की सुस्ती

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, UPI लगातार महीने दर महीने बढ़ रहा है. वहीं NPCI के दूसरे पेमेंट सिस्टम जैसे आईएमपीएस और फास्टैग में ठहराव दिख रहा है. बीते एक दो साल में इन मोड्स का ट्रांजैक्शन ग्रोथ कमजोर रहा है. जानकार मानते हैं कि UPI की आसान प्रक्रिया ने बाकी सिस्टम का हिस्सा कम कर दिया है.

आईएमपीएस में घटता ट्रांजैक्शन ट्रेंड

आईएमपीएस के जरिए होने वाले लेनदेन में गिरावट आई है. नवंबर में आईएमपीएस ट्रांजैक्शन घटकर करीब 368 मिलियन रह गए. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 400 मिलियन से ज्यादा था. साल 2023 में औसतन हर महीने लगभग 500 मिलियन ट्रांजैक्शन होते थे. UPI की बेहतर सुविधा इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है.

सैचुरेशन के करीब पहुंचा फास्टैग

फास्टैग के मामले में भी ग्रोथ लगभग रुक गई है. हर महीने करीब 350 से 380 मिलियन ट्रांजैक्शन हो रहे हैं. जानकारों का कहना है कि टोल प्लाजा पर लगभग सभी पेमेंट डिजिटल हो चुके हैं और अब आगे की बढ़त पार्किंग और फ्यूल जैसे नए इस्तेमाल से ही आएगी.

क्यूआर कोड ने कार्ड स्वाइप को पीछे छोड़ा

व्यापारियों के लेवल पर UPI क्यूआर कोड ने कार्ड स्वाइप को पीछे छोड़ दिया है. फोनपे पेटीएम और भारतपे जैसे प्लेटफॉर्म नए मर्चेंट जोड़ रहे हैं. इससे कार्ड आधारित भुगतान का यूज घट रहा है. रुपे कार्ड नेटवर्क पर भी ट्रांजैक्शन में गिरावट देखी गई है.

डिजिटल पेमेंट ग्रोथ की अगली चुनौती

जानकार मानते हैं कि अब डिजिटल पेमेंट की ग्रोथ धीमी होगी. UPI के यूजर पहले ही बहुत बड़ी संख्या में हैं. आगे नए यूजर गांव बुजुर्ग और पहली बार डिजिटल पेमेंट अपनाने वाले होंगे. इनके लिए भरोसा और पहुंच सबसे बड़ी चुनौती है.

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मुफ्त UPI और कम कमाई की समस्या

UPI पर कोई चार्ज नहीं होने से कंपनियों की कमाई सीमित है. इससे नए निवेश और इनोवेशन पर असर पड़ रहा है. सरकार ने इसे चलाने के लिए बजट दिया है. उद्योग जगत का मानना है कि बड़े व्यापारियों से चार्ज लेने की अनुमति मिलनी चाहिए. तभी डिजिटल पेमेंट का अगला चरण मजबूत बन सकेगा.

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