रिलायंस पावर के CFO गिरफ्तार, अब ED अनिल अंबानी के भरोसेमंद से करेगी पूछताछ

अनिल अंबानी के कारोबारी साम्राज्य से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में जो कार्रवाई की है, उसने कॉरपोरेट जगत में हलचल मचा दी है. मामला करोड़ों रुपये के वित्तीय लेनदेन और कथित अनियमितताओं से जुड़ा बताया जा रहा है, जिससे जांच एजेंसियों की नजरें अब और तेज हो गई हैं.

रिलायंस पावर के CFO गिरफ्तार Image Credit: Money9 Live

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के करीबी सहयोगी और उनकी कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी फर्जी बैंक गारंटी मामले से जुड़ी है.

इंडिया टूडे ने अपने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि, ईडी ने यह कार्रवाई अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के दायरे को बढ़ाते हुए की है. अशोक पाल रिलायंस पावर में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर भी कार्यरत हैं, उन पर लगभग 68.2 करोड़ रुपये की संदिग्ध फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में शामिल होने का आरोप है.

ED ने किस आधार पर किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई यह कार्रवाई दरअसल 2024 में दर्ज एक FIR पर आधारित है, जिसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने दायर किया था. यह मामला सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को दी गई एक फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा है. SECI, न्यू एंव रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक सरकारी कंपनी है.

ED के अनुसार, यह फर्जी बैंक गारंटी अनिल अंबानी समूह से जुड़ी दो कंपनियों- रिलायंस NU BESS लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड, के नाम पर जारी की गई थी. इसी सिलसिले में ईडी ने रिलायंस पावर के CFO अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है. पाल, जो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जनवरी 2023 में कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) बने थे और पिछले 7 वर्षों से रिलायंस पावर से जुड़े हुए हैं.

कार्रवाई में अब तक क्या आया सामने

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का एक अहम किरदार ओडिशा स्थित कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक है. इसी कंपनी के माध्यम से यह कथित फर्जी बैंक गारंटी बनाई और जारी की गई थी. अगस्त 2025 में ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक, पार्थ सारथी बिस्वाल को भी गिरफ्तार किया था. आरोप है कि उन्होंने इन फर्जी बैंक गारंटियों की व्यवस्था की और इसके बदले 8 फीसदी कमीशन लिया.

ईडी के मुताबिक, धोखाधड़ी को असली दिखाने के लिए आरोपियों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ईमेल डोमेन की नकल करते हुए एक स्पूफ्ड डोमेन का इस्तेमाल किया. असली “sbi.co.in” की जगह उन्होंने “s-bi.co.in” का उपयोग किया, ताकि यह लगे कि गारंटी दस्तावेज असली हैं और एसबीआई से ही जारी किए गए हैं.

जांच के दौरान यह भी पता चला कि बिस्वाल ट्रेडलिंक सिर्फ कागजों पर मौजूद थी, न तो कंपनी के किसी वैध रजिस्ट्रेशन दस्तावेज का रिकॉर्ड मिला और न ही रजिस्टर्ड पते पर कोई कार्यालय मौजूद पाया गया. ईडी का मानना है कि यह कंपनी सिर्फ फर्जी वित्तीय गारंटी तैयार करने और मध्यस्थ के रूप में कमीशन कमाने के लिए बनाई गई थी.

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इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर अनिल अंबानी समूह की वित्तीय पारदर्शिता और कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ईडी आने वाले दिनों में अशोक कुमार पाल से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश करेगी कि फर्जी बैंक गारंटी जारी करने में उनकी भूमिका कितनी गहरी थी और क्या यह लेन-देन रिलायंस समूह के किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी की जानकारी में था.

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