Silver Rate Today: साल के आखिरी दिन सोना-चांदी लुढ़के, ₹18000 सिल्‍वर और सोना ₹1000 टूटा; हो रही है मुनाफावसूली

सोने-चांदी की कीमतों में बनी तेजी साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर 2025 को थम गई. कीमती धातुओं के भाव में जबरदस्‍त गिरावट देखने को मिली. जानकरों के मुताबिक मुनाफावसूली के चलते कीमतें नीचे आई हैं, तो क्‍या है आज के भाव, यहां करें चेक.

सोने-चांदी का भाव Image Credit: Money9 Live

Gold and Silver price today: साल 2025 में सोने-चांदी की कीमतों में जबरदस्‍त उछाल देखने को मिला था, लेकिन वर्ष के अंतिम दिन आज यानी 31 दिसंबर को इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई. सोन जहां लगभग 1000 रुपये सस्‍ता हो गया तो वहीं चांदी के भाव 18000 रुपये से ज्‍यादा लुढ़क गए.

बुधवार, 31 दिसंबर को मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंज यानी MCX पर सुबह के कारोबार में सोने और चांदी के दामों में भारी गिरावट देखने को मिली. रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली किए जाने से कीमती धातुओं पर दबाव बढ़ा है. जिससे इनकी कीमतें नीचे आ गई हैं. आज एमसीएक्स गोल्ड फरवरी फ्यूचर्स 0.75% गिरकर ₹1,35,644 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गए. जबकि एमसीएक्स सिल्वर मार्च फ्यूचर्स में 7.22% की भारी गिरावट आई. जिससे चांदी की कीमत ₹2,32,900 प्रति किलो पर आ गई. यानी चांदी आज 18,112 रुपये तक सस्‍ती हो गई.

इंटरनेशल मार्केट और रिटेल का हाल

इंटरनेशनल मार्केट में सोने के भाव पर नजर डालें तो स्‍पॉट गोल्‍ड 0.44 फीसदी उछाल के साथ 4345 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड करता नजर आया, जबकि स्‍पॉट सिल्‍वर 1.45 फीसदी तेजी के साथ 72.23 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार करता नजर आया.

रिटेल की बात करें तो बुलियन वेबसाइट पर बुधवार को सोना 1060 रुपये गिरकर 136070 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता नजर आया, जबकि चांदी 18600 रुपये गिरकर 232890 रुपये प्रति किलो पर कारोबार करती दिखी.

इस साल कितने बढ़े सोना-चांदी?

कीमती धातुओं में रिकॉर्ड हाई देखने के बाद ट्रेडर्स ने 31 दिसंबर को इसमें मुनाफावसूली की है. मगर इस साल सोने की कीमतों में 76% और चांदी की कीमतों में लगभग 170% की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है. सोने की कीमतों में भारी तेजी के मुख्य कारणों में अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, आने वाले समय में और अधिक रेट कट की उम्मीदें, केंद्रीय बैंकों की आक्रामक खरीदारी, वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों में लगातार वृद्धि और ETFs में मजबूत निवेश प्रवाह शामिल हैं.