91 साल पुराने खत से मोटिवेट होता है बिड़ला परिवार, इस बात पर पिता ने KM Birla को ऑफिस से दिखाया था Exit का रास्ता
धन-दौलत से बड़ी विरासत होती है विचार और मूल्य. बिड़ला परिवार की पीढ़ियों को दिशा देने वाला घनश्याम दास बिड़ला का 1934 का एक पत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है. कुमार मंगलम बिड़ला ने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में इस अनमोल विरासत की कहानी साझा कर इसे फिर जीवंत कर दिया.
Kumar Mangalam Birla in KBC 17: पूर्वज अपने बच्चों के लिए धन-दौलत, जमीन-जायदाद, रत्न-आभूषण और हीरे-जवाहरात जैसी चीजें विरासत में छोड़ सकते हैं. ये सभी भौतिक संपत्ति नष्ट हो सकती है या समय के साथ कम हो सकती है. लेकिन सीख, मूल्य और अनुशासन के रूप में छोड़ी गई विरासत कई पीढ़ियों तक जीवित रह सकती है. कुछ ऐसा ही बिड़ला परिवार के संस्थापक घनश्याम दास बिड़ला (जीडी बिड़ला) ने अपने बच्चों को दिया था. एक साधारण पत्र, जो दिखने में मात्र कागज का टुकड़ा है, लेकिन बिड़ला खानदान के लिए यह प्रेरणा और मोटिवेशन का खजाना है.
इन दिनों आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला सुर्खियों में हैं. इसका कारण उनका रियलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (सीजन 17) में शामिल होना है. हाल ही में प्रसारित एक एपिसोड में कुमार मंगलम बिड़ला शो के होस्ट और सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठे. कार्यक्रम के दौरान कुमार मंगलम ने अपने परिवार से जुड़े कई अनसुने किस्से साझा किए. इन्हीं किस्सों में उन्होंने परदादा घनश्याम दास बिड़ला के एक पत्र का जिक्र किया. यह पत्र जीडी बिड़ला ने लगभग 91 साल पहले (1934 में) अपने बेटे बसंत कुमार बिड़ला को लिखा था.
जीडी बिड़ला अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका यह पत्र आज भी बिड़ला खानदान को दिशा दिखा रहा है. कुमार मंगलम के अनुसार, यह पत्र उनके उद्योग घराने का मूलमंत्र है. यानी लगभग 100 साल पहले परदादा ने कलम से कागज पर जो लिखा था, वे शब्द आज भी सफलता का मूलमंत्र बने हुए हैं.
1934 के पत्र में जीडी बिड़ला ने क्या लिखा था?
इस पत्र में जीडी बिड़ला ने धन, शक्ति और जिम्मेदारी पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने लिखा कि धन चंचल होता है और इसका टिके रहना अनिश्चित है. इसलिए इसका उपयोग कभी विलासिता या व्यक्तिगत शौक पूरे करने में नहीं करना चाहिए. धन समाज की अमानत है और इसका इस्तेमाल समाज सेवा और लोक कल्याण के कार्यों में होना चाहिए. संपन्नता से जुड़े निर्णयों में संयम और विवेक बेहद जरूरी है.
उन्होंने सत्ता और संपत्ति से उत्पन्न अहंकार के बारे में भी चेतावनी दी. उनका कहना था कि इससे हमेशा खुद को बचाकर रखना चाहिए. सफलता और सामर्थ्य का उपयोग कभी अन्याय के लिए नहीं करना चाहिए. बिड़ला समूह की स्थापना केवल व्यवसाय विस्तार के लिए नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए हुई थी. इसलिए इस उद्देश्य को आगे भी बनाए रखना चाहिए.
पत्र के एक हिस्से में स्वास्थ्य और जीवनशैली पर भी जोर दिया गया. जीडी बिड़ला का मानना था कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है. इसके बिना अरबों की संपत्ति का मालिक भी लाचार हो सकता है. उन्होंने संतुलित आहार, योग और नियमित व्यायाम को आवश्यक बताया. भोजन को दवा की तरह ग्रहण करें, स्वाद के लालच में नहीं.
यह पत्र आज भी बिड़ला खानदान को व्यवसाय में अनुशासन, लोक कल्याण और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रेरणा देता है. एपिसोड में अमिताभ बच्चन ने इस पत्र को पढ़कर सुनाया, जिससे कुमार मंगलम ने कहा कि यह परिवार का खजाना है.
इस बात पर पिता ने दिखाया था मंगलम को Exit का रास्ता
कुमार मंगलम कभी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नहीं बनना चाहते थे. लेकिन उनके पिता आदित्य विक्रम बिड़ला चाहते थे कि वे पहले सीए बनें, तभी परिवार के बिजनेस में शामिल हों. कुमार मंगलम ने पिता की बात याद करते हुए बताया कि पिता ने साफ कह दिया था अगर सीए नहीं बनते, तो ऑफिस में कोई जगह नहीं है. कुमार में इतनी हिम्मत नहीं थी कि पिता को मना कर सकें. उन्होंने दादा और मां से सिफारिश कराने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे. फिर उन्होंने पहली बार में ही परीक्षा पास कर ली और टॉपर्स में शामिल हुए.
पिता की मौत के बाद रतन टाटा ने दिया था साथ
कुमार मंगलम ने पिता आदित्य विक्रम बिड़ला से जुड़े कई अनसुने किस्से साझा किए. उन्होंने बिड़ला और टाटा परिवारों के गहरे रिश्तों का भी जिक्र किया. उनके दादा बसंत कुमार बिड़ला और जेआरडी टाटा करीबी दोस्त थे. एक समय बिड़ला परिवार के पास कुछ टाटा कंपनियों में टाटा परिवार से ज्यादा शेयर थे. इतना गहरा विश्वास था. रतन टाटा और उनके पिता भी अच्छे दोस्त थे. 1995 में पिता की असामयिक मौत के मुश्किल समय में रतन टाटा परिवार के साथ खड़े रहे.